देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं। भामाशाह योजना जैसी अभूतपूर्व योजना के ज़रिये राजस्थान सरकार ने महिला उत्थान और सशक्तिकरण की एक अनूठी मिसाल पेश की है।
आइए महिलाओं की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पंख लगाने वाली ऐसी ही कुछ योजनाओं के बारे में जानें।
महिलाओं को पावर वुमन बनाना
राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा 15 अगस्त, 2014 को इस योजना की शुरुआत की गई थी, जो राज्य की डेढ़ करोड़ से भी ज़्यादा महिलाओं के लिए वित्तीय आज़ादी के रूप में प्रचारित हुई।
इस योजना का लक्ष्य महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। इसके साथ ही सरकारी पेंशन और नरेगा जैसी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थी के खाते में भी पहुंचाना है।
महिलाओं के सिर बंधी ‘परिवार की पगड़ी’
इस योजना के तहत महिलाएं परिवार की मुखिया होती हैं और उन्हीं के नाम पर बैंक खाता खोला जाता है, जिसमें परिवार को मिलने वाले सभी सरकारी लाभ सीधे और पारदर्शी तरीके से उनके खाते में पहुंचाए जाते हैं।
सरकार की ओर से नामांकित सभी बीपीएल, स्टेट बीपीएल, अन्त्योदय और अन्नपूर्णा में चुने गए परिवारों की महिला मुखिया के बैंक खाते में सहायता राशि के रूप में एक बार 2000 रुपये जमा कराए जाते हैं।
बैंक खाते में मिलता है ‘पाई-पाई का हिसाब
इस योजना के तहत परिवार की मुखिया महिला के नामांकन के साथ उसके परिवार के दूसरे सदस्यों से जुड़ी जानकारी भी जोड़ी जाती है। ऐसी सरकारी योजनाएं जिसमें परिवार का कोई भी सदस्य हकदार है। उससे जुड़ी जानकारी और लाभार्थियों का बैंक खाता भामाशाह से जोड़ दिया जाता है, जिससे सरकारी योजना का लाभ सीधा खाते में पहुंच जाता है।
पैसा निकालना भी है ‘एकदम आसान’
इस योजना से जुड़ी हर लाभार्थी को रुपे एटीएम कार्ड भी दिया है, जिससे वह नज़दीकी बी.सी. केंद्र से पैसे निकाल सकती हैं। इस व्यवस्था को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने 35,000 बी.सी. केंद्र भी बनाएं हैं।
लेन-देन की सूचना का ‘तुरंत अलर्ट’
इस योजना के अंतर्गत खाते में पैसे आने की सूचना लाभार्थी को मोबाइल पर एसएमएस के ज़रिये मिल जाती है। साथ ही सूचना का अधिकार और भामाशाह ऐप्लिकेशन के ज़रिये भी सरकारी योजनाओं के बारे में जान सकते हैं।
भ्रष्टाचार पर कसी ‘नकेल’, कालाबाज़ारी हुई ‘फेल’
आमतौर पर सरकारी योजनाओं जैसे-पेंशन, छात्रवृत्ति और नरेगा आदि की रकम का फायदा उठाने के लिए लाभार्थी को कई बिचौलियों के चंगुल में फंसना पड़ता है लेकिन ‘भामाशाह योजना’ के ज़रिये बिना किसी परेशानी के नकद लाभ लाभार्थी के खाते में पहुंच जाता है।
आजकल राशन की दुकानों पर भी बायोमेट्रिक मशीन के ज़रिये पहचान करके गैर-नकद लाभ दिए जा रहे हैं, जिससे व्यवस्था में पारदर्शिता आई है और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में भी मदद मिली है।
योजना में नामांकन होता है चुटकियों में
इस योजना के लिए नामांकन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है। ऑफलाइन आवेदन के लिए समय-समय पर ग्राम पंचायतों और शहर के वार्डों में शिविरों का आयोजन किया जाता है। ऑनलाइन नामांकन ‘भामाशाह पोर्टल’ एवं ‘ई-मित्र सेवा केंद्र’ पर होता है।
पात्रता पर लगती है आसानी से ‘मुहर’
ग्राम पंचायतों और शहरों के वार्डों में खुले ऑनलाइन सेंटर्स के ज़रिये निःशुल्क आवेदन किया जाता है। जिसमें आवेदक को अपने परिवार के सदस्यों का नाम, पता, आधार कार्ड और विभिन्न सरकारी योजनाओं की पात्रता बतानी होती है। इसके साथ ही खाते की जानकारी भी ज़रूरी होती है। इन जानकारियों का सत्यापन ग्राम सचिव या पटवारी करते हैं।
इस योजना के आलावा भी सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने, सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं, जिससे महिलाओं को अपने सपनों की उड़ान भरने में मदद मिले। जैसे- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना और सुकन्या समृद्धि योजना आदि।