आजकल चुनाव का माहौल है। हर जगह सिर्फ चुनाव की बातें हो रही हैं लेकिन इन सब बातों में कहीं ना कहीं हम अपनी मुख्य ज़रूरतों से भटक रहे हैं। एक महिला होने के नाते इस चुनाव में महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा के आधार पर ही मेरा वोट होगा।
आजकल काफी लोग सड़कों पर जुलूस निकाल रहे हैं। वे लोग क्या ऐसे हम महिलाओं को सशक्त करेंगे? मुझे लगता है महिलाएं सशक्त हैं। उन्हें सहयोग और मौके की ज़रूरत है।
हर बात के लिए सड़कों पर आना या बहस करना उपाय नहीं है। जब तक महिलाएं खुद एक दूसरे का समर्थन नहीं करेंगी तब तक यह सिर्फ एक चुनावी मुद्दा और बहस बनकर रहेगा।
ज़िम्मेदार देश के लिए ज़िम्मेदार नागरिक
लोग अक्सर नेता और उनकी पार्टी की आलोचना करते हैं लेकिन जब वोट देने की बात आती है, तो उसे छुट्टी का दिन मान लेते हैं। जबकि ज़िम्मेदार देश बनाने के लिए नागरिकों को भी ज़िम्मेदार बनना होगा।
कुछ समय पहले हुए आतंकवादी हमले में वीर जवानों की शहादत की खबर आई। कुछ वक्त के लिए लोग दुखी हुए और सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा दिखाकर भूल गए। यह बात भले कड़वी लगे लेकिन यही सच्चाई है।
हमारे देश में लोगों की याददाश्त बहुत कमज़ोर है। यहां लोग सिर्फ एक ट्रेंड को अपनाते हैं जबकि ज़रूरत है ज़िम्मेदार नागरिक बनने, बातों की गहराई समझने और खुद में एक बदलाव लाने की।
देश के वीर जवानों को हम सिर्फ युद्ध की परिस्थिति में ही याद करते हैं और शहीदों के लिए सोशल मीडिया पर ‘जय हिन्द’ लिखकर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर लेते हैं।
आने वाली पीढ़ी है अहम मुद्दा
सबसे अहम मुद्दा हमारे बच्चे या यूं कहे कि हमारी आने वाली पीढ़ी है। कहा जाता है कि हमारे बच्चे वही सिखते हैं, जो हम करते हैं। अक्सर सुनने में आता है कि बच्चे ज़िम्मेदार नहीं हैं, हमारी बात नहीं सुनते लेकिन क्या आप कभी यह सोचते हैं कि हम उनके सामने क्या उदाहरण पेश करते हैं।
हमें एक अच्छा देश और अच्छा भविष्य चाहिए तो हमें अपने आज पर मेहनत करनी होगी। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को एक अच्छा और स्वस्थ माहौल दे सकें।
ज़िम्मेदार बनें वोट करें
वोट ज़रूर दें और सुनिश्चित करें कि आपके आस-पास कोई रह ना जाए। वोट देते समय भावनाओं का नहीं दिमाग का इस्तेमाल करें। 5 साल में हमें यह मौका मिलता है कि अपना देश कैसा बनाना है। जिस प्रकार आप घर-परिवार के लिए मेहनत करते हैं, उसी प्रकार इस एक दिन मेहनत कीजिए। ‘वोट कीजिए और जिम्मेदार बनिये’ सिर्फ कहने से नहीं होगा, बदलाव के लिए सभी को काम करना पड़ेगा।