डॉ. पायल सलमा तडवी की क्या अकादमिक हत्या नहीं की गई है? उनका गुनाह क्या था कि वह आदिवासी भील होकर भी एमडी की शिक्षा ले रही थी? लेकिन उनके सीनियर्स को एक आदिवासी भील लड़की का एमडी होना कैसे रास आता? पहले ही वर्ष से उन पर फब्तियां कसी जाने लगी।
इसी तरह दो साल बीते। सोशल मीडिया पर पायल के बारे में गंदे और उसके आदिवासी होने को लेकर कमेंट्स लिखे जाते रहें। उन्होंने कंप्लेन भी की लेकिन उन्हें परेशान करने वाले उच्च जाति के ही नहीं, उच्च वर्ग के भी थे। जैसा कि आमतौर पर होता है, बार-बार उनकी क्वालिटी को चैलेंज किया गया। जबकि पायल तीसरे वर्ष तक पास होती आई हैं।
खुद पर हो रहे ज़ुल्मों के बारे में उन्होंने अपनी माँ को भी बताया था और मां भी कंप्लेन करने पहुंची थीं लेकिन सब अनदेखा और अनसुना कर दिया गया। इस बीच व्हाट्सएप ग्रुप्स में भी पायल के आदिवासी होने को लेकर मज़ाक उड़ाया जाने लगा। उन पर आरक्षित और धर्मांतरित होने को लेकर निम्न किस्म के मज़ाक किये जाने लगे। कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने क्लासमेट्स और सीनियर्स से मदद भी मांगी थी। क्या आपको पता नहीं क्यों किसी ने भी उनकी मदद नहीं की?
इन सबसे परेशान होकर डॉ. पायल सलमा तडवी ने 23 मई 2019 को अपने हॉस्टल में आत्महत्या कर ली। जानबूझकर उन तीन लड़कियों के नाम नहीं लिख रहा हूं, जिनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है। उनके लिए वकीलों की लाइने लगा दी जाएंगी, ना रैगिंग का केस साबित होगा और ना एट्रोसिटी का।
(नोट- भील जनजाति महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में रहती है।)
(सोर्स-न्यूज़ चैनल ‘मराठी 7’ पर आधारित लेख)