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“विकास की आस लिए चतरा के बच्चे बूढ़े हो गए”

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

झारखंड राज्य में स्थित चतरा सन् 1991 में ज़िला बना तब से लेकर आज तक मुझे चतरा में परिवर्तन के नाम पर बस यही दिखा कि जो बच्चे पहले छोटे थे, वे अब बड़े हो गए और जो बड़े थे वे विकास की उम्मीद में बूढ़े हो गए।

बात अगर छोटे-मोटे विकास की हो तो यह कह सकते हैं कि विकास तो हुए हैं। जो डीसी ऑफिस और एसपी ऑफिस पहले हज़ारीबाग में थे, वह अब चतरा में हैं। अब लोगों को हज़ारीबाग के बजाए चतरा के दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।

झारखंड राज्य में चतरा की पहचान नहीं

खैर, बात चुनावी समीकरण की हो रही है तो आपको बता दें 14 लोकसभा सीट में यह सिर्फ नाम मात्र का ज़िला है, जहां से सिर्फ वोट की उम्मीद होती है क्योंकि आज तक चतरा झारखंड राज्य में अपनी पहचान नहीं बना पाया है। इसकी वजह साफ है कि सरकार का ध्यान चतरा पर सिर्फ चुनाव के समय ही आता है।

बात तो यह है कि आपराधिक मामलों में भी चतरा अव्वल है फिर भी सरकार की नज़र चतरा तक नहीं पड़ने की खास वजह समझ नहीं आती है। आखिर ऐसी क्या बात है कि चुनाव जीतने के बाद भी चतरा आज भी वही है, जहां मेरे दादा और परदादा छोड़ के गए थे।

रेलवे  ट्रैक के आने का इंतज़ार कर रहे हैं लोग

ऋतु परिवर्तन की तरह सरकारें बदली मगर चतरा की दशा नहीं बदली। आखिर कब तक यहां के लोग चतरा में रेल सिर्फ अपने घरों में ही चलाएंगे और जिसे देख के उनके बच्चे खुश होंगे। फिर भी ठीक है हम बर्दाश्त कर रहे हैं।

आज 2019 साल है और चुनाव फिर से है मगर एक बात। आखिर इस बार चुनावी समीकरण का क्या होगा? इस बार चुनाव होंगे, वादे किए जाएंगे और जो रेल अभी तक घरों में चल रहे थे। उन्हें ट्रैक पर चलाने की बात कहीं जाएगी और यह भी कहा जाएगा की जो गलती हुई है, वह नहीं दोहराई जाएगी।

फोटो साभार: pixabay

इस बार यहां की जनता को यकीन है कि रेल वाले सांसद आएंगे और रेल की बात करेंगे। आखिर क्यों वह चतरा के लोगों की भावनाओं के साथ अक्सर मज़ाक करते है।

खैर, हमने यह सोचना छोड़ दिया है कि सरकार चतरा के बच्चों की शिक्षा के लिए केंद्रीय विद्यालय खोलेगी मगर कोई अच्छा अस्पताल तो खोल दे ताकि जो लोग अचानक आने वाली बीमारी से अपनी जान गवां देते हैं, वे बेहतर इलाज तो करवा पाएं।

चतरा में विकास नहीं

हम लोग वोट तो देंगे मगर अब उम्मीद नहीं कि चतरा का कोई भविष्य बना पाएगा। जहां तक बात है टिकट की तो एक बड़ी पार्टी जिन्हें लगता है कि चतरा में कभी कोई विकास का काम नहीं किया तो वहां के नेता में से किसी को टिकट देना कैसे संभव है?

अब यह पता नहीं कि कौन रेल वाले बाबू आएंगे लेकिन इस बार तापमान थोड़ा गर्म है। देखना यह है कि क्या रेल बाबू यहां के तापमान को झेल पाएंगे या नहीं।

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