इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश का तीसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है जिसे ‘पूरब का ऑक्सफोर्ड‘ भी कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय का राजनीति से बहुत पुराना नाता रहा है।
यहां देश का सबसे पहला छात्र संघ गठित हुआ था। इस विश्वविद्यालय ने देश को कई प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारी दिए हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह राजनीतिक दलों का अखाड़ा बना हुआ है।
अखिलेश को रोका गया
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ ने 12 फरवरी 2019 को छात्र संघ का वार्षिकोत्सव मनाने का निर्णय लिया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आमंत्रित किया गया। इसे लेकर विश्वविद्यालय में अन्य छात्र संगठनों ने विरोध किया।
कुछ दिन पहले हुई रजनीकांत यादव की आत्महत्या को लेकर विरोध की तात्कालिक पृष्ठभूमि शुरू होती है। समाजवादी छात्र सभा को छोड़कर अन्य संगठनों ने आरोप लगाया कि छात्रसंघ अध्यक्ष ने अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह नहीं करके वार्षिक उत्सव मनाने का निर्णय लिया और विरोधी संगठनो ने छात्रसंघ अध्यक्ष पर रजनीकांत की मौत पर राजनीति करने और विश्वविद्यालय परिसर का राजनीतिकरण करने का भी आरोप लगाया।
हालांकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष को अपना वार्षिक उत्सव मनाने की अनुमति दे रखी थी लेकिन इस शर्त पर कि वार्षिकोत्सव में कोई राजनीतिक व्यक्ति शामिल नहीं होगा। 11 फरवरी की शाम होने तक ज़िला प्रशासन ने विरोधी गुट के छात्रों के विरोध को देखते हुए अखिलेश यादव के विश्वविद्यालय परिसर में आने पर प्रतिबंध लगा दिया।
पुलिस ने किया लाठीचार्ज
12 फरवरी को जब वे प्रयागराज में अपने एक अन्य कार्यक्रम जो कुंभ मेले में आयोजित था उसके लिए चले तब उन्हें उड़ान भरने से पहले ही लखनऊ एयरपोर्ट पर रोक लिया गया। हालांकि छात्रसंघ कार्यक्रम में सपा सांसद धर्मेंद्र यादव और कई अन्य नेता शामिल हुए।
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद निर्णय लिया कि बालसन चौराहे पर पहुंचकर गाँधी प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा हो जाएगी लेकिन वहां पहुंचने के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उपद्रव किया। इस दौरान सपा सांसद धर्मेंद्र यादव समेत कई लोगों को चोटें आई।
कहीं अखिलेश को रोकना भाजपा की रणनीति तो नहीं
ऐसा अनुमान है कि अखिलेश यादव को कार्यक्रम में आने से रोकने की कहानी 2014 की उस घटना से जुड़ी हुई है, जब योगी आदित्यनाथ सांसद हुआ करते थे और इसी तरह का एक कार्यक्रम उस समय भी छात्रसंघ ने आयोजित किया था।
उस समय योगी आदित्यनाथ को इस कार्यक्रम में आने से रोक दिया गया था। आज ठीक वैसा ही अखिलेश यादव के साथ हुआ जब वह भी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आ रहे थे और उन्हें भी एयरपोर्ट पर रोक लिया गया।
दो छात्र संगठनों के बीच की लड़ाई से आम छात्रों का नुकसान हो रहा है। पिछले कुछ दिनों से विश्वविद्यालय परिसर में अराजकता का माहौल है और विश्वविद्यालय में पठन-पाठन के माहौल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
छात्रों की वार्षिक परीक्षाएं नज़दीक हैं। ऐसे में छात्र संगठन जो छात्रों के हितों की लड़ाई लड़ने का दावा करते हैं उनका आपसी संघर्ष कितना जाएज़ है?