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अंग्रेज़ी सीखने के क्रम में गलतियों का मज़ाक उड़ाने के बजाय मदद करिए

श्रीदेवी

श्रीदेवी

अमेरिका के बाद अंग्रेज़ी बोलने वालों की संख्या के अनुसार भारत का स्थान दूसरा है। भारत की जनसंख्या की 10% आबादी अंग्रेज़ी बोलती है। भारत की आबादी का बहुत सा हिस्सा ऐसा है, जो अंग्रेज़ी जानते हुए भी नहीं जानती है। मतलब यह है कि इनके लिए आप यह नहीं कह सकते कि इनको अंग्रेज़ी नहीं आती है और ना ही यह कह सकते हैं कि अंग्रेज़ी आती है।

इनको थोड़ी-बहुत अंग्रेज़ी आती है लेकिन इतनी अच्छी नहीं आती है कि फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोल सकें या कोई अंग्रेज़ी अखबार पढ़ सकें। ये लोग किसी से यह भी नहीं कह सकते कि हमको अंग्रेज़ी नहीं आती है और ना ही यह कह सकते हैं कि इनको अंग्रेज़ी आती है। यह संकटमय स्थिति जीवनभर इनके साथ रहती है।

अंग्रेज़ी सीखने के लिए मुकम्मल प्रयास की ज़रूरत

सोशल मीडिया पर मैंने देखा है कि यही वर्ग टूटी-फूटी अंग्रेज़ी बोलकर खुद को अंग्रेज़ी का जानकार घोषित करने का प्रयास करते हैं। मुझे समस्या इस बात से नहीं है कि ये लोग टूटी-फूटी अंग्रेज़ी बोलते हैं क्योंकि अंग्रेज़ी सीखते समय गलतियां होना लाज़मी है। कोई भी एकदम से किसी भी क्षेत्र में धुरंधर नही बनता है, अर्थात गलती करने में कोई शर्म नहीं है।

मुझे समस्या इस बात से है कि ये लोग अंग्रेज़ी सीखने का प्रयास ही नहीं करते हैं और टूटी-फूटी अंग्रेज़ी जीवनभर बोलते और लिखते रहते हैं। अंग्रेज़ी ना आने का इनके पास एक अच्छा बहाना भी होता है, वह यह कि इनकी पढ़ाई का माध्यम हिंदी था और इनका सोशल सर्कल हिंदी भाषियों का है, जिसके कारण अंग्रेज़ी में इनका हाथ तंग है।

इस बहाने का सहारा लेकर लोग अपनी कमज़ोरी छिपा लेते हैं। अगर स्कूलिंग का समय 10 वर्ष है तो जीवन के बाकी बचे वर्षो में जो 60 या 70 वर्ष होते हैं, अगर हम चाहें तो आसानी से अंग्रेज़ी सीख सकते हैं लेकिन ऐसा हम करेंगे नहीं क्योंकि कुछ भी सीखने के लिए मेहनत व दृढ़ इच्छा की ज़रूरत होती है। अंग्रेज़ी सब सीखना चाहते हैं लेकिन सिर्फ जादू की एक पुड़िया के सहारे जो उनको केवल सिर्फ एक रात में अंग्रेज़ी सिखा देगी। मेहनत, दृढ़ इच्छा, धैर्य इन लोगों के लिए बेगाने शब्द हैं।

ज़रूरी है कि आपको अपनी भाषा आनी चाहिए

अगर आप अंग्रेज़ी सीखने का प्रयास करना नहीं चाहते लेकिन अच्छे से अंग्रेजी बोलना व लिखना चाहते हैं तो आपसे निवेदन है कि टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलने-लिखने से बेहतर है अच्छी हिंदी का प्रयोग कीजिए। कोई आपसे यह नहीं कहेगा कि आपने हिंदी में क्यों लिखा या बोला। हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसको लिखने व बोलने में कोई शर्म नहीं है।

आप अपनी अभिव्यक्ति किसी भी भाषा में करें, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपने किस भाषा का प्रयोग किया है, फर्क इससे पड़ता है कि जो बात आप कहना चाहते थे वह दूसरे को अच्छे से समझ आयी या नहीं। अंग्रेज़ी सिर्फ एक भाषा है कोई ज्ञान नहीं। अंग्रेज़ी जैसी हज़ारों भाषाएं विश्वभर में बोली जाती हैं। मतलब ये है कि हिंदी बोलने में कोई बुराई नहीं है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार: pixabay

अब उन लोगों की बात करते हैं जो अंग्रेज़ी सीखने के लिए प्रयासरत हैं। अगर ये लोग लिखने व बोलने में गलतियां करते हैं तो इनको इनकी गलतियों पर नीचा दिखाने की बजाय इनके प्रयासों के लिए इनकी सरहाना कीजिए क्योंकि ये कुछ नया सीखने का प्रयास कर रहे हैं। जो लोग अंग्रेज़ी सीखना चाहते हैं, उनके लिए कुछ टिप्स है, जिससे वे जल्द ही अंग्रेज़ी पर अपनी पकड़ बना सकते हैं।

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