आज समाज में लगभग सभी लोग अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूक हैं। अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजना पसंद करते हैं क्योंकि आज यह मानसिकता बन गई है कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती है।
वही लोग बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजते हैं, जो प्राइवेट स्कूल की फीस नहीं दे सकते। सरकार ने शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके बावजूद भी अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं भेजना चाहते हैं।
सरकारी स्कूलों में मिशन बुनियाद
कहते हैं अगर कोई चीज़ आसानी से मिल जाए तो उसकी कीमत नहीं होती। सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेकों सुविधाएं मुहैया करवाई हैं। जैसे- निःशुल्क शिक्षा, खाना, वर्दी और कॉपी-किताबें इत्यादि।
गत वर्ष गर्मी की छुट्टियों में सभी सरकारी स्कूलों में मिशन बुनियाद चलाया गया, जिसके तहत बच्चों को पठन स्तर के अनुसार अलग-अलग वर्गों में विभाजित करके शिक्षा दी गई मगर इन सब सुविधाओं के बावजूद भी बच्चे या अभिभावक शिक्षा की तरफ जागरूक क्यों नहीं हो रहे?
कैसे प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी में जाएं?
क्या अभिभावक ही नहीं चाहते कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर एक शिक्षित और जागरूक नागरिक बनें? अब प्रश्न यह उठता है कि ऐसा क्या किया जाए जिससे अभिभावक प्राइवेट स्कूल को छोड़कर सरकारी स्कूल की ओर जाएं?
कैसे बढ़े सरकारी स्कूलों के तरफ रूझान?
कई बार ख्याल आता है कि अगर ऐसा हो जाए तो शायद अभिभावकों का रुझान सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़े। जैसे-
- अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण होने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृति के साथ-साथ मीडिया द्वारा उनकी सफलता की कहानी प्रकाशित व प्रसारित की जाए। जिससे दूसरे बच्चे व अभिभावक भी प्रेरित हो।
- विदेशों की तरह हमारे देश में भी सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले प्रतिष्ठित लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं क्योंकि निःशुल्क व बेहतर शिक्षा प्रत्येक बच्चे का अधिकार है। चाहे वह बच्चा अमीर हो या गरीब।