डियर मोदी जी,
कल भाजपा का संकल्प-पत्र प्रकाशित होते ही बड़े उत्साह के साथ हमने उसेे पढ़ा। इस दौरान हमें 2014 के आपके तमाम वादे याद आ गए। हमें याद है 2014 का चुनाव, जब हम सब काँग्रेस के दूसरे टर्म के घोटलों से त्रस्त थे, तब आपका पूर्ण बहुमत से जीतना हमारे घर में किसी त्यौहार जैसी खुशी का माहौल बना गया था।
आपके भाषण की शैली और बातों ने हम सब का दिल तो चुनाव के पहले ही जीत लिया था लेकिन अब बारी थी कि आप अपने कामों के ज़रिये हमारा दिल जीतते, जिसमें आप बेवफा निकले।
मोदी जी, हम जिस परिवार से आते हैं, वहां संघ और भाजपा के अलावा किसी और राजनीतिक दल का नाम भी नहीं लिया जाता है। ऐसे में गाय, गंगा और राम-मंदिर के मुद्दे गरीबी, शिक्षा और बेरोज़गारी से भी ज़्यादा महत्व रखते हैं।
मेरी चाची इंटर पास है, जो 60 वर्षीय घरेलू महिला होने के साथ-साथ भापजा की वोटर भी रही हैं। चाची से हमने आपके बीते पांच सालों के काम पर बात की, जिस पर उन्होंने बड़ी निराशा जताते हुए कहा, “समस्त देवी देवताओं से कामना किए थे कि 2014 में मोदी जी चुनाव जीतकर आएं लेकिन अब लगता है हम ठगा गए हैं।”
क्योंकि गंगा तो निर्मल हो ही नहीं पाई है और पटना के घाटों पर पहले से भी बदतर हाल में नाले की तरह गंगा बेचारी परिवर्तित हो गई है। गंगा मईया के साथ गौ माता के नाम पर भी खूब राजनीति हुई और ना जाने देश भर में कितने इकलाख मारे गए लेकिन पटना में सैकड़ों गौशालों के रहते सड़कों पर कूड़े-कचरों के ढेर पर बेचारी कचरा पागुड़ करती गाय हर जगह देखने को मिल जाती है।
इन गाय के मालिक रोज़ सुबह इंजेक्शन देकर दूध निकालकर अपना बिज़नेस करते हैं लेकिन उनके बीमार होने पर कसाई के हाथों कौड़ियों में बेच देते हैं। कोई अपनी बूढ़ी या लाचार माँ को बेघर करता है क्या? फिर आपके रहते हमारे यहाँ गंगा माँ और गौ माता दोनों की दशा क्यों नहीं सुधरी?
चलिए अब उस विवादित राम मंदिर की बात कर लेते हैं, जो आज भी हम जैसे हिंदुओं के स्वर्णिम स्वप्न में समाहित हैं और आपके पांच सालों के शासनकाल के बाद भी रामलला टेंट में ही हैं।
बनारस की पावन धरती से चुनाव जीतकर क्योटा बनाने की बात कही थी आपने लेकिन घोटालेबाज़ इंजीनियर के हाथों पुल निर्माण कार्य सौंपकर पुल ही गिरवा दिया और दर्जनों निर्दोषों की जान चली गई।
हर-हर महादेव के तर्ज़ पर हर-हर मोदी का हम नारा बुलंद किए और आप आतंकवाद खत्म करने के नाम पर नोटबंदी करने के बावजूद सैकड़ों सिपाहियों को सरहद पर मरते देखते रहे हैं।
56 इंच के सीने वाले विराट मोदी जी आप महंगाई कम करने की बात करते थे लेकिन रसोई गैस की कीमत से लेकर पेट्रॉल और डीजल तक महंगा हो गया। खैर, इन चीजों की कीमतों का घटना या बढ़ना तो इंटरनेशनल मार्केट के रेट पर निर्भर करता है लेकिन हम खादी का कपड़ा पहनना पसंद करते हैं और देशी खादी भंडार से सस्ती कीमत पर खादी इंटरनेशनल ब्रैंड के स्टोर पर उपलब्ध हो जाती हैं।
बापू के जन्मदिन पर ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू हुआ, आपके इस अभियान से दिल गदगद था लेकिन जिस पटना शहर ने भाजपा को सांसद दिए हैं, वहां मार्केट से लेकर सड़कों के किनारे, पटना विश्वविद्यालय से लेकर पटना हाई कोर्ट और राज्यपाल के कार्यालय तक हम महिलाओं के शौचालय आज भी नही हैं।
आपके मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे, अरूण जेटली, अमित शाह, सुरेश प्रभु, पीयूष गोयल, नारायण राणे, एम.जे.अकबर, विजय गोयल, राजीव चंद्रशेखर, प्रकाश जावेड़कर, धावरचंद गहलौत, मुख्तार अब्बास नकवी, निर्मला सीता रमन और स्मृति ईरानी ऐसे मंत्री हुए, जो उन 282 लोगों में नहीं थे, जो 2014 का चुनाव जीते हैं।
मतलब जिसे जनता ने नकारा उसे आपने स्वीकारा और हमारे पटना साहिब से जीते सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, जिनके पास कई मंत्रालयों को सम्भालने का अनुभव था, उन्हें किनारा करके आपने पटना के भाजपाईयों के अभिमान को ठेस पहुंचाया।
अभिमान से याद आया मेजर अभिनन्दन के पाकिस्तान से वापसी का आप खूब क्रेडिट बटोर रहे हैं लेकिन बीते पांच सालों में मारे गए सिपाहियों के परिवारों के लिए आपने कोई मुक्कमल इंतजाम नही किया है।
2018 से पहले देश हिंदू-मुस्लिम के नाम पर बंट जाता था लेकिन 2018 में सवर्ण और दलित के नाम पर खूब राजनीति हुई और हिंदू आपस में बंट गए। चुनाव से ठीक पहले क्या पता कैसे चमत्कार करते हुए आप 10% गरीब सवर्ण आरक्षण दे दिए लेकिन हम महिलाओं के 33% आरक्षण पर आप चुप रह गए।
मोदी जी, हम आपके आलोचक नहीं हैं और आपकी निंदा तो कभी कर ही नहीं सकते क्योंकि हम भक्त हैं लेकिन आपने बीते दिनों कई मुद्दों पर वादाखिलाफी की है, जिसे इस चुनावी मौसम में हम बस याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।