वैसे तो कुम्भ मेले में अनेक रंग-बिरंगे बाबा नज़र आए मगर डिजिटल बाबा का रूप, अंदाज़ और जीवन शैली आज के दौर में बेहद प्रासंगिक है। सेल्फी स्टिक, ट्राइपॉड, आईफोन, लैपल माइक और ना जाने क्या-क्या छोटे-बड़े नाना प्रकार के गैज़ेट्स अपने बैगपैक में लेकर हमेशा घूमते रहते हैं।
फेसबुक, यूट्यूब, इंटाग्राम, ट्वीटर और रोपोसो पर आम लोगों से सर्वांगीण विषय पर चर्चा करते समय डिजिटल बाबा लाइव होते रहते हैं। सबसे अहम बात यह है कि फेसबुक पर लाइव आने या अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के ज़रिये लोगों से बातचीत करने के लिए उन्हें जो भी ज़रूरी उपरकरण की ज़रूरत होती है, उनके भक्त उन्हें गिफ्ट करते हैं।
अभी हाल में बीते कुम्भ मेले के दौरान बाबा के एक फेसबुक फॉलोवर ने उन्हें सोनी का 4K कैमकॉर्डर NX 80 गिफ्ट किया, जिसकी कीमत एक लाख तीस हज़ार रुपये है। सबसे अच्छी बात यह है कि बाबा धार्मिक जंजालों में ना कभी खुद जकड़े और ना ही किसी भक्त को जकड़ने दिए।
बाबा की सबसे खास बात यह है कि बिना किसी झिझक के किसी भी जगह पर वह अलग-अलग मसलों पर लोगों (खासकर युवाओं) से बात करते हैं। बाबा की यही चीज़ उन्हें दूसरों के बेहद करीब लाती हैं।
धार्मिक आडंबरों को तोड़ते हैं डिजिटल बाबा
बाबा धर्म में फैले आडंबर और पाखंड पर ज़ोरदार प्रहार करते हैं। हर विषय पर बेबाकी से निःसंकोच होकर अपनी राय रखते हैं। कुंभ के दौरान डिजिटल बाबा की कार्यशैली और व्यक्तित्व में सबसे खास बात यह दिखी कि चौराहे पर खड़े होकर युवाओं, बच्चों व श्रद्धालुओं से मुखातिब होकर धर्म, आध्यात्म, भारतीय दर्शन, जीवनमूल्य और सनातन शास्त्रों के बारे में काफी चर्चाएं की।
डिजिटल बाबा का मानना है कि समय के साथ हमें चलना होगा तभी दुनियां के लोगों से आंख मिलाकर हम अपनी योग्यता को दिखा सकेंगे मगर ध्यान यह भी रखना होगा कि अपने जड़ों से जुड़े रहें।
फेसबुक लाइव के ज़रिये युवाओं को जोड़ते हैं डिजिटल बाबा
डिजिटल बाबा स्वामी रामशंकर अपने फेसबुक पेज पर कुम्भ के विभिन्न दृश्यों को लाइव के ज़रिये दुनियाभर में पहुंचाते रहे। उनका मानना है कि कुंभ तक युवा पहुंचे या ना पहुंचे मगर युवाओं तक कुंभ ज़रूर पहुंचना चाहिए।
डिजिटल बाबा ने बताया कि कुम्भ में आने का मुख्य प्रयोजन यह है कि धर्म और आस्था के इस महामेले में आने वाले युवा वर्ग से मुखातिब होकर उनसे यह जान सकूं कि धर्म, आध्यात्म, रोज़गार, जीवन दर्शन और भारतीय संस्कृति के बारे में उनकी क्या राय है।
उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास है कि युवा पीढ़ी को आध्यात्मिक ज्ञान से हमारे व्यवहारिक जीवन में होने वाले लाभ को बता सकूं। चूंकि साधू के रूप में जब कोई सामने दिखाई देता हैं, तो युवा किनारा कर लेते हैं मगर मेरे साथ वे आसानी से जुड़ जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हमारे बीच जेनरेशन गैप नहीं आता है।
स्वामी रामशंकर कहते हैं,
हम युवाओं को ज्ञान देने की जगह उनसे मैत्री भाव स्थपित करते हैं। यह एक बड़ी बिडंबना है कि धर्म और आध्यात्म से होने वाले आर्थिक लाभ के कारण बहुतायत की संख्या में लोगों ने इस विधा को व्यवसाय बना लिया है। कथा-प्रवचन और योग-ध्यान जैसी चीज़ें सेवा, परोपकार, जन-कल्याण और आत्म-कल्याण के विषय हैं लेकिन निजी स्वार्थ के कारण इन बातों को दरकिनार करते हुए लोगों ने इसे व्यवसाय बना दिया है।
बकौल स्वामी रामशंकर, “आज कल इस देश में औसत बाबा ऐसे हैं जो केवल लोगों को ज्ञान बांटते दिखाई देते हैं। ये वैसे बाबा होते हैं जो अच्छी चीज़ों को अपने जीवन में अमल नहीं करना चाहते हैं। इसी कारण हमारे सामने अनेक पाखंडी लोगों की असलियत सामने आ रही है।
