कई बार जब आप अपना फेसबुक लॉग-इन करते होंगे तो फेसबुक वॉल को थोड़ा ऊपर-नीचे करते ही सामने एक दो लड़कियों की तस्वीरें आ ही जाती होंगी। आम तौर पर वे तस्वीरें एक साधारण सी लड़की की होती है और साथ में लिखा होता है, “मैं गरीब हूं, मेरी फोटो कोई शेयर नहीं करता” या फिर एक बेहद खूबसूरत लड़की की तस्वीर के साथ लिखा होता है, “क्या आपको मेरा व्हाट्सएप्प नंबर चाहिए”? कुछ तस्वीरों के साथ लिखा होता है, “मेरा कोई दोस्त या बॉयफ्रेंड नहीं है। क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे?”
ध्यान से देखें तो इन सभी तस्वीरों पर हज़ारों और लाखों की संख्या में लाइक और शेयर मिलते हैं। पिछले दिनों मैंने कई फेसबुक पेजों पर ऐसे लोगों की संख्या देखी तो हैरान रह गया। फेसबुक पर “नेहा कुमारी” के नाम से एक पेज है। इस पेज को लाखों लोगों ने लाइक किया है।
अब इस नेहा कुमारी के पेज पर एक फोटो पोस्ट होता है। फोटो एक लड़की की थी। उम्र यही कोई बीस-इक्कीस वर्ष के आस-पास होगी। फोटो के साथ अंग्रेज़ी में सिर्फ “हैलो” लिखा था। मैं यह देख कर दंग रह गया कि इस एक फोटो को 1 लाख 15 हज़ार लोगों ने पसंद किया, 14 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने इस पर अपनी बेशर्मी भरी राय भी रखी और गज़ब यह भी था कि 5 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने इसे अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर भी किया।
यह कुछ ऐसा ही है जैसे देश में किसी भी सरकारी पद के लिए रिक्तियां निकलती हैं तो पद अगर सौ या दो सौ भी है, तो आवेदन लाखों में जमा होते हैं और हर आवेदक यही सोच रहा होता है कि क्या पता उसका चयन हो जाए। यह बड़ी संख्या सिर्फ रोज़गार में ही नहीं है बल्कि ध्यानपूर्वक देखा जाए तो आजकल प्रेम भी इसी श्रेणी में आ रहा है।
इसके बाद “नेहा कुमारी” की पोस्ट पर एक कॉमेंट आता है, “आज मेरी पोस्ट पर कुंवारे लड़कों को दवा पिलाई जाएगी, जिससे उनको जल्दी से गर्लफ्रेंड मिल जाए।” इस कमेंट के आते ही दवा पीने वालों की भीड़ रोज़गार मांगने वालों से ज़्यादा हो गई। यही नहीं, इससे अगली पोस्ट पर एक लड़की के फोटो के साथ लिखा था, “मैं कैसी हूं।” यहां भी जिस्म की नुमाइश करने वाले आवेदक लाखों की संख्या में मौजूद थे।
ऐसा ही हाल एक दूसरे पेज “पूजा कुमारी” का था। वहां भी एक लड़की के फोटो के साथ लिखा था,“मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है। क्या आपका व्हाट्सएप नम्बर मिलेगा दोस्ती करने के लिए?”
बस फिर क्या था, सभी तन्हा और अकेले आवेदक भारी संख्या में अपने-अपने आवेदन लेकर उपस्थित हो गए। लाइक और शेयर के अलावा कमेंट बॉक्स में मोबाइल नम्बर की लाइन लग गई।
फिर एक के बाद एक मैंने ऐसे बहुत सारे पेज खंगाले। कोई किसी लड़की तो कोई किसी भाभी के नाम से थे, जिन पर कथित देवरों की संख्या हज़ारों और लाखों में आवेदन लिए खड़ी थी। ये आवेदन प्रेम के थे या आलिंगन के यह आप सब भली-भांति समझते हैं।
असल में सोशल मीडिया और खासकर फेसबुक पर एक बहुत बड़ी भीड़ जमा है जो किसी न्यूज़, ब्लॉग, समाज सेवा या लोक कल्याण की जागृति के पेज लाइक करने की बजाय इस तरह के पेजों को लाइक और शेयर करके अपने इंटरनेट डाटा का दुरुपयोग करते हैं।
फेसबुक का सही उपयोग किया जाए तो वहां आप किसी भी विषय की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। लोग अपने मुताबिक न्यूज़, ब्लॉग और आर्टिकल पढ़ सकते हैं और अन्य सामान्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से इन पेजों को प्रोत्साहन भी मिलेगा ताकि वे देश, समाज, युवा एवं महिलाओं के जीवन की सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक आदि परेशानियों को ज़्यादा से ज़्यादा उठाकर सामाजिक उन्नति की ओर ले जाए।
इसके विपरीत एक लड़की की फोटो पर लाखों की संख्या में लाइक, शेयर और कमेंट जिस तरीके से आ रहे हैं, उससे सोशल मीडिया का भला हो सकता है लेकिन समाज का क्या भला होगा?
आपने कभी सोचा है कि इन पेजों पर लड़कियों की ये तस्वीरें कहां से आ रही हैं? पिछले दिनों खबर आई थी कि ऐसे पेजों को चलाने वाले लोग दरअसल फेसबुक से लड़कियों की तस्वीरें चुराते हैं और कई बार तो सार्वजनिक जगहों पर लड़कियों की तस्वीरें भी खींचते हैं और उन्हें पेज के प्रबंधकों को भेजते हैं। विशेषज्ञों का तो यह भी मानना है कि भारत में फेसबुक पर 40% से ज़्यादा महिलाएं इस तरह के अपराध से परेशान हैं।
केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि जब इन पेजों की तस्वीरों पर व्हाट्सएप नंबर मांगे जाते हैं तो पुरुषषों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सुनने में आया है कि फेसबुक और व्हाट्सएप के ज़रिये राजनीतिक दल लोगों तक पहुंचने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे हैं। इन लोगों के नंबर आसानी से इन राजनीतिक दलों को बेच दिए जाते हैं। कई कंपनियां भी अपना ग्राहक समूह बढ़ाने के लिए इन मोबाइल नम्बरों का इस्तेमाल करती हैं।
महिलाओं और पुरुषों दोनों को यह समझना होगा कि इसमें नुकसान दोनों का है और दूसरे लोग उनका फायदा उठा रहे हैं। महिलाओं को यह ध्यान रखना होगा कि महिला होने के नाते वे अपनी सामाजिक बराबरी, शिक्षा और स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दें और उन महिलाओं की आवाज़ बने जो सोशल मीडिया की पहुंच से दूर हैं।
पुरुष भी अपने राजनीतिक और सामाजिक विचारों के साथ उन महिलाओं और सामाजिक पेजों को प्राथमिकता दें, जो समाज को जगाने का कार्य कर रहे हैं। पुरुषों को उन पेजों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देना चाहिए जो कुंवारे लोगों को गर्लफ्रेंड मिलने की दवा पिला रहे हैं।