मेरे बचपन का एक दोस्त पोलैंड में बतौर शेफ काम करता है। कल मेरा व्हाट्सऐप स्टेटस देखकर (जो कि सरकार की आलोचना करता हुआ एक stand up comedy था) बड़ी उत्सुकता से पूछता है, “गुड्डू तू कौन सी पार्टी को सपोर्ट करती है?” मैंने कहा, “सपोर्ट तो किसी को नहीं करती पर नोटा नहीं दबाऊंगी।”
उसने फिर पूछा “पर तेरी फैमिली तो बीजेपी सपोर्टर है।” मैंने कहा, “हां है तो?” “तो तू क्यों बीजेपी को अपोज करती है?”, उसने सवाल किया।
मैंने मज़ाकिया और दोस्ताना अंदाज में कहा, “क्योंकि मुझे लगता है कि चौकीदार ही चोर है”।
उसने कहा प्रधानमंत्री मोदी ने इतना काम किया है, विदेशों में भी उनका डंका बज रहा है फिर भी तुम लोग उस भले आदमी को क्यों इतना अपोज़ कर रहे हो? मैंने पूछा क्या काम किया है? इसके बाद हमारे बीच शिक्षा, स्वास्थ्य या रोज़गार, कालाधन, विदेश यात्राओं, रोज़गार, राफेल जैसे मुद्दों पर थोड़ी सी बातें हुईं।
उसकी तरफ से बार-बार बस यही जवाब दिया जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिलना मुश्किल है, उस इंसान ने बहुत काम किया है। यहां तक सभी बातें ठीक थीं, पक्ष-विपक्ष, सहमति या असहमति सब समझ आ रही थी कि अचानक वह बोल उठा, तू हिंदू होकर भी ऐसी बातें करती है, क्या तेरा बॉयफ्रेंड मुसलमान है?
मैं थोड़ी देर तक सन्न रह गई, क्योंकि यह कोई सोशल मीडिया की वह भीड़ नहीं थी जो किसी पार्टी विशेष का विरोध करने पर इनबॉक्स में घुस घुसकर गालियां देती है, चरित्र पर सवाल उठाती है, लड़कियों को रेप की धमकी देती है। यह मेरा बचपन का दोस्त है, जिसके साथ मैंने बहुत सारी बातें शेयर की हैं, यादें बनाई हैं और समय-समय पर हम उन्हें ताज़ा करते रहते हैं।
मुझे यहां इस सवाल की उम्मीद नहीं थी, हम दोनों बचपन से एक साथ पढ़े लिखे थे। हमारा परिवार एक दूसरे को लगभग 25, 26 सालों से जानता है, मुझे पहली बार लगा शायद सोशल मीडिया पर ट्रोल करने वाले हमारे अपनों जैसे ही दिखते होंगे, वो इतने करीबी भी हो सकते हैं, यह भी मुमकिन है। मैं राजनीति पर बात करने से हमेशा बचती हूं पर यह तो मेरा बचपन का दोस्त था जो बिना जजमेंटल हुए बात हमेशा सुनता था।
मैंने बहुत सारी ताकत समेटकर कहा,
मेरा फ्रेंड मुसलमान हो या कोई विदेशी इस बात से बीजेपी के सपोर्ट और अपोज़ का क्या संबंध है?
उसने फिर कहा,
कितनी अच्छी लड़की है गुड्डू तू, मैं हमेशा तेरे जैसा इंसान बनना चाहता था पर तू ये कैसी बातें कर रही है, तू एक हिंदू है।
मुझे भीड़ का चेहरा दिखा मैंने झुंझुलाते हुए कहा,
हां मैं एक हिंदू हूं और मैं बीजेपी को सपोर्ट नहीं करती।
उसने कहा,
लगता है तेरा माइंड वॉश किया गया है।
बाय, अस्सलाम वालेकुम। और तब मुझसे कोई जवाब ना बना।