डर क्या होता है, अगर किसी को यह जानना है तो वह पाकिस्तान के किसी हिंदू परिवार से पूछ सकता है जिसे हमेशा यह डर रहता है कि कहीं कोई इस्लामिक आतंकवादी उसका धर्म पूछ कर उसकी जान लेने पर उतारू ना हो जाए।
जिस मुल्क में उस आतंकवादी हाफिज़ सईद की पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं, जिसे पूरे विश्व ने आतंकवादी घोषित कर दिया है, क्या वहां की अल्पसंख्यक समुदाय को डर नहीं लगता होगा?
हमारे देश में कुछ ऐसा ही हो रहा है। हमारे यहां लोग मुसलमानों का कत्ल करके या उनके खिलाफ ज़हर उगल कर संसद या विधानसभा जा सकते हैं। मुझे यह कहने में कतई गुरेज़ नहीं है कि देश की संसद और विधानसभाओं का रास्ता अब मुसलमानों की लाशों पर से गुज़रता है।
हम कहने को तो धर्म निरपेक्ष देश हैं लेकिन हमारा प्रतिनिधित्व कौन करता है? भगवा कपड़े पहने लोग? देश की संसद लोकतंत्र का मंदिर होना चाहिए, किसी धर्म का मंदिर नहीं। जनता को किसी भी मौलाना या पंडित को अपना प्रतिनिधि नहीं स्वीकार करना चाहिए। यह चीज़ हमें स्विट्ज़रलैंड से सिखनी चाहिए, जहां कोई भी पादरी या धार्मिक नेता चुनाव में भाग नहीं ले सकता है।
हमारे देश में जो व्यक्ति यह कहता है कि मुस्लिम महिलाओं को कब्र से निकालकर उनका बलात्कार करना चाहिए, वह एक राज्य का मुख्यमंत्री है। जिस पर गुजरात दंगे बढ़ाने का आरोप था, वह देश के एक राज्य में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहने के बाद अब सत्ता के शिखर पर काबिज़ है।
अब देश के मुसलमानों के पास डरने के अलावा क्या रास्ता है? जब देश की बहुसंख्यक जनता ऐसे लोगों को चुनती है, जो अल्पसंख्यकों से नफरत करके ही सत्ता का उपभोग कर रहें हैं, तो देश के मुसलमान के पास डरने के अलावा क्या चारा है? इसी डर की वजह से वे खामोश हैं।
हमारे देश ने यह मान लिया है कि हिन्दू कभी कुछ गलत नहीं कर सकता है। हमारे देश में मुसलमानों के प्रति शंका उसी वक्त पैदा हो जाती है, जब कोई कहता है, “हर मुसलमान आतंकवादी नहीं होता लेकिन हर आतंकवादी मुसलमान होता है।”
इसके चलते हम यह मान सकते हैं कि अगर किसी हिंदू ने कहीं भी विस्फोट किया तो वह आतंकवादी नहीं कहलाएगा लेकिन यदि कोई मुसलमान एक हरा झंडा अपने घर पर लगा ले, तो उसे आतंकवादी और पाकिस्तान परस्त कहने में कोई भी नहीं हिचकिचाएगा। यहां तक कि उसे वायरस भी कहा जा सकता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्तमान परिस्थितियां हम मुसलमानों के दिलों में डर पैदा कर रही है।
हमारे प्रधानमंत्री भी यही मानते है कि हिन्दू कभी कुछ गलत नहीं कर सकता है। तो ऐसा ही क्यों ना किया जाए कि देश की सभी अदालतों को पीएमओ से यह आदेश जारी किया जाए कि जितने भी हिन्दू जेल में हैं, उनको छोड़ दिया जाए और उसके बाद कभी भी किसी हिन्दू को किसी अपराध के कारण सज़ा ना दी जाए।