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“प्रियंका जी, राजनीति के लिए बच्चों से नारे लगवाना उचित नहीं है”

प्रियंका गाँधी

प्रियंका गाँधी

चलिए मान लेते हैं कि चौकीदार चोर हो सकता है। सभाओं में आपके द्वारा लगाए गए हर एक नारे पर मैं भरोसा कर सकता हूं मगर उन बच्चों से यह उच्चारण कराया जाना अत्यंत क्रूरतम भी है और निंदनीय भी। मैं किसी दल या सरकार की नुमाइंदगी नहीं कर रहा हूं।

दल कोई भी हो लेकिन इन चुनावों में प्राथमिकता में जो मुद्दे होने चाहिए, वे मुद्दे आम जनमानस से कोसो दूर हैं। हमें यह सोचना चाहिए कि जिस तरह से जाति, धर्म और मज़हबी संवादों को हमारे नेताओं के भाषणों में तरजीह दी जा रही है, वह कैसे भारत का निर्माण करेगी।

मैं इतना कह सकता हूं कि इस तरह एक समृद्ध भारत की नींव नहीं रखी जा सकती है। जिन बच्चों के हाथ में कॉपी, पेन और पेंसिल होने चाहिए थे, उनको हम अपनी रैलियों में प्रयोग का माध्यम बना रहे हैं। हम उन बच्चों को अपशब्द सिखाने का प्रयास कर रहे हैं जो भविष्य के भारत की नींव रखेंगे।

प्रियंका गाँधी द्वारा बच्चों को हथियार बना कर प्रयोग करना उनके उस बौद्धिक स्तर को प्रदर्शित करता है, जो भविष्य के भारत की अच्छी नींव बिल्कुल नहीं रख सकता है। जिस तरह बाल श्रम अवैध है, उसी तरह बच्चों का राजनीतिक रैलियों और सभाओं में उपयोग किया जाना भी अवैध होना चाहिए।

मैं बच्चों के उन रियलिटी शो को भी सही नहीं मानता जिनमें उनके माता-पिता उन्हें ज़बरदस्ती डांसर और गायक बनाने का प्रयास करते हैं। वे अभिवावक अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपने का प्रयास करते हैं, जो उनके द्वारा समय रहते पूरी नहीं की जा सकी। ऐसे अभिवावकों और रियलिटी शो के प्रति कठोरतम दंडात्मक प्रावधानों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

फोटो साभार: Getty Images

प्रियंका गाँधी को ऐसे नारे लगवाते समय उन अबोध बच्चों की ओर अवश्य देखना चाहिए जिनका देश की राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। उनको सिर्फ तन ढकने के लिए एक जोड़ी कपड़े, खाने के लिए रोटी, पीने के लिए साफ पानी, पढ़ने के लिए विद्यालय, खेलने के लिए खिलौने और उड़ने के लिए पंख चाहिए।

यह उन बच्चों की मूल आवश्यकताएं हैं। चौकीदार चोर है या नहीं इस बात से उनका कोई सरोकार नहीं है। वे तो सिर्फ अपनी मस्ती में चूर हैं। उनको यह बिल्कुल ज्ञान नहीं है कि वे क्या कह रहे हैं, क्यों कह रहे हैं। अतः भद्दी राजनीति के लिए बच्चों से नारे लगवाना उचित नहीं है।

यह अत्यंत निंदनीय है। भारत आपसे स्वर्णिम भारत की नींव रखे जाने की उम्मीद करता है। अतः आपको आशा का सूरज बनना चाहिए, विफलता रूपी ग्रहण नहीं।

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