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डेरेक की मासूमियत हमें आश्वस्त करती है कि आने वाली पीढ़ियां हमसे बेहतर होगी

मिज़ोरम राज्य की राजधानी आइजॉल में एक छोटा सा इलाका है सैरंग। इस इलाके की कुल आबादी है लगभग 5000। इस छोटे से शहर में एक छोटा सा बच्चा रहता है, डेरेक। आज डेरेक दुनियाभर में जाना जाने लगा है।

आइए जानते हैं डेरेक की कहानी-

हुआ कुछ यूं कि 6 बरस के डेरेक सी लालचनहिमा अपनी छोटी सी साइकिल से कहीं जा रहे थे। डेरेक ने गलती से अपनी साइकिल अपने पड़ोसी के एक नन्हे से चूज़े पर चढ़ा दी। डेरेक इससे बुरी तरह घबरा गए। चूज़े को हाथ में उठाया और भागे-भागे घर आए। अपने माता-पिता से चूज़े को अस्पताल ले जाने की ज़िद की। माँ-बाप नहीं माने। डेरेक ने अपनी सारी जमा-पूंजी एक हाथ में दबाई और दूसरे में हाथ में चूज़े को उठाया और भागते हुए अपने इलाके के सबसे नज़दीकी अस्पताल पहुंच गए।

चूज़े को अस्पताल लेकर पहुंचे डेरेक-

डेरेक जब अपनी सारी जमा-पूंजी (कुल मिला कर 10 रुपए) लेकर अस्पताल पहुंचे तब तक चूज़ा दम तोड़ चुका था। इसी बीच सांगा सेस नामक एक फेसबूक यूज़र ने डेरेक की एक तस्वीर निकाल ली। इस तस्वीर को सांगा सेस ने अपनी टाइमलाइन पर शेयर भी किया। इसके बाद दुनियाभर से इस तस्वीर पर तरह-तरह के कमेंट्स और रिऐक्शन आने लगे।

इस तस्वीर में जो बच्चा दिखाई दे रहा है, वो है डेरेक। इस बच्चे के बाएं हाथ में जो चूज़ा दिखाई दे रहा है, वो है आज की तारीख में दुनिया का सबसे मशहूर चूज़ा। बच्चे की दाएं हाथ में है उसकी सारी संपत्ति, 10 रुपए। मेरी नज़र में यह तस्वीर इस वक्त दुनिया की सबसे मनमोहक तस्वीर है और इसमें जो बच्चा है, वो है मेरी नज़र में दुनिया का सबसे अमीर शख्स।

यह तस्वीर है इस वक्त दुनिया की सबसे मनमोहक तस्वीर-

इस तस्वीर में सबकुछ है। इसमें बच्चे का अपराधबोध है, मासूमियत है, चिंता है, डर है, प्यार है और सबसे बढ़कर मानवतावाद है। इस तस्वीर को करीब 91 हज़ार लोगों ने शेयर किया है। मामले के प्रकाश में आने के बाद, डेरेक को उनके स्कूल ने भी शॉल और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया है।

इस तस्वीर को देखकर लगता है कि काश इस दुनिया में सबकुछ इतना ही मासूम और निर्मल होता। भारत में चुनावों की तपती दोपहरी के बीच, यह खबर मेरे लिए झमाझम बारिश सरीखी ठंडक लाई है। हम सबको इस बच्चे से ना सिर्फ सिखने की ज़रूरत है, बल्कि उसके अंदर चल रही भावनाओं को भी समझने की ज़रूरत है।

आज के समय में जब कोई किसी पर गाड़ी चढ़ाकर भी निकल जाए तो लोग पूछने नहीं जाते, ऐसे समय में डेरेक ने जिस ज़िम्मेदारी और सूझबूझ का परिचय दिया है, वो वाकई हमें तसल्ली देता है कि आने वाली पीढ़ियां (जिसमें डेरेक जैसे बच्चे शामिल हो) हमसे बेहतर मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों को समझती हैं। आज के दौर में जब छोटी-छोटी बात पर दंगे और फसाद की नौबत आ जाती है, ऐसे में यह बच्चा ही मेरी नज़र में एक सच्चा शांतिदूत है।

ईश्वर इसकी मासूमियत हमेशा बरकरार रखे।

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