बुधवार को पाकिस्तान के विमानों ने भारतीय वायु क्षेत्र का उल्लंघन किया। भारत की तरफ से वापसी कार्रवाई के दौरान भारत ने पाकिस्तान का एक एफ-16 फाइटर प्लेन मार गिराया। इसी दौरान भारतीय वायुसेना का एक मिग-21 भी क्रैश हो गया।
इसे उड़ा रहे भारतीय वायुसेना के एक विंग कमांडर पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में जा गिरे। जिसके बाद से ही पाकिस्तान की तरफ से विंग कमांडर के तीन वीडियोज़ जारी किए गए।
पाकिस्तान ने जिस वीडियो को सबसे पहले जारी किया उसमें भीड़ विंग कमांडर के साथ मारपीट करती दिख रही थी। दूसरे वीडियो में उनकी आंखों पर पट्टी बंधी है और वह सवालों के जवाब दे रहे हैं। वहीं, तीसरे वीडियो में उनके हाथ में एक चाय का कप दिखाई दे रहा है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
भारतीय एयर फोर्स के विंग कमांडर केवल उन्हीं सवालों के जवाब देते दिखाई पड़े जिन्हें प्रोटोकॉल के तहत देने चाहिए। इन वीडियोज़ के सामने आने के बाद पूरे भारत और उनके घर वालों ने कड़ा ऐतराज जताते हुए उनकी सुरक्षित और रिहाई की मांग की।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को कहा, “अपनी शांति की इच्छा के तहत मैं घोषणा करता हूं कि बातचीत शुरू करने के कदम के तौर पर इंडियन एयरफोर्स के विंग कमांडर को छोड़ा जा रहा है।”
बता दें भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर इस्लामाबाद से लाहौर के लिए हवाई मार्ग से रवाना हुए हैं। बताया जा रहा है कि वह आज दोपहर तीन-चार बजे के आसपास वाघा बॉर्डर पहुंचेंगे।
जिनेवा संधि के कारण पाकिस्तान पर दबाव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुतबिक पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर को छोड़ने के ऐलान के बाद पाक फौज़ ने उन्हें रेड क्रॉस को सौंप दिया था, जिसके तहत भारत वापसी की उनकी प्रक्रिया पूरी होनी थी।
ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि युद्ध बंदियों के नियम क्या होते हैं। क्या होता है अगर कोई सैनिक किसी दूसरे देश की सीमा में पकड़ा जाता है। हम आपको बता दें कि ‘अंतरराष्ट्रीय जिनेवा संधि’ के तहत युद्धबंदियों को लेकर क्या नियम हैं।
क्या है ‘जिनेवा संधि’
चलिए आपको बताते हैं कि ‘जिनेवा संधि‘ के तहत क्या-क्या आता है और वह कैसे लागू होती है। सबसे पहले आप यह जानिए कि ‘जिनेवा संधि’ वह एक्ट है जिसके तहत कोई भी सैनिक अगर गिरफ्तार हुआ तब उसे उसके देश को लौटाना होता है। ‘जिनेवा संधि’ एक तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून है, जिसे कोई देश तोड़ नहीं सकता।
इसके अलावा इस संधि के तहत अगर युद्ध या युद्ध जैसे हालात में यदि कोई सैनिक अपनी वर्दी में पकड़ा जाता है, तो उसके साथ किसी घुसपैठिये के समान व्यवहार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा सिर्फ उसका नाम, रैंक के अलावा परिवार से जुड़ी जानकारी ही पूछ सकता है।
कब बनाई गई ‘जिनेवा संधि’
दरअसल, 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने भारत के कई सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया था। उस समय कुछ लोगों के साथ पाकिस्तान का व्यवहार बहुत अच्छा रहा, तो कुछ लोगों के साथ बहुत खराब।
साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान के 90 हज़ार से अधिक सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था। इन सभी बंदियों की सुरक्षा से लेकर सभी तरह की सुविधाएं भारत की तरफ से उपलब्ध कराई गई थीं।
इसके साथ ही युद्ध के बाद शांति स्थापित होने पर दोनों देशों के बीच युद्ध बंदियों का आदान-प्रदान होता है, जिसके तहत भारत की ओर से भी कई सैनिक पाकिस्तान को वापस भेजे गए हैं।
बता दें कि यह संधि कहती है कि एक देश को युद्ध के दौरान हिरासत में लिए गए दुश्मन देश के सैनिक के साथ कोई भी ऐसा कृत्य नहीं करना चाहिए जिससे उसकी मौत हो सकती है या उसे नुकसान पहुंच सकता है।