आज देश की सीमा भी
फूट-फूटकर रो पड़ी
अपने लाल का खून देख
वो भी दर्द से कराह उठी।
जो माँ इंतज़ार में थी
अपने चिराग के वापस आने को
वो भी आज मजबूर है
उसके नाम का दिया जलाने को।
जो पिता उम्मीद में था
अपने बेटे के सहारे को
वो भी आज मजबूर है
उसकी अर्थी को सहारा देने को।
जो बेटी उत्सुक थी
अपने पिता से मेहंदी लगवाने को
वो भी आज मजबूर है
उनके हाथ में खून देखने को।
जो पत्नी आज सजी थी
अपने पिया की उम्र बढ़ाने को
वो भी आज मजबूर है
उनके जीवन का अंत देखने को।
इन जवानों से भी ज़्यादा
है इनका परिवार बहादुर
जो कभी सुन ना पायेगा अब
उस अपने की आवाज़ का सुर
देखकर ऐसा मंज़र
आंसू है यहां हर आंख पर।
सुनकर चीख इन परिवारों की
सहम उठा आज शक्तिशाली हिमालय भी
हे अल्लाह, हे राम,
सद्बुद्धि दे भटके हुए आतंक को भी,
अपने ही भाइयों की मौतों से
धक्का लगे उनके दिल को भी।
जो मौत को भी डरा दे
ना देखा ऐसा बलिदान कभी
नहीं जाए व्यर्थ यह त्याग
करते है यह दुआ सभी।
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फोटो सोर्स- ANI, (पुलवामा हमले में शहीद सीआरपीएफ जवान मोहन लाल की बेटी अपने पिता को श्रद्धांजली देते हुए।)