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“PM को ट्रोल या बेइज्ज़त करने से समस्या का हल नहीं निकलेगा”

मीडिया वाले मित्र बुरा ना माने। मैं भारत के सभी मीडिया साथियों को नहीं, बल्कि चंद लोगों को कह रहा हूं, जिसमें मीडिया के बाहर के लोग ज़्यादा हैं और मीडिया वाले कम।

कुछ साल पहले मैंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पर एक हिंदी डॉक्यूमेंट्री देखी थी। उसमें पता चला कि जब प्रधानमंत्री बनने के बाद शास्त्री ने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उस वक्त कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने ने दोबारा औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाना ही बंद कर दिया।

दरअसल, हुआ यह था कि कुछ पत्रकार उनसे इस तरीके से सवाल पूछ रहे थे जैसे वे किसी छोटे अफसर से बात कर रहे हो। शास्त्री प्रेस की आज़ादी के कितने बड़े समर्थक थे यह इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि उन्होंने उस ज़माने के बड़े विरोधी स्वभाव के पत्रकार स्वर्गीय कुलदीप नय्यर को अपना प्रेस सेक्रेटरी नियुक्त किया था।

अगर कोई महानुभाव यह सोच रहे हैं कि मैं मोदी की तुलना शास्त्री से कर रहा हूं, तो यह सरासर गलत है। मैं तो सिर्फ यह बता रहा हूं कि मोदी की बेइज्ज़ती इससे भी ज़्यादा की गई है। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी लंदन की यात्रा पर गए थे, जहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया।

वहां दो अंग्रेज़ी पत्रकारों ने प्रधानमंत्री मोदी से ऐसे सवाल पूछे जैसे वे किसी दंगाई नेता से बात कर रहे हों। इसे लेकर भारत के कई न्यूज़ चैनल, अखबारों और डिजिटल मीडिया में गुस्सा भी देखा गया। इसे प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की बेइज्ज़ती मानी गई।

उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ घोषणाएं ही किए, कभी सवालों के जवाब नहीं दिए। मुझे याद है जब रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी और एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश ने प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लिया तो सोशल मीडिया पर उन दोनों की बहुत बेइज्ज़ती की गई।

हालांकि उन पर उठ रहे कुछ सवाल वाजिब थे क्योंकि इन दोनों ने कोई भी तीखे सवाल प्रधानमंत्री से नहीं पूछे जो इन्हें पूछना चाहिए था। विरोध में दिक्कत तब आ गई जब कुछ लोग उनके करियर और चरित्र पर सवाल उठाने लगे। जब प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार इस हद तक बेइज्ज़त हो गए तो आप समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री का क्या हाल किया गया होगा।

हमें प्रधानमंत्री से तीखे सवाल पूछने चाहिए लेकिन रचनात्मक आलोचना भी करनी चाहिए जिससे कि समस्या का कुछ समाधान हो सके। किसी भी पीएम को सिर्फ ट्रोल और बेइज्ज़त करने से किसी समस्या का समाधान नहीं होगा।

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