2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित प्रधानमंत्री स्पेशल पैकेज बिहार 2015 की सच्चाई क्या है? अब तक घोषित रकम में से कितने रुपये बिहार सरकार को मिले? या कितने रुपये केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बिहार के विकास के लिए खर्च किए गए? इन तमाम सवालों का जवाब मांगने के लिए मैंने आरटीआई के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय से इस संदर्भ में सूचना मांगा।
इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुझे कहा कि यह सूचना आपको विभिन्न विभागों से मिल सकते हैं। इसलिए आप विभिन्न मंत्रालयों से संपर्क कीजिए। तत्पश्चात हमने ‘बिहार प्रधानमंत्री विशेष पैकेज 2015’ से संबंधित मंत्रालयों को आरटीआई आवेदन भेजा जिसके जवाब में मंत्रालयों ने अपने विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से जवाब दिया।
जिसके अनुसार 2015 से लेकर के 2018 तक ‘प्रधानमंत्री बिहार विशेष पैकेज 2015’ के अंतर्गत घोषित 125003 करोड़ में से मात्र 41455.52 करोड़ रुपये ही बिहार के विकास के लिए आवंटित किए गए अथवा संबंधित केंद्रीय एजेंसियों को दिए गए।
प्रधानमंत्री स्पेशल पैकेज बिहार 2015 से संबंधित मंत्रालयों और उन मंत्रालयों के लिए घोषित विशेष पैकेज और इसके एवज में बिहार के विकास के लिए जारी किए गए बजट का लेखा-जोखा इस प्रकार है-
सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय: पीएम स्पेशल पैकेज में घोषित 449 करोड़ रुपए में से 2018 की स्थिति के अनुसार एक भी रुपया जारी नहीं किया गया।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय: प्रधानमंत्री विशेष पैकेज 2015 के एवज में कोई भी जानकारी मंत्रालय के पास नहीं है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय: प्रधानमंत्री स्पेशल पैकेज बिहार 2015 के अधिन घोषित 21476 करोड़ के एवज में 2018 स्थिति के अनुसार मात्र 3724.65 करोड रुपए बिहार के लिए जारी किए गए जो कि कुल घोषित रकम का मात्र 17.34% है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय: प्रधानमंत्री स्पेशल पैकेज 2015 बिहार के लिए घोषित 3094 करोड] रुपए मे से 2018 की स्थिति के अनुसार एक भी रुपया मंत्रालय द्वारा रिलीज] नहीं किया गया है।
रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मंत्रालय: प्रधानमंत्री स्पेशल पैकेज बिहार 2015 के लिए घोषित 54713 करोड़ रुपए मे से 2018 की स्थिति के अनुसार नैश्नल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधीन स्पेशल पैकेज परियोजनाओं की संख्या 4 है, जो 4489.02 करोड़ रुपए के हैं।
इसके लिए 2015 से लेकर 2018 के बीच में मात्र 138.75 करोड रुपए जारी किए गए प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के अधीन बिहार में तीन ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है, जिनका कुल लागत 5101.38 करोड़ है।
बिहार सरकार के अधीन विशेष पैकेज के अंतर्गत संचालित योजना जिनकी संख्या 58 है और कुल राशि 24241.5 करोड़ रुपए है। कुल मिलाकर 2018 की स्थिति के अनुसार इस मंत्रालय के अधीन मात्र 29481.65 करोड़ रुपए योजनाओं पर काम हो रहा है।
राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसी द्वारा प्राप्त सूचना के अनुसार घोषित कुल 54703 करोड़ रुपए का मात्र 53.88% परियोजनाओं के लिए जारी किए गए।
मिनिस्ट्री ऑफ पावर: प्रधानमंत्री स्पेशल पैकेज बिहार 2015 के अंतर्गत घोषित 16130 करोड रुपए के योजना में से 2018 की स्थिति के अनुसार मात्र दो प्रोजेक्ट आईपीडीएस के तहत स्वीकृत किए गए हैं।
दरभंगा सर्कल के लिए 171 करोड़ तथा नालंदा सर्कल के लिए 73 करोड़ रुपए हैं। इनमें से अभी तक मात्र 38 करोड रुपए की राशि जारी की गई है। यदि सीधे तौर पर देखें तो इस मंत्रालय के अधीन प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के लिए घोषित रकम 16130 करोड़ में से मात्र 244 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की गई, जो कि घोषित कुल 16130 करोड़ का मात्र 1.51% है।
कौशल विकास मंत्रालय: प्रधानमंत्री विशेष पैकेज 2015 के अंतर्गत घोषित 1550 करोड़ रुपए की योजनाओं में से मात्र स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम में राशि स्वीकृत की गई, जो कि 2018 की स्थिति के अनुसार 138.57 करोड़ रुपये है। बिहार सरकार को 36.81 करोड़ रुपए का फंड दिया गया। कुल 173.38 करोड़ जो कि घोषित 1550 कडोड़ का 11.18% मात्र है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय: प्रधानमंत्री स्पेशल पैकेज बिहार 2015 के अधीन घोषित 1000 करोड़ रुपए के बजट संबंधित सूचना मांगने पर मंत्रालय ने कहा कि कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय: प्रधानमंत्री विशेष पैकेज बिहार 2015 के अधीन घोषित 13820 करोड़ रुपए में से 2018 की स्थिति के अनुसार मात्र 7088.64 करोड रुपए बिहार सरकार को भेजे गए, जो कि घोषित 13820 करोड़ का 51.29% है।
रेल मंत्रालय: प्रधानमंत्री विशेष पैकेज बिहार 2015 के अधीन घोषित 8870 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के एवज में 2018 की स्थिति के अनुसार मात्र 744.5 करोड रुपए जारी किए गए, जो कि कुल घोषित 8770 करोड़ रुपए का 8.39% है।
नागर विमानन मंत्रालय: प्रधानमंत्री स्पेशल पैकेज 2015 बिहार के अधीन घोषित 2700 करोड़ रुपए के परियोजनाओं के लिए 2018 की स्थिति के अनुसार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया है।
नोट: स्रोत मंत्रालय द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त सूचना के आधार पर