हम बहन, बेटी, माँ नहीं हैं!
हम औरतें हैं!
आज महिला दिवस के दिन स्पा का डिस्काउंट कूपन और एक दिन लंच बनाकर आप हमसे प्यार नहीं जता रहे हैं, हमारी बेइज़्जती कर रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे प्रधान सेवक ने सफाई कर्मचारियों के साथ किया। आज का ये दिन फूलों और तोहफों का दिन नहीं है, ये संघर्षों का दिन है। महिलाओं की स्वायत्तता और आज़ादी के लिए लड़ी गयी लड़ाईयों का दिन है।
• हमें बराबर काम का बराबर वेतन चाहिये।
• घरेलू काम सिर्फ हमारी ज़िम्मेदारी नहीं है। घरेलू काम, काम है और हमें उस काम का रिकग्निशन चाहिए।
• सेक्स वर्क काम है और सेक्स वर्कर्स को सुविधा, सुरक्षा, इज़्जत चाहिए।
• हमें प्यार/शादी करने और ना करने की आज़ादी चाहिये।
• हमारा शरीर सिर्फ हमारा है और हमारे इजाज़त के बगैर कोई हमारे स्पेस में नहीं आ सकता, इस बात की समझदारी चाहिये।
• हमें चुनने का अधिकार चाहिए। अपनी आज़ादी, अपनी सेक्शुएलिटी, अपने कपड़े, अपना जीवन सब।
• हमें सेक्सिज़्म नहीं चलेगा। ना आपके गानों में, ना फिल्मों में, ना सड़कों पर, ना घरों में, ना किताबों में।
• सुरक्षा के नाम पर कैद नहीं चाहिए।
• प्यार के नाम पर कैद नहीं चाहिए।
• दलित, मुस्लिम, आदिवासी महिलाओं के साथ हो रहे रोज़ के उत्पीड़न नहीं चाहिए।
• रेप, सेक्शुअल असॉल्ट नहीं चाहिए।
तो अगर महिला दिवस पर कुछ करना चाहते हैं तो यूं करिये कि –
• अगली बार जब आपका दोस्त किसी लड़की के साथ बद्तमीज़ी हो तो हंसिये मत, उसे समझाइये।
• होली दीवाली पर माँ का हाथ बंटा कर इतराइये मत, आप रोज़ खाना खाते हैं, रोज़ काम करिये।
• अपने आस-पास की औरतों की आज़ादी का सम्मान करिये।
• हमें मत सिखाइये कि हमें क्या पहनना है, कैसे चलना है।
• माँ-बहन की गालियां देना बंद करिये।
• मेट्रो/बसों/ऑफिसों/गलियों में हमें छेड़िये मत।
• पीरियड्स और प्रेगनेंसी जैसी बातों से कन्नी मत काटिये।
• सेक्शुअल हैरसमेंट के खिलाफ आवाज़ उठाइये।
• वेतन में भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाइये।
• स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में हो रहे लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाइये।
• सेक्स वर्कर्स के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाइये।
• किसी भी धर्म, जाति, रंग, सेक्शुएलिटी की महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाइये।
•पितृसत्ता के खिलाफ आवाज़ उठाइये।
और इन सबके बाद अगर फूल का गुलदस्ता नहीं लाये तो चलेगा।
(पितृसत्ता के खिलाफ हमारा संघर्ष ज़िंदाबाद!)