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“डॉ. पायल को मौत के रूप में अपने संवैधानिक अधिकारों की कीमत चुकानी पड़ी”

अनुसूचित जनजाति को दिए गए संवैधानिक अधिकार को प्रयोग करने की कीमत डॉक्टर पायल को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। आत्महत्या करने वाली यह लड़की कोई आम सी लड़की नहीं थी, एक डॉक्टर थी। यही विचार दिल और दिमाग को निरंतर टीस दे रही है कि क्यों फिर यह लड़की मानसिक और भावात्मक रूप से इतनी मज़बूत नहीं थी? ऐसे हालात का मज़बूती से सामना क्यों नहीं कर पाई?

डॉक्टर पायल। सोर्स- फेसबुक

अनुसूचित जाति से थी, तो ज़ाहिर है कि ये सब उसने पहली बार नहीं सुना होगा। निचली जाति से संबंध रखने वाला हर इंसान अपने जीवन के हर कदम पर जातिसूचक शब्दों के दंश को सहन करता है। ऊंची जाति ने हर ओर एक मोहक भ्रमजाल फैला रखा है कि अब जाति प्रथा खत्म हो चुकी है।

हम पढ़े लिखे लोग हैं, ऐसी दकियानूसी बातें नहीं मानते। कौन सी नीची जाति? पढ़-लिख गए हैं ये लोग, अच्छा खाते हैं, अच्छा पहनते हैं, अब तो इन्हें मंदिर भी जाने देते हैं हमलोग, अब क्या जान लेंगे ये हमारी? अब आरक्षण खत्म करो।

मेरे एक पुरुष मित्र हैं, अच्छे सरकारी पद पर हैं। जाति से ब्राह्मण हैं। पढ़े-लिखे ज्ञानी व्यक्ति में शुमार किए जा सकते हैं। डॉक्टर ना बन पाने की गहरी पीड़ा है उनके दिल में, इसका ज़िम्मेदार वह आरक्षण को मानते हैं। उनके शब्दों में,

इनमें दिमाग होता नहीं है, आरक्षण का लाभ लेकर डॉक्टर बनते हैं और फिर मरीजों की जान लेते हैं। मैं तो पहले डॉक्टर की जाति देखता हूं, फिर इलाज करवाता हूं कि कहीं कोटा वाला डॉक्टर ना हो।

इस मित्र का ज़िक्र इसलिए किया कि आप यह जान लीजिए कि डॉक्टर पायल की आत्महत्या की ज़िम्मेदार केवल वे 3 साथी डॉक्टर ही नहीं हैं। पायल के साथ अगर अस्पताल में ऐसा नहीं भी होता, तो मेरे मित्र जैसा कोई मरीज़ टकरा ही गया होता, जो इलाज से पहले उसकी जाति टटोलता।

अगर आप नीची जाति से हैं, तो अपने बच्चों को इस मुगालते में रखना बंद कीजिए कि इस समाज में सब बराबर है। उनके साथ कभी कोई भेदभाव होगा ही नहीं, क्योंकि ऐसा हमारे संविधान में लिखा है। अपने बच्चों को शिक्षा के साथ मानसिक मज़बूती भी दीजिए। ऐसे हालात का सामना करने का साहस भरिए उनमें। 5000 सालों तक शिक्षा, अच्छा जीवन, सम्मान, समृद्धि का अकेले लाभ लेते हुए जब ऊंची जातियों को शर्म नहीं आई तो केवल कुछ सालों का आरक्षण लेने में निचली जातियां क्यों शर्मिंदा होती हैं?

मुझे डॉक्टर पायल पर, उनकी उच्च शिक्षा पर तब गर्व होता, जब वह ऐसे हालात के सामने घुटने टेकने की जगह उनका हिम्मत और साहस से मुकाबला करती। मुझे माफ करना पायल पर तुमने इस तरह दुनिया से जाकर अपने लोगों और अपने समाज को निराश किया है।

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