16 फरवरी दोपहर डेढ़ बजे हम पटना जंक्शन से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर कश्मीरियों द्वारा लगाए जाने वाले अस्थायी लहासा बाज़ार पहुंचे।
रोज़ दोपहर जहां ग्राहकों की चहलकदमी होती है, वहां बाज़ार के नाम के फटे हुए बैनर लटक रहे थे, मेन गेट बंद था और बाहर कोतवाली थाना की जिप्सी अपने सिपाहियों के साथ खड़ी दिखी।
दरवाज़ा खटखटाने के बाद अंदर से आवाज़ आई, “बाज़ार बंद है।” हमने उन्हें यहां तक कहा कि आप लोगों से कुछ बात करनी है फिर भी कोई जवाब नहीं मिला।
बाहर खड़ी पुलिस की गाड़ी से एक सिपाही वायरलेस पर संदेश देता है, “लड़की आई है शायद मीडिया से है गेट खोल दो।” फिर हम अंदर चले गए।
आपको बताते चले कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लगभग मार्च के पहले सप्ताह तक पटना में ऊलेन कपड़ों को लेकर व्यापार करने के लिए नॉर्थ ईस्ट और कश्मीर के लोग आते हैं, जो सरकार या प्राइवेट लोगों द्वारा किराए पर मिले खाली जगहों पर अस्थाई बाज़ार लगाते हैं।
यहां के ज़्यादातर दुकानदार कारोबार करके वापस चले गए हैं क्योंकि फरवरी का दूसरा सप्ताह खत्म हो गया है। 25 से 30 कश्मीरी कारोबारियों के समूह अब भी यहां हैं, जिन्हें 5 तारीख तक पटना में रहना था। हालांकि हालातों से लगता नहीं है कि वे अब यहां ठहर पाएंगे।
जब हम अंदर गए तब 4-5 पुलिसकर्मियों के अलावा एक प्राइवेट एजेंसी के गार्ड और लगभग 7-8 कश्मीरी युवक दिखे। बंद हो गई दुकानों के बांस और टेंट के बीच एक ही दुकान खुली थी जहां सब लोग एक साथ बैठे थे।
हम कुछ सवाल करते उससे पहले युवकों ने इशारा करते हुए कहा, “साहब बात करेंगे आपसे।” वहीं पास में खड़े 45 वर्षीय ज़ाफरी नाम के व्यापारी के पास हम पहुंचे, जिन्हें अपना परिचय देने के बाद 15 फरवरी की घटना पर बात करना शुरू किया।
उन्होंने कहा, “जुम्मे की नमाज़ के बाद हम लौटे ही थे कि 20-25 की संख्या में लोग हाथ में बांस और डंडे लिए भारत माता की जय, पाकिस्तान मुर्दाबाद और कश्मीरी तुम वापस जाओ नारों के साथ दुकानों के बैनर फाड़ते हुए घुसने लगे। हम लोग भी दो दर्ज़न की संख्या में थे लेकिन अचानक हुए इस हमले से डर गए थे। इशारों में अपने लड़कों को कह भी दिए कि तुम सब बूत की तरह खामोश रहना।”
अपनी आंखों में आंसू लेकर ज़ाफरी बताते हैं, “गंदी गालियां देते हुए वे लोग दुकानों से कपड़े निकालकर फाड़ने लगे। मैडम, हम 15-20 लाखों का बिज़नेस चार महीने में करते हैं और यह सारा सामान कश्मीरी व्यपारियों से उधार लेकर आते हैं। हमारी जवाबदेही बनती है इसलिए उनके सामने गिड़गिड़ाने लगे कि सामान को छोड़ दें।”
इन सबके बीच वहां का मंज़र बेहद निराश कर देने वाला था। पाकिस्तान से बदले की आग में तमाम असामाजिक तत्व भीड़ में तब्दील हो चुके थे जिनका सॉफ्ट टारगेट कोई मुसलमान या फिर कश्मीरी ही होता।
बकौल ज़ाफरी, “उन्होंने बीच में आए हमारे लड़कों को डंडे से मारा और दुकानों से निकाल कर कपड़ों को ज़मीन पर रखकर रौंदने लग गए। हमारे चार साथी बहुत ज़्यादा ज़ख्मी हुए हैं और बाकि को मामूली चोटें आई हैं।
वीडियो बनाकर किया वायरल
घटना का ज़िक्र करते हुए ज़ाफरी कहते हैं, “उन लोगों की झुंड में आया एक लड़का लगातार वीडियो बनाता रहा लेकिन हम हमारा फोन निकालकर उस वक्त पुलिस को कॉल करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाए क्योंकि ऐसा करने पर वे हमें और मारते। वे गालियों के साथ जाते-जाते 10 घंटे की मोहलत देकर बोले कि नहीं खाली करके गए तो बाज़ार के साथ तुम्हें भी जला देंगे और एक-एक को ज़िंदा गाड़ देंगे।”
यह तमाशा 20 मिनट तक चलता रहा, उनके जाते ही पुलिस को कॉल करने पर पुलिस तुरंत यहां आ गई। घायलों के इलाज कराने में पुलिस ने मदद की है लेकिन हम धमकी से दहशत में हैं।
ज़ाफरी आगे बताते हैं, “यह सम्भव भी नहीं था कि हम तुरंत अपने सामान के साथ जगह खाली कर दें। रोज़ के दिनों में सभी दुकानों में एक-दो लोग हर रात सो जाते थे लेकिन खौफ से उस रात कोई नहीं रूका। हां, पुलिस के जवान वहां रातभर रहे।
वीडियो देखकर दहशत में घरवाले
ज़ाफरी के साथ खड़े लड़कों में से एक ने कहा कि घर से कॉल आया था और वे हमारा खैरियत पूछ रहे थे। उनलोगों ने भी वीडियो देखी है। नापाक हरकत वाली वीडियो पहले खुद ही बनाते हैं और वायरल भी कर देