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अंतरिम बजट 2019 की ये मुख्य बातें आपको ज़रूर जाननी चाहिए

पीयूष गोयल

पीयूष गोयल

मित्रों, मोदी सरकार का अंतरिम बजट शुक्रवार को देश के सामने पेश किया गया। यह बजट हमारे हिसाब से उम्मीदों से ज़्यादा अच्छा रहा है। हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि यह सरकार इस तरह का बजट पेश भी कर सकती है।

इस बजट में किसानों से लेकर गरीब तबकों के लोगों तक का ख्याल रखा गया है। पीयूष गोयल द्वारा पेश किए गए बजट में देश की सुरक्षा का भी ख्याल रखा गया है।

फोटो साभार: Getty Images

बजट में सबसे अच्छी बात यह है कि पहली बार देश के किसानों को सीधा पैसा दिया गया है। हालांकि यह राशि 6000 रुपए सालाना काफी कम है लेकिन कम-से-कम किसी ने तो पहली बार किसानों की जेब में सीधे-सीधे पैसे डालने का काम किया है।

असंगठित क्षेत्रों के कामगारों को राहत

अपने बजट भाषण के दौरान गोयल ने असंगठित क्षेत्रों के कामगारों के लिए बड़ा ऐलान किया है। बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि असंगठित क्षेत्रों के मज़दूरों को 3,000 रुपए हर महीनें पेंशन दी जाएगी। इस योजना से 10 करोड़ कामगारों को लाभ होगा और यह अगले पांच सालों में असंगठित क्षेत्रों के लिए विश्व की सबसे बड़ी पेंशन योजना बन सकती है।

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इस योजना के तहत कामगारों को 60 साल की उम्र के बाद 3,000 रुपए की मासिक पेंशन मिलेगी। इस योजना का लाभ लेने के लिए सभी मज़दूरों को हर महीने 100 रुपए सरकार के खाते में जमा करवाना होगा।

इतना ही नहीं मध्यम वर्ग के लोगों को टैक्स से राहत देते हुए गोयल ने टैक्स की सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है। अंतरिम बजट में श्रमिकों का बोनस बढ़ाकर 7 हज़ार रुपए करने का ऐलान किया गया है। इसका लाभ 21 हज़ार रुपए तक कमाने वाले लोगों को मिलेगा।

पशुपालन और मत्स्य पर भी ध्यान

पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए कर्ज़ में 2 फीसदी ब्याज छूट की घोषणा की गई है। अंतरिम बजट में इंसानों के साथ-साथ गो वंश को लेकर भी बड़ा ऐलान किया गया है। केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय कामधेनु योजना’ शुरू करेगी।

घुमंतू समाज के लिए एक वेलफेयर बोर्ड

इसके अलावा घुमंतू समाज के लिए एक वेलफेयर बोर्ड बनाने का फैसला किया गया है। बजट के मुताबिक सही पहचान होने के बाद सरकार की योजनाओं का लाभ इन्हें भी मिलेगा।

रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए गोयल ने बिना बिके मकानों के अनुमानित किराए पर कर में छूट को एक साल से बढ़ाकर दो साल करने का प्रस्ताव किया है।

बजट में रेलवे, रक्षा, शिक्षा, मनरेगा और स्वास्थ्य के मद में पहले से ज़्यादा आवंटन किया गया है। पहली बार भारत का रक्षा व्यय 3 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है।

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कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बजट आवंटन को 21 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने शुक्रवार को लोकसभा में 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करते पूर्वोत्तर क्षेत्र में सरकार की विकास पहलों को आगे बढ़ाने के लिए 58,166 करोड़ रुपए आवंटित करने की घोषणा की है।

सरकार खर्च के लिए पैसे कहां से लाएगी?

सरकार के खजाने में आने वाले हर एक रुपए में 70 पैसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के ज़रिए आएंगे। इसी तरह सरकार हर एक रूपए के व्यय में 23 पैसे राज्यों को करों एवं शुल्कों में उनके हिस्से के रूप में दिया जाएगा।

पीयूष गोयल द्वारा लोकसभा में पेश अंतरिम बजट के अनुसार सरकार की आय का सबसे बड़ा स्रोत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) होगा और हर एक रूपए की प्राप्ति में इसका योगदान 21 पैसे होगा।

कॉरपोरेट कर से 21 पैसे, आयकर से 17 पैसे और सीमा शुल्क से चार पैसे प्राप्त होंगे। इसी तरह कर्ज़ एवं अन्य देनदारियों से 19 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से सात पैसे, गैर कर स्रोतों से आठ पैसे तथा कर्ज़ से इतर पूंजीगत आय से तीन पैसे प्राप्त होंगे।

इसी तरह प्रति एक रुपए के खर्च में केंद्रीय करों एवं शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारियों का अंतरण है और इस मद में 23 पैसे खर्च होंगे।

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ब्याज़ भुगतान पर 18 पैसे, रक्षा क्षेत्र पर आठ पैसे, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर 12 पैसे तथा केंद्र द्वारा वित्त-पोषित योजनाओं पर नौ पैसे खर्च होंगे। वित्त आयोग तथा अन्य हस्तांतरण पर आठ पैसे, छूट (सब्सिडी) पर नौ पैसे और पेंशन पर पांच पैसे खर्च होंगे। आठ पैसे अन्य मदों पर खर्च होंगे।

मित्रों, कुल मिलाकर हम इस बजट को सर्व-स्पर्शी और सर्वसमावेशी कह सकते हैं। भारत के कुल 90 करोड़ मतदाताओं में से इसमें 60 करोड़ लोगों का सीधा ख्याल रखा गया है। इस बजट से सबको लाभ होगा चाहे वे किसी भी जाति-धर्म के हों या किसी भी दल के समर्थक क्यों ना हों।

मध्यमवर्गों, किसानों और मज़दूरों के हाथों में पैसा आने से नोटबंदी और जीएसटी के दुष्प्रभाव ज़रूर दूर होंगे। हालांकि वित्त वर्ष 2018-19 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से लगातार चूक के बावजूद वित्त वर्ष 2019-20 के लिए लक्ष्य को उसी स्तर पर कायम रखना आश्चर्यजनक है।

यह बजट गरीबों, किसानों, मध्यवर्गों और असंगठित मज़दूरों का बजट है। विपक्ष इसे चुनावी बजट कह सकता है लेकिन यह साल राजनैतिक गुना-भाग का है ना कि आर्थिक गुना-भाग का।

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