मोदी जी के आने से पहले भी, देश में बेरोज़गारी, महंगाई, घूसखोरी, भ्रष्टाचार सबकुछ था। कॉंग्रेस सरकार से हम सभी त्रस्त हो चुके थे
और उन हज़ारों करोड़ के घोटालों ने तो देश के हर एक नागरिक को झकझोर कर रख दिया। आखिर देश का इतना पैसा, जो आम आदमी की खून पसीने की कमाई के टैक्स से आया था, उसे बस चंद लोगों ने आपस में बांट लिया। देश के साथ इतनी बड़ी गद्दारी के बावजूद हम किसी के हाथ में फिर से सत्ता कैसे दे सकते थे।
फिर हमारे सामने विकल्प के रूप में आये 15 साल से गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी। मैं कभी गुजरात गया तो नहीं लेकिन मैंने गुजरात के विकास के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था और मुझे लगता था, अगर यह आदमी देश का प्रधानमंत्री बन गया तो 5 साल में ही देश की दशा पलटकर रख देगा और उस वक्त मेरी ही नहीं देश के हर एक नागरिक की सोच यही थी शायद।
2014 में दिखाए गए थे कई सपने
2014 लोकसभा चुनाव की रैलियां चल रही थी, मैं अपनी 12वीं की परीक्षा दे चुका था। मैं अपने घर पर टीवी के सामने बैठा रहता था। न्यूज़ चैनल पर लगाकर मोदी जी के भाषण सुनते रहता था। वाकई दमदार आदमी लगते थे, वो अपने भाषणों में, एक तरफ जहां वो कॉंग्रेस के घोटालों की पोल खोलते और विदेशों में जमा कालेधन की मात्रा को बताते थे, तो दूसरी तरफ उस कालेधन को वापस लाने और आरोपी भ्रष्ट नेताओं को जेल में डालने की बात भी करते थे।
उन्होंने यहां तक भी कहा था कि जितने भी नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, चाहे वो मेरी ही पार्टी से क्यों ना हो उन्हें एक साल के अंदर जेल में डाला जायेगा। उन्होंने महंगाई कम करने का भी वादा किया, युवाओं को रोज़गार दिया जाएगा, पेट्रोल, गैस और डीजल की कीमतें कम होगी, औरतों पर हो रहे अत्याचारों को रोका जाएगा, पाकिस्तान और चीन के खिलाफ इंटरव्यू में उनके दिए गए भाषण तेज़ी से वायरल होने लगे।
उस वक्त बाबा रामदेव भी कॉंग्रेस सरकार के खिलाफ अन्ना हज़ारे द्वारा हो रहे आंदोलन में उनके साथ दिखाई देते थे, वो भी अपनी योग शिविरों के दौरान कालेधन पर ब्यौरा देते रहते थे। मतलब कुल मिलाकर यह समझो कि 5 साल के भीतर रामराज्य आ जायेगा।
2014 में जी रहे हर नागरिक की दशा लगान फिल्म के उन गॉंव वालों की तरह थी, जिनके मन में इस बात की खुशी थी कि चुनाव होते ही हम मैच जीत जायेंगे और ये अंग्रेज़ हमारा गाँव छोड़ देंगे और हमें अब लगान से मुक्ति मिल जाएगी।
खैर, फिर चुनाव भी हुए, मोदी जी के जीतने की खुशी हर नागरिक को थी, सिर्फ बीजेपी नेताओं या कार्यकर्ताओं को ही नहीं।
- फिर मोदीजी ने आते ही दो साल तक जमकर विदेश दौरे किये। कहा गया कि वो विदेशों से संबंध मज़बूत कर रहे हैं। हमने कहा ठीक है, फिर लोगों ने कहा कि वो 10 लाख का सूट पहनते हैं। अरे भाई भारत का प्रधानमंत्री है पहनने दो, हम भी नहीं चाहते हमारा प्रधानमंत्री सस्ते कपड़े पहने।
- फिर खबर आई कि मोदीजी नवाज़ शरीफ से मिलने पहुंचे हैं, वो भी बिन बुलाए, यह बात कुछ हज़म नहीं हुई।
- योगी जी को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया, उनके आते ही गोरखपुर के एक अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 63 बच्चों की मौत हो गयी। उस वक्त भी भाजपा नेता कुछ सोच समझकर बोलने की बजाय, एक मुस्लिम डॉक्टर पर ऑक्सीजन सिलिंडर चुराने का आरोप लगाने लगे।
