पोल्लाची केस, एक बार फिर ऐसा हुआ कि मैं अंदर तक हिल गयी। बलात्कार एक ऐसा अपराध जिसकी कोई माफी नहीं होनी चाहिए पर हम अपराधियों को सज़ा तक नहीं दिला पाते हैं। बहुत सारे लोग इस बात पर सहमत होंगे कि इंटरनेट की सस्ती उपलब्धता ने नयी पीढ़ी को बिगाड़ दिया है। पर क्या यह सच है? अगर आपको इंटरनेट पर अपने घर की किसी महिला सदस्य से बलात्कार के लिए कहा जाए तो क्या आप आप वो भी करेंगे? नहीं ना? क्योंकि वहां हमारा स्वविवेक काम करने लगता है। फिर बाकी महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार करने से पहले हम क्यों नहीं सोचते।
बलात्कार एक ऐसा अपराध है जिसको सर्वाइवर की नज़र से देखा जाए तो ज़िन्दगी का हर उपदेश झूठा लगता है। जैसे आप हिन्दू धर्मग्रन्थ गीता का उपदेश ही ले लीजिये, “जो हुआ अच्छा हुआ”, क्या एक सर्वाइवर या फिर आप एक तीसरे व्यक्ति की तरह ऐसा उस सर्वाइवर के लिए सोच सकते हैं? किसी भी धर्मगुरु या बाबा के पास एक बलात्कार सर्वाइवर को समझाने के लिए कोई उपदेश नहीं होगा। उसे सिर्फ ये समझाया जा सकता है कि जो हुआ उसमे उसकी कोई गलती नहीं थी।
यह एक ऐसा अपराध है जो मेरे अंदर छुपे नास्तिक को बार-बार बाहर आने पर मजबूर करता है। पर ये सोच कर भगवान के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं कि अब तक बचाये हो आगे भी बचा लेना भगवान हमें। हम जब तक बचे हैं तब तक हम मिडिल क्लास कुछ नहीं करते, क्योंकि रोटी, कपड़ा, मकान की जद्दोजहद से ऊपर उठना हमारे लिए शायद संभव ही नहीं।
अब आते हैं टॉपिक पर, क्या किसी अपराध को समूल नष्ट किया जा सकता है? जवाब है, नहीं। पर हां, किसी भी बुराई को काफी हद तक कम ज़रूर किया जा सकता है। क्या मुझ जैसी युवा माएं अपने बेटों को उनके साथ बड़ी होती बेटियों की इज्ज़त करना और उन्हें बराबरी का हक देना सिखाकर कुछ कर सकती हैं? हां यह सही रहेगा पर क्या इससे स्थिति बदल जायेगी? मेरे अपने विचार और कई केस पढ़ने के बाद मुझे लगा कि बलात्कार जैसे अपराधों में या तो गरीब तबका या फिर ऐसा अमीर तबका संलिप्त होता है जिनके लड़कों को बचपन से ही पता होता है कि उनके घरवालों के पास पावर और पैसा है।
उदाहरण के लिए पोल्लाची केस और 16 दिसंबर केस। आपने (मिडिल क्लास को सम्बोधित) कम ही सुना होगा कि आपके पड़ोस का कोई लड़का किसी गंभीर अपराध में पकड़ा गया है। पर आपमें से बहुत लोगों ने अपनी कामवाली बाई को अपने शराबी पति की कहानी सुनाते हुए सुना होगा या फिर अपने क्षेत्र के किसी नेता के बेटे या रिश्तेदारों का कोई ना कोई कारनामा सुनते रहते होंगे। हालांकि बहुत परिवारों में औरतों की बात नहीं सुनी जाती लेकिन इसमें गरीब और अमीर तबकों का प्रतिशत ज़्यादा होगा।
हम मिडिल क्लास माँएं सिर्फ एक कोशिश कर सकती हैं। तुमसे कोई क्रांति करने को नहीं कह रही कम से कम ये तो करना। एक लड़के की मिडिल क्लास माँ को भारत की सारी माँओं, जिन्हें भगवान ने पुत्ररत्न दिया है उन्हें यह खुला खत।