दुनिया तरक्की की राह पर है, सबकुछ तकनीकों पर आधारित हो गया है। कोई भी इस बदलती दुनिया से अछूता नहीं है, ना बच्चे, ना बूढ़े, ना युवा, सब अपने हिसाब से समझौता कर रहे हैं।
यह समझौता केवल व्यावसायिक दुनिया से ही नहीं बल्कि निजी ज़िन्दगी के साथ भी हो रहा है, क्योंकि आप कितनी भी कोशिश कर लीजिये निजी जीवन आपके व्यावसायिक जीवन से अछूता नहीं रह सकता है। इसका प्रभाव हमारे संबंधों और हमारे व्यक्तिगत जीवन पर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से पड़ता है।
मैं खुद भी एक वर्किंग प्रोफेशनल यानी पेशेवर लड़की हूं और इन सब व्यावसायिक प्रभावों और इनसे होने वाले दबावों को मैंने बहुत नज़दीक से देखा और जीया है और मैं ही क्यों मेरे आस-पास हर दूसरे युवा को भी मैं इसी स्थिति में पाती हूं। कदम-दर-कदम आगे बढ़ना बहुत उत्साह और खुशी देता है और अच्छा लगता है अपने से जुड़े लोगों के चेहरे पर भी वह खुशी देखना और बांटना।
इन सबके साथ आता है एक दबाव कि ये सब जो अभी इतना सकारात्मक है, इसे अब बनाए रखना है, इसे और आगे लेकर जाना है। इस दबाव में ज़िन्दगी ऐसी हो जाती है कि एक दिन भी ज़रा कहीं कुछ खराब घटा नहीं कि ऐसा लगता है जैसे सारे सपने ज़मीन पर आ गए और यहीं से शुरू हो जाता है असमंजस। इसलिए खुद को समझाना बहुत ज़रूरी है कि जो भी व्यावसायिक जीवन में चुनौतियां हैं, वह सब बस अस्थायी यानी थोड़े समय के लिए है और जहान उससे आगे भी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भी विश्वभर में लगभग 18% लोग किसी ना किसी प्रकार के तनाव, व्याकुलता/चिंता, नशा या अन्य किसी प्रकार की मानसिक तनाव और दबावों की स्थिति से गुज़र रहे हैं। यह स्थिति दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। यहां मैं हम युवाओं के व्यावसायिक जीवन के कारण आने वाले दबावों और अपेक्षाओं का उल्लेख कर रही हूं, जिनमें मुख्य रूप से कार्य स्थल पर काम के अवसरों को लेकर होने वाली अनिश्चितता, आपसी प्रतिस्पर्धा या होड़ के कारण आने वाले दबाव हैं।
विशेष रूप से निजी संस्थानों में स्थिति ज़्यादा खराब है, जहां आप अनिश्चित हैं, यह सोचकर कि आप अपनी योग्यता व क्षमता के अनुसार या उससे बढ़कर ही काम कर रहे हैं, फिर भी आपको यह पता नहीं होता कि कितने समय तक यह काम करने का अवसर आपके पास है या होड़ में आप पीछे रह गए तो क्या होगा? सारा का सारा अनुभव और योग्यता धरी की धरी तो नहीं रह जाएगी? ये सभी प्रश्न आंखों के सामने आने लगते हैं।
यहां उस प्रश्न का तो ज़िक्र भी नहीं कर रही मैं कि आपने जो कार्य या नौकरी चुनी है, वो आपके सपने या महत्वकांक्षा के अनुसार है या नहीं। पर गारंटी यहां अपने सपनों के अनुसार चुने गए पेशे की भी नहीं है, क्योंकि अगर आप अपनी पसंद और महत्वकांक्षा के अनुरूप किसी पेशे में हैं तो भी अनिश्चितता, प्रतिस्पर्धा और होड़ आप पर मानसिक दबाव डालते हैं।
कई बार इतना दबाव कि आप उन लोगों से भी कटने लग जाते हैं, जो आपके सबसे प्यारे होते हैं या जो आपके सपने के पूरा होने में हमेशा आपके साथ थे और हैं। हालांकि, अब कई कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी गतिविधियां होने लगी हैं परन्तु अभी भी अधिकतर कार्यस्थलों पर यह संभव नहीं हो पाया है।
इन परिस्थितियों में कैसे हो तनाव मुक्त
- कार्यस्थल पर अपने जैसे और भी लोग जिनकी रुचियां और परिस्थितियां आपसे मेल खाती हैं, उनसे चर्चा और हल्के फुल्के क्षण बांट करके तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कई बार ये चर्चाएं आपको नए रास्ते और महत्वपूर्ण सुझाव भी दे जाती हैं। कार्यस्थल पर बने दोस्त काफी हद तक आपकी स्थिति को समझ पाते हैं, इसीलिए ज़रूरी है कि उनसे बात की जाए।
- सकारात्मक सोच रखें, क्योंकि हर परिस्थिति आपको कुछ नया सिखाती है पर इसका अर्थ यह नहीं है कि आप तनाव अधिक होने पर किसी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी किसी विशेषज्ञ से सम्पर्क ना करें। जहां ज़रूरी लगता है, वहां मानसिक स्वास्थ्य संबंधी किसी विशेषज्ञ से संपर्क ज़रूर करें।
- अपनी पेशेवर ज़िन्दगी से अलग कुछ समय अपने लिए ज़रूर निकाले, जो समय केवल आपका अपना हो, जहां आप गहरी सांस ले सकें, मन को शांत कर सकें।
- पेशेवर दबाव और तनाव के क्षणों में जब भी ज़रूरी लगता है बात करें उन लोगों से जो आपके करीब हैं, उनके साथ समय बिताएं।
- आपकी केवल एक ही क्षमता नहीं होती है बल्कि हम सभी कई प्रकार की विशेषताएं रखते हैं, तो अपनी उन क्षमताओं को पहचाने और समय निकाले उन पर काम करने के लिए।