आगोश में तो आओ
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यूँ दूर रह कर न करो बात
पास बैठो,करीब तो आओ।
कैसे सुनोगे दिल की बात
पास बैठो,करीब तो आओ।
रह जाएंगे अधूरे जज़्बात
न तड़पाओ करीब तो आओ
हम लिखेंगे मोहब्बत की
दास्तां अपनी, करीब तो आओ।
मिटा देंगे नजरों के फासले
तुम आंखों में जरा बस जाओ।
न शिकवा न शिकायत
लबों पे मेरा नाम तो ले आओ।
बन जाएंगे धड़कन तेरी
जरा अपने दिल मे तो बसाओ।
बुझ जाएगी तपिश सारी
तुम मेरे आगोश में तो आओ।
©पंकज भूषण पाठक”प्रियम”