- लड़कियों की सुरक्षा के लिए उन्होंने एंटी रोमियो स्क्वाड चला दिया। पुलिस प्रेमी जोड़ों के साथ साथ भाई बहन को भी घंटों तक थाने में बिठाने लगी।
- फिर गौरी लंकेश की हत्या हुई, क्योंकि वो बीजेपी के खिलाफ लिखती थीं। कुछ लोगों का कहना है वो हिंदुत्व के खिलाफ लिखती थीं। चलो हत्या हुई तो उसी जॉंच होनी चाहिए थी लेकिन नहीं हुई। वो भी ठीक ठाक था लेकिन बीजेपी नेताओं के भाषण और ट्विटर पर उस मौत के जश्न मना रहे उनके समर्थकों ने मुझे अंदर से झकझोर दिया। मेरे मन में जो राम राज्य की छवि बनी थी वो यह नहीं थी कि कानून व्यवस्था चौपट हो जाए और हमारे चुने हुए नेता, किसी की मौत पर उसे गाली दे और जश्न मनाएं।
- फिर तो नोटबन्दी हुई, मोदीजी ने 50 दिन मांगे हमने दिए लेकिन कालाधन कुछ भी हाथ नहीं लगा। सारा पैसा RBI के पास वापस आ गया। आम आदमी को तकलीफ हुई, कुछ लोगों की मौत हुई, कुछ की शादियां रुक गईं, किसी का इलाज नहीं हो पाया, किसी का कारोबार रुक गया। एक पैसे का फायदा नहीं उल्टा देश घाटे में गया।
- फिर GST आया। लोग कहने लगे अब कोई टैक्स नहीं चुरा पायेगा, तो उसमें क्या हुआ कि पहले जिस रेस्टोरेंट में खाने का बिल 150 आता था, अब भी खाने के बिल 150 ही आता है लेकिन अब उसमें GST अलग से जुड़ा होता है और 150 के अलावा अब जनता को GST भी भरना पड़ता है। पहले जिस कोचिंग की फीस 48000 थी GST लगने के बाद वो 58000 हो गयी। तो कोई यह बात दे कि इसमें फायदा कैसे हुआ जनता का?
- फिर पेट्रोल डीजल की कीमतें आसमान पर गईं। विधानसभा चुनाव आते ही कीमतें फिर ज्यों की त्यों हो गईं और लोग कहने लगे अब सस्ता हो गया है पेट्रोल।
- गौरक्षा के नाम पर गाय पालने वालों की भी हत्या की जाने लगी। इन सभी घटनाओं को सीधे-सीधे हिंदुत्व से जोड़ दिया जाता रहा ताकि मुजरिम वो कुछ चंद लोग नहीं, देश के सारे हिन्दू कहलाये जाएं।
- फिर राजस्थान के शम्भू ने एक बूढ़े मुस्लिम की हत्या करके उसका वीडियो इंटरनेट पर डाला, लोगों ने उसको बड़ी खुशी के साथ शेयर किया जैसे उसने कोई जंग जीती हो?
हर मुद्दे को एक ही नज़रिए से देखा जाने लगा, बीजेपी एक राजनैतिक पार्टी ना होकर कोई हिन्दू संगठन हो गयी है, जो धर्म की आड़ लेकर, अपने हिंसक मनसूबों को पूरा कर रही है और उन आपराधिक गतिविधियों में पूरे हिंदुओं को अपने साथ घसीट रही है।
आज से दो साल पहले जब बीजेपी के विरुद्ध कोई बात बोलते थे तो आप एंटी हिन्दू कहलाये जाते थे या फिर बाबर की औलाद की संज्ञा आपको दी जाती थी। आज आप देशद्रोही, पाकिस्तानी, कॉंग्रेस के चमचे गुलाम सबकुछ कहे जाओगे।
जो लोग उनका समर्थन कर रहे हैं, वो अपनी सोचने विचारने की शक्ति खो चुके हैं। हर मुद्दे को हिन्दू मुस्लिम, कॉंग्रेस बीजेपी, देशद्रोही- देशभक्त की नज़र से ही देखने लगे हैं। वह यह मानने को तैयार ही नहीं हैं कि एक बात पर कई तर्क हो सकते हैं, कई मत हो सकते हैं। अलग-अलग विचारधाराएं हो सकती हैं।
आज भी आप मोदी जी के भाषण सुनोगे तो उसमें कॉंग्रेस और बाकी पार्टियों की बुराई मिलेगी। बेरोज़गारी, महंगाई, पेट्रोल डीजल, किसान की आय जैसा कोई मुद्दा नहीं मिलेगा।