मॉर्डन होती ज़िन्दगी में एक तरफ जहां हम हेल्थ कॉन्शस होते जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर खुद को जागरूक मानते हुए एकदम गलत और बचकाने फैसलों के ज़रिये अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके ज़िम्मेदार कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरी एक व्यवस्था ही है।
आज हर कोई पेज थ्री का एक कैरेक्टर बनना और दिखना चाहता है मगर इसी चककर में वह भूल जाता है कि 3 घंटे के शो वाला कंटेंट कट, कैमरा, ऐक्शन और एडिटिंग से संवर कर निकला हुआ वह कैप्सूल होता है, जिसे हम सिर्फ मनोरंजन का साधन कह सकते हैं।
ऐसी चीज़ें कभी-कभी मानसपटल पर हमारे लिए तमाम सवाल और जवाब छोड़ जाते हैं, जिसके उत्तर की खातिर उस तीन घंटे के कैप्सूल को ज़िन्दगी में हम जीवंत करने लगते हैं। जी हां, हर युवा ने फिल्मों के ज़रिये ही तो जाना है कि प्यार क्या और कैसे होता है। फिल्मों के माध्यम से ही उन्हें अंदाज़ा हुआ है कि लव, सेक्स और धोखा क्या है।
इन सबके बीच युवा वर्ग को फिल्मों के ज़रिये यह जानकारी नहीं मिली कि सुरक्षित यौन सम्बन्ध के लिए रंग में भंग भी ना पड़े और रिस्क भी ना हो तो प्यार में कब और कौन सा कैप्सूल प्रेमिका को खिलाना है।
अफसोस भी है और आश्चर्य भी कि प्यार में जब प्रेमी और प्रेमिका के बीच शारीरिक संपर्क कायम होता है, तब अनवांटेड 72 का प्रयोग करते हुए असुरक्षित यौन सम्बन्धों के होने वाले परिणाम से बचने की कोशिश की जाती है। बहुत सारे लोगों को तो यह भी जानकारी नहीं होती है कि अनवांटेड 72 का प्रयोग 72 घंटे के अंदर ही करना है।
सोच कर देखिए कि अगर यह गोली इतनी ताकतवर है कि वांटेड को अनवांटेड कर सकती है तो कितनी घातक होगी लेकिन इसे मोहब्बत की दिवानगी ही कह सकते हैं कि जब युवाओं ने टीवी पर इसका विज्ञापन देखा होगा, तब असुरक्षित यौन सम्बन्धों के होने वाले परिणाम से भी उन्हें मुक्ति मिल गई होगी।
इस दौर में अफसोस की बात तो यह है कि ना तो किसी विज्ञापन और ना ही किसी जागरूकता अभियान के ज़रिये लोगों को यह जानकारी मिल पाई कि अनवांटेड 72 की गोली जीवन भर की खुशियों को अनवांटेड करने में प्रभावशाली है।
यह बेहद ज़रूरी है कि ऐड एजेंसियों या फिर दवाई लांच करने वाली कंपनियों को अनवांटेड 72 कें संदर्भ में तमाम तरह की जानकारियां लोगों तक पहुंचानी चाहिए। इस दौर में युवाओं को समझना होगा कि वे खुद को सुरक्षित रखने के लिए जिस अनवांटेड 72 का प्रयोग कर रहे हैं, वह प्रेमिका और पत्नी दोनों के लिए घातक है।
यह गोली असुरक्षित यौन सम्बन्ध के लिए है ही नहीं। उसके लिए तो सहेली और माला डी जैसी गोलियां हैं, जिन्हें नियमित खानी पड़ती हैं या फिर कंडोम और कॉपर टी का उपयोग आम चलन में है। इसे हर अस्पताल में सरकारी सुविधाओं और अभियानों के माध्यम से लोगों के बीच जागरूकता के उद्देश्य और सुरक्षित सम्बन्ध के साथ परिवार नियोजन हेतु अपनाने के लिए प्रसारित किए गए हैं।
अनवांटेड 72 का कभी अस्पतालों में प्रचार नहीं किया गया क्योंकि यह आपातकालीन गोली है, उन अवस्थाओं के लिए जिसमें अधीरता में या ज़बरदस्ती या गलती से स्थापित सम्बन्ध के बाद गर्भ ठहरने के डर को समाप्त करने और स्त्री के जीवन की बड़ी मुश्किलों को सहज करने में उपयोग की जाती है।
इसका अधिक उपयोग स्त्री को बांझ बनाने में सहयोगी है। इस बात की जानकारी से कोसों दूर धड़ल्ले से प्रयोग करती लड़कियों ने इसे जादुई गोली समझकर अपना लिया और कैमिस्ट की दुकानों में खुले आम उपलब्धता ने भी इस भ्रम को पुरज़ोर समर्थन दिया कि इसका उपयोग प्यार की राह की मुश्किलों को आसान करने के लिए ही है।
आज गर्भधारण के लिए डॉक्टरों के क्लीनिक पर लाखों खर्च करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। वह भी उन लोगों की जो पढ़े-लिखे, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और संभ्रांत हैं। एक बड़ी वजह आपके सामने लाने का प्रयास कर रही हूं।
इस बाबत जब मेरी डॉक्टर मित्रों से चर्चा होती है, तो पता चलता है कि इन दवाओं के कारण होने वाले दुष्परिणामों की वजह से महिलाएं अक्सर शिकायत लेकर आती हैं कि गोली खाई थी जिसके बाद पीरियड तो आ गए लेकिन रक्तस्राव बन्द ही नहीं हो रहा या फिर अनियमित हो गया है और वजन बढ़ने लगा आदि।
अनवांटेड 72 से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने या रोकने हेतु ज़रूरी सुझाव-
- हॉर्मोन्स पर असर डालती इन गोलियों के दुष्प्रभावों पर नज़र डालने के साथ-साथ व्यापक स्तर पर चर्चा करने की ज़रूरत है।
- केमिस्ट की दुकानों पर सहज उपलब्धता पर भी रोक लगाए जाने की ज़रूरत है क्योंकि यह तो बाज़ार की सोची समझी रणनीति के तहत फल-फूल रहा व्यापार है मगर प्यार की असहजता को सहजता के रूप में परोसकर यही बाज़ार प्यार को कुछ दिन, महीनों और सालों का सुकून भले दे दे लेकिन उसके बाद जीवन की खुशियों पर ग्रहण बनकर छाएगा, फिर एक बार यही बाज़ार खुशियों के प्रलोभन देकर कुछ और गोलियों, तकनीकों और विकल्पों को पेश करेगा।
- अनवांटेड को अनवांटेड ही रहने दें और खुद के प्रति, प्यार के प्रति, परिवार के प्रति और स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा सा सजग हो जाएं।
- फिर भी अगर कोई मुश्किल आ जाए तब केमिस्ट की दुकान नहीं बल्कि डॉक्टर की सलाह लेकर अगला कदम बढ़ाएं।
दोस्तों, सच्चे प्यार में कोई गलती नहीं है मगर जहां हमें लगे कि डॉक्टर से संपर्क करने की ज़रूरत है, तो बेझिझक करें। आज़ादी और अधिकार की बात करने वाली युवा पीढ़ी जब प्यार और सेक्स जैसी बातों पर भी मुखर होती है फिर उन्हें प्यार और सेक्स के साइडइफेक्ट और स्वास्थ्य के साथ होने वाले खिलवाड़ के प्रति इस लड़ाई में भी सजगता दिखानी चाहिए। तभी होगी प्यार की जीत और तभी खुशियां होंगी वांटेड और मुश्किलें अनवांटेड।