Site icon Youth Ki Awaaz

“2019 के बाद के चुनाव की भी रणनीति तैयार कर रहे हैं अखिलेश यादव”

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए बसपा-सपा ने गठबंधन किया है, जिसमें सपा 37 सीटों पर और बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं रालोद को 3 सीटें दे गई हैं। इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने कॉंग्रेस को 9+2 सीटों का ऑफर भी दिया था।

इस महागठबंधन को अमली जामा पहनाने में जो सबसे ज़्यादा कोशिश की जा रही है वह अखिलेश यादव की है। अखिलेश यादव ने वक्त की नज़ाकत को बखूबी समझा है। वह जानते हैं और समझते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का मतलब क्या हो सकता है। उन्होंने पिछले तीन चुनावों से अच्छा प्रदर्शन ना करने वाली बसपा को बराबर की सीटें दे दी हैं और यदि कॉंग्रेस भी इस गठबंधन में आती तो इस महागठबंधन से उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता था।

फोटो सोर्स- Getty

लेकिन एक तबका ऐसा भी है जो यह कह रहा है कि अखिलेश गलत कर रहे हैं। उन्हें झुकना नहीं चाहिए। वह उत्तर प्रदेश में मज़बूत हैं और अखिलेश यादव खुद के दल को मौका कम दे रहे हैं लेकिन क्या ऐसा ही है? आइए जानते हैं।

अखिलेश यादव इस वक्त हर एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। इसी कड़ी में महीनों चले मंथन के बाद अखिलेश यादव ने गठबंधन में बसपा को “बड़ा” बनाने का फैसला किया। यानी पहले तो उन्हें अपने बराबर सीटें देने का आदेश दिया और दूसरा अपनी उन सीटों पर भी बसपा को चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया जहां सपा नम्बर दो पर रही थी। यह सारे चुनावी हथकंडे बहुत समझदारी से अखिलेश यादव इस्तेमाल कर रहे हैं। इस गठबंधन में खुद को “छोटा” दिखाकर अखिलेश यादव अपनी परिपक्वता साबित कर रहे हैं।

जिसमें भविष्य की कामनाएं हैं, जिसे अपनी सियासी ताकत को मज़बूत करना है और सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए वह (अखिलेश यादव) अग्रसर नज़र आ रहे हैं। जिसने पहले तो बहन जी के साथ गठबंधन करते हुए ऐतिहासिक कदम उठाया है और बार-बार यह याद दिला रहे हैं कि उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री देता रहा है और इस बार भी वो देश को प्रधानमंत्री देगा।

इस मौजूदा स्थिति में अखिलेश की नज़र सिर्फ 2019 पर नहीं है, 2022 और 2024 पर भी है। तभी वो 63 वर्षीय बहन जी को बड़ा बनाकर सत्तारूढ़ भाजपा को हार का स्वाद चखाना चाहते हैं और एक मज़बूत “महागठबंधन” के नाम पर भाजपा को केंद्र की सत्ता से दूर करना चाहते हैं। यही वजह है कि वह सबसे पहले बहन जी को साथ लाये और फिर रालोद को भी भरपूर सम्मान दिया।

अब स्थिति देखकर तो सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि वाह टीपू वाह।

Exit mobile version