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अगर BJP फिर से सत्ता में आती है तो क्या पुराने वादों के साथ न्याय होगा?

बीजेपी मैनिफेस्टो

बीजेपी मैनिफेस्टो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी 2014 में विकास की बात करते थे, जो एक तरह से ठीक भी था। 2019 में ऐसी क्या बात हुई कि मोदी जी को राष्ट्रवाद का सहारा लेना पड़ा। यह सवाल बीजेपी के मैनिफेस्टो रिलीज़ होने के बाद खड़ा हुआ है।

अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने पारंपरिक मुद्दों को सामने रखा है। राम मंदिर, आर्टिकल 370, 35 A और कश्मीरी पंडित जैसे मुद्दों को फिर से दोहराया गया है।

2022 तक किसानों की आमदनी डबल करने का वादा किया गया है। खैर, यह वादा 2014 में भी किया गया था, जिसके लिए खेती का विकास 14% की दर से होने की ज़रूरत है। मेरे हिसाब से यह एक असंभव कार्य है।

60 साल से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन देने की बात कही गई है लेकिन कितने रुपए दिए जाएंगे इसका कोई उल्लेख नहीं है। 75 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का वादा किया गया है। वादा अच्छा है लेकिन वादाखिलाफी हो तो अच्छी बात नहीं है।

2014 में बीजेपी ने कहा था कि शिक्षा पर जीडीपी का 6% खर्च किया जाएगा। सच्चाई यह है कि सिर्फ 2.7 % रकम ही खर्च की गई। रोज़गार पर कोई बात नहीं की गई है लेकिन स्वरोज़गार पर ज़रूर ज़ोर दिया गया है। गवर्नमेंट जॉब पर कोई बात नहीं की गई है।

गाय, ब्लैक मनी और मुसलमानों के मुद्दों पर भी कोइ बात नहीं की गई हैं। राष्ट्रवाद पर ज़ोर दिया गया है। 2014 से लेकर 2019 तक मैनिफेस्टो में काफी बदलाव नज़र आ रहा है। इस बार हर तरफ मोदी छाए हुए हैं। वाजपेयी जी की फोटो बैक कवर पर प्रकाशित की गई है। पहली बार मैनिफेस्टो रिलीज़ करते हुए मंच पर आडवाणी और जोशी नज़र नहीं आए।

नरेन्द्र मोदी और अमित शाह। फोटो साभार: फेसबुक

काँग्रेस की तुलना में बीजेपी का मैनिफेस्टो समझने में काफी आसान है। बहुत सी बातों में यह कहा गया है कि हम प्रयास करेंगे। बहुत सी बातें गोलमाल तरीके से कही गई हैं। 2014 के वादों का क्या हुआ, इसकी कोई बात नहीं है जबकि इस बात को रखना चाहिए था।

क्या बीजेपी खुद की नाकामयाबी को राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तान के पीछे छुपाना चाहती है? इस वक्त एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते बीजेपी और काँग्रेस दोनों के मैनिफेस्टो को पढ़िये।

मसला यहां पर यह है कि बीजेपी और काँग्रेस दोनों ही पार्टियों ने जिस प्रकार से अपने मैनिफेस्टो में बड़े-बड़े वादे किए हैं, उन्हें पूरा करने के लिए रकम की पूर्ति कैसे होगी?

प्रधानमंत्री कभी 2022 की बात करते हैं तो कभी 2047 का राग आलापने लगते हैं। क्या उनके पास वर्तमान में बताने के लिए कुछ भी नहीं है? 2014 में बीजेपी ने जो वादे किए थे, उनमें ज़्यादातर वादे पूरे नहीं हो सके हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगर बीजेपी सरकार फिर से सत्ता पर काबिज़ होती है, तो क्या वह पुराने और मौजूदा मैनिफेस्टो के वादों को पूरा कर पाएगी? या फिर नए जुमले ही देखने को मिलेंगे।

संदर्भ- बीजेपी मैनिफेस्टो

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