अब चुनाव में ज़्यादा वक्त नहीं बचा तो बीजेपी ने ओछी राजनीति शुरू कर दी है। किसी के पीछे सीबीआई लगा रही है तो कभी किसी के पीछे ईडी और इनकम टैक्स।
बीजेपी को जिनसे सबसे बड़ा खतरा है और जो उनकी इस घटिया राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं, वे जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद हैं। अब उनके ऊपर कार्रवाई कैसे ना हो?
आपको याद होगा 2016 में 9 फरवरी को जेएनयू में एक झूठे वीडियो को पेश करके यह दिखाया गया कि बतौर जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार देश विरोधी नारे लगा रहे हैं। नारे भी ऐसे लगा रहे हैं कि ज़ाहिर तौर पर किसी भी देश भक्त को गुस्सा आ जाए।
वह नारे रहे थे, “भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह”, “तुम कितने अफज़ल मारोगे हर घर से अफज़ल निकलेगा”, “हम लेकर रहेंगे आज़ादी भारत से चाहिए आज़ादी।”
ज़ाहिर है इन नारों को सुनने के बाद सबके मन में इन लोगों की एक देशद्रोही वाली छवि बनी होगी लेकिन क्या आप हकीकत जानते हैं? क्या आप उस सच को जानते हैं जो आपसे छुपाया गया? इन लोगों को बदनाम करने के पीछे कौन था यह पता है?
मीडिया ने तो कन्हैया को देशद्रोही घोषित ही कर दिया
इसमें मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है। पत्रकार का धर्म होता है कि वह सच दिखाएं लेकिन कुछ चैनलों के अलावा किसी भी चैनल ने आपको सच नहीं दिखाया।
इस मसले पर सारे चैनल इन लोगों को देशद्रोही कहने पर तुले हैं और हम मान भी चुके हैं। कन्हैया जब 23 दिन जेल में रहे थे तब उनके साथ क्या बर्ताव हुआ होगा, यह तो आप उनकी किताब ‘बिहार से तिहाड़’ में पढ़ ही सकते हैं।
कन्हैया की किताब पढ़ने की ज़रूरत है
मैंने कन्हैया की किताब पढ़ी है। उन्होंने अपने ऊपर हुए सारे ज़ुल्म को बताया कि कैसे फर्ज़ी तरीके से उन्हें फंसाया गया। मै चाहता हूं आप भी पढ़िए। अगर कोई सच आपसे छुपाया जा रहा है तो आप उस सच की तह तक जाने की कोशिश कीजिए।
चार्जशीट में इतनी देरी क्यों?
हाल ही में पटियाला हाउस कोर्ट में इस केस की सुनवाई थी जहां कन्हैया कुमार, उमर खालिद और शहला राशिद समेत 10 लोग नामज़द हैं जिनके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज़ है। इससे पूर्व में भी कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि आप चार्जशीट जो पेश कर रहे हैं, उसमें वह प्रमाण लाइए जिसमें कन्हैया कुमार उन नारों को लगाते हुए दिख रहे हों।
पिछले तीन सालों में कोई भी चार्जशीट दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में नहीं पेश की लेकिन जब चुनाव आ गए तो भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रही पुलिस ने अचानक से एक चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी। भाजपा के इशारे पर ऐसा हुआ है इसका कोई प्रमाण तो नहीं है लेकिन देशभर में चर्चा है।
यह सुप्रीम कोर्ट भी कहता है कि 3 महीने के अंदर चार्जशीट पेश की जानी चाहिए। अगर मामला ज़्यादा गंभीर है तब 6 महीने के अंदर ही पेश करनी चाहिए लेकिन चार्जशीट 3 साल बाद पेश होती है। समझ रहे हैं ना?
उन्हें पता है अगर इनके ऊपर हमने कार्रवाई नहीं की तो शायद दिल्ली वाले साहब की गद्दी डोल जाएगी। यह वह उभरते हुए सितारे हैं जो आने वाले चुनाव में बीजेपी की घटिया राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।
नारों पर गौर कीजिए
चलिए यह सब तो बात अलग है लेकिन उस दिन नारे क्या लगे थे वह भी मैं बता दूं। जिसे आईटी सेल ने गलत तरीके से पेश किया और मीडिया ने उसका गलत प्रयोग किया।
वह नारे थे, “हम क्या चाहते आज़ादी हम लेके रहेंगे आज़ादी तुम डंडे मारो आज़ादी तुम गोली मारो आज़ादी भारत में चाहिए आज़ादी भुखमरी से आज़ादी आरक्षण से आज़ादी पूंजीवाद से आज़ादी संघवाद से आज़ादी मनुवाद से आज़ादी आरएसएस और बीजेपी से आज़ादी।”
क्या यह नारे जो ऊपर लिखे हैं देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं? संविधान में आर्टिकल 19 (1) ए हर हिंदुस्तानी को यह इजाज़त देता है कि वह भारत देश में अपनी हर बात बोलने की आज़ादी रखता है।