किसी भी जवान का कर्त्तव्य देश को दुश्मनों से बचाना और ज़रूरत पड़ने पर दुश्मनों को खत्म करना होता है लेकिन अगर वह दुश्मन की ज़मीन पर गलती से चले जाएं तो उस जवान के लिए वह वक्त संजीदा हो जाता है, जहां उनके ज़िन्दा रहने पर भी संशय बना रहता है।
लेकिन परमात्मा का शुक्र है कि विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने 3 दिन के भीतर ही भारत को सौंप दिया है, जिससे पूरा देश खुशी और उल्लास में है। किस तरह विंग कमांडर पाकिस्तान की ज़मीन पर गिरे और गिरने के बाद का वक्त कैसा रहा होगा यह सोचकर हर भारतीय का मन घबरा रहा था।
उस पल को कैद किया पाकिस्तान के एक अखबार The Dawn ने, जिसमें उस वक्त वहां मौजूद गवाह की गवाही के आधार पर अपना एक लेख लिखा गया, जहां उन्होंने विंग कमांडर का दर्द और फिर पाकिस्तान धरती पर गिरने के बाद की कहानी को बयान किया है।
लाइन ऑफ कण्ट्रोल से लगभग 7 किलोमीटर दूर भिम्बर डिस्ट्रिक्ट में रहने वाले मोहम्मद रज्ज़ाक बताते हैं,
विंग कमांडर अभिनंदन जब ज़मीन पर गिरे तो पूरे होशोहवास में थे। ज़मीन पर गिरे कमांडर को कुछ युवकों ने घेर लिया था और पायलट अभिनंदन के हाथ में पिस्तौल थी और सबसे पहले उन्होंने युवकों से पूछा कि मैं कहां हूं, यह भारत है या पाकिस्तान?
रज्ज़ाक आगे बताते हैं, “आसपास खड़े युवकों ने कमांडर से कहा कि यह भारत है। भारत का नाम सुनते ही कमांडर ने नारे लगाए और पूछा कि वह भारत के किस जगह पर हैं? युवकों ने जानबूझकर उनके नारों को दोहराया, जिससे कमांडर मान ले कि यह भारत ही है। जब कमांडर को लगा कि वह अपने देश में ही हैं, उन्होंने कहा कि मुझे चोट लगी है और मुझे पीने को पानी चाहिए।”
मोहम्मद रज्ज़ाक बताते हैं कि इतने में वहां खड़े कुछ जज़्बाती युवकों ने पाकिस्तान आर्मी ज़िन्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए और इतने में कमांडर ने पिस्तौल से हवा में फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद युवकों ने हाथ में पत्थर उठा लिए। इतने में कमांडर अभिनंदन ने युवकों की तरफ पिस्तौल दिखते हुए भागना शुरू किया और लगभग आधा किलोमीटर तक भागते रहें।
इसके बाद वहां पास में पानी की एक तालाब में कमांडर कूद गएं और अपने पास रखे दस्तावेज़ों को निकालकर कुछ को मुंह में रखकर निगल लिया और कुछ को पानी से गिला कर मिटा दिया। अंत में मोहम्मद रज्ज़ाक बताते हैं कि इसके बाद कमांडर ने सरेंडर कर दिया, जिसके बाद कुछ जज़्बाती युवकों ने उनपर हमला कर दिया तो कुछ युवक हमला करने वालों को रोकने में लगे हुए थे।
भारत की धरती में हूं, सुनने के बाद भारत मां के लिए नारे लगाना और बाद में पाकिस्तान में हूं मालूम होने के बाद अपने पास मौजूद कागज़ों को मिटाने की जद्दोजहद, वाकई कमांडर आपकी कहानी सुनकर आंखें नम हो गईं।
देश के लिए सेवा किसे कहते हैं, शायद कमांडर अभिनंदन से हम सबको सिखने की ज़रूरत है, जहां दूसरे देश में होने के बावजूद अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास था उन्हें और उस ज़िम्मेदारी को पूरी सफलता के साथ निभाया।
किसी के लिए भी उस पल का अंदाज़ा लगाना संभव नहीं, जब उन्होंने आसपास खड़े युवकों के बीच में खुद को घिरा हुआ पाया होगा लेकिन देश को उस पल भी उन्होंने खुद से सर्वोपरि रखा, जहां उन्होंने उन दस्तावेज़ों को पाकिस्तानी आर्मी के हाथों जाने नहीं दिया।
अभिनंदन आपको और आपके हौसले को देश सलाम करता है।