यह नाम तो आज आपने सुन ही लिया होगा, मुझे भारत वर्ष के लोगों और उनकी असीम क्षमताओं पर बिल्कुल संदेह नहीं है। एक विचारक होने के नाते मैं इस पूरे मिशन को एक अलग नज़र से देखता हूं, जहां तक मुझे ज्ञात है, यह पूरा मिशन अंतरिक्ष में मिसाईल द्वारा किसी अन्य उपग्रह को नष्ट करने के बारे में था।
गौरतलब है कि मिशन शक्ति’ के तहत भारत ने अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को मार गिराने का सफल परीक्षण किया था, इसका ऐलान पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित कर किया था। ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है।
आपको बता दें कि चीन ने भारत के उपग्रह रोधी मिसाइल परीक्षण पर बुधवार को सतर्कतापूर्वक प्रतिक्रिया जताते हुए उम्मीद जतायी थी कि सभी देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाये रखेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को घोषणा की कि भारत ने अंतरिक्ष में एंटी सैटेलाइट मिसाइल से एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराते हुए अपना नाम अंतरिक्ष महाशक्ति के तौर पर दर्ज करा दिया और भारत ऐसी क्षमता हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।
एक विचार आता है कि आखिर उस उपग्रह को नष्ट क्यों करना था? तर्क है कि युद्ध की स्थिति में दुश्मन के उपग्रहों को! अब हम केवल पृथ्वी के बाहर मौजूद उपग्रह और उस मिसाइल की बात करते हैं। इसके पीछे इंसान की सोच समझने की कोशिश करते हैं। सीधा सा जवाब जो दिमाग देता है कि जो ज़्यादा ताकतवर है, वही महान है और वही राज करता है।
उदाहरण के लिए आपके पड़ोस में एक इंसान रहता है, जिसने एक जानवर पाल रखा है और आपने उस पालतू जानवर को मारने के तरीके खोज लिए हैं। आपसे जुड़े लोग आपकी तारीफ में मज़े लेते हुए तर्क दे रहें हैं।
ऐसे में हम यही समझते हैं कि जब कभी पड़ोसी से हमारा झगड़ा होगा, हम इनके कुत्ते या बिल्ली जो भी पालतू जानवर हैं, उन्हें मार देंगे क्योंकि आपको नुकसान पहुंचाने के लिए जानवर के पास कोई तकनीक नहीं है।
आखिर इंसान यह सब क्यों कर रहा है? शायद उसे उसका रुतबा छीन जाने का डर है, शायद उसे डर है कि उसका मान सम्मान कम ना हो जाए, शायद उसे डर है कि कहीं उसका अस्तित्व खो ना जाए। इसलिए वह अपने स्थान पर टिके रहने या और बड़ा बनने के लिए अमानवीय कदम उठाता है।
इंसान प्रजाति अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है, एक देश को खतरा है पड़ोसी देश से , इंसान को खतरा है जंगलों से आए हुए हाथियों या बाघों से , मैंने जंगल से आए हुए इसलिए कहा क्योंकि अक्सर यही सुनने को मिलता है पर सत्य तो यह है कि असुरक्षित ओर डरे हुए मानुष ने जंगल काट डाले है और जब वो जानवर अपने उजड़े हुए घर को देख आक्रोशित होते है तो उन्हें इंसान मार देते है और बलवान बन जाते है।
कटते जंगल, कम होते परजीवी, बढ़ते इंसान और इन्सानों के साथ बढ़ती चाहतें, वह चाहतें जिनमें शामिल है पैसा और तमाम भोग विलास के सुख ओर उन सुखों को पाने की जद्दोजहद, जिसमें हमने अपने आस-पास के वातावरण को नष्ट कर दिया है।
कम होती मानसिक शांति और प्रेम भावना, इन सबके पीछे की प्रमुख वजहे हैं। आज परमाणु के ज़रिये शांति कायम करने का विचार विश्वभर में प्रसिद्ध है, जो परमाणू से स्थापित की जा रही है। इसके बल पर शांति तो है मगर डर भी है।
इन चीज़ों को ऊपर के उदाहरणों के ज़रिये समझ सकते हैं। परमाणु से शांति उसी प्रकार है, जैसे दोनों पड़ोसियों के पास बंदूके हों। वे आपस में मुस्कुराते हैं मगर उनके पास ना तो विचारों का आदान-प्रदान है और ना ही प्रेम है, जो इंसानों को आपस मे जोड़ने का कारक होता है। भले ही वे किसी भी जाति-धर्म के हों।
दुनियां एक भय के साये में जी रही है और वह भय खुद से है। संसार का नक्शा जो आज है, वह 100 वर्ष पहले नहीं था और ना ही 100 वर्ष बाद होगा। मित्र और शत्रु, वक्त के साथ बनते हैं मगर जो मित्र है, वह मित्र बना रहे और जो शत्रु है, वह भी मित्र बन जाए, इसके लिए सकारात्मक पहल करने की ज़रूरत है।
हमें ज़रूरत है साकारात्मक ओर प्रगतिशील सोच को विकसित करने की जो मानवता ओर भगवान की बनाई एक सृष्टि को एक साथ आगे लेकर जाए।