बचपन से ही जीवन को समझने की जिज्ञासा थी
डिजिटल बाबा दिखने में इतने आकर्षक हैं कि जिस जगह से गुज़रते हैं, वहां के लोगों को अपना दिवाना बना लेते हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पले-बढ़े इस युवा संत में जीवन को जानने-समझने की दिशा में बचपन से ही प्रबल जिज्ञासा व्याप्त थी।
गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी.कॉम की पढ़ाई करने के दौरान संसार की लौकिक उपलब्धियों से हटकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो गए। वर्ष 2008 नवम्बर में अयोध्या के लोमश आश्रम के महंत स्वामी शिवचरण दास महाराज से दीक्षा प्राप्त कर वैरागी बन गए, जिन्हें आज हम स्वामी राम शंकर के नाम से जानते हैं।
डिजिटल बाबा के भक्त देते हैं मैकबुक और आईफोन
सोशल मीडिया पर स्वामी रामशंकर युवाओं के मध्य डिजिटल बाबा के रूप में बेहद लोकप्रिय हैं। वह कहते हैं कि आज की युवापीढ़ी को अपने साथ जोड़ने का सबसे प्रभावी साधन सोशल मीडिया है। इसी कारण हम इस प्लैटफॉर्म पर सक्रियता से उपलब्ध रहते हैं।
स्वामी रामशंकर फेसबुक पर इतने लोकप्रिय हैं कि इनके एक फेसबुक मित्र जो सिंगापुर में रहते हैं, इस वर्ष जब होली में भारत आए तो स्वामी जी के लिए आई फोन-6 लाकर उपहार स्वरूप भेट प्रदान किए। स्वामी कहते हैं कि वर्ष 2013 में एक कनाडा की महिला से हमारी भेट हुई, जिन्होंने पहली मुलाकात में ही उन दिनों मुझे Macbook Pro भेट किया।
स्वामी कहते हैं, “मज़ेदार बात यह है कि इन दोनों को उपयोग करते हुए हमें जब आज के युवा देखते हैं, तब वे हमारे प्रति एक कौतुहल का भाव प्रगट करते हैं। इतना ही नहीं वे पास आकर हमसे बात भी करते हैं। फेसबुक, व्हाट्सअप और यूट्यूब पर जुड़कर मेरे विचारों को भी पढ़ते-सुनते हैं।
भ्रमण के शौकीन हैं डिजिटल बाबा
स्वामी रामशंकर अपने विषय में बताते हुए कहते हैं कि मूल रूप से हम एक घुमंतू साधक हैं। स्थाई रूप से एक जगह टिक कर रहना मुझे पसंद नहीं है। मेरा मानना है कि जीवन के यथार्थ का दर्शन केवल भ्रमण और देशाटन में ही संभव हो पता है। एक जगह रूकने का अर्थ है अपनी क्षमताओं को समेट देना।
योग अभ्यास में कुशल स्वामी रामशंकर बताते हैं कि योग आत्म-कल्याण का साधन है। हर व्यक्ति को योग अभ्यास अनिवार्य रूप से प्रतिदिन करते रहना चाहिए मगर ध्यान रहे योग में ध्यान की अवस्था अनिवार्य है। अन्यथा केवल शारीरिक श्रम और देह के स्तर पर हमें लाभ प्राप्त होगा, जो जीवन की सार्थकता हेतु पर्याप्त नहीं है।
हिमालय के लिए स्वामी रामशंकर के भीतर गज़ब की दीवानगी है। इसी कारण हिमाचल के कांगड़ा ज़िले के बैजनाथ में जा बसे हैं। वह अधिकतर समय वहीं रहकर साधना करते हैं।
स्वामी रामशंकर का जन्म 1 नवम्बर सन् 1987 को उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के ग्राम खजुरी में हुआ था। गोरखपुर में स्थित योगी आदित्यनाथ के शिक्षण संस्थान महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज गोलघर से बारहवीं तक एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर से बी.कॉम तक की पढाई वर्ष 2009 में सम्पन्न किया।
स्वामी रामशंकर अपनी कार्यशैली व अनूठे व्यक्तित्व के कारण सोशल मीडिया पर युवा वर्ग के सबसे चहेते संत हैं। वह देशभर में घूमते रहते हैं और रास्ते में पड़ने वाले पड़ावों के प्रेरक विषयों का खुद ही वीडियो बनाकर यूट्यूब और फेसबुक पर अपडेट व फेसबुक लाइव करते रहते हैं। इसी खूबी के कारण स्वामी रामशंकर को सोशल मीडिया पर डिजिटल बाबा के नाम से भी पुकारा जाता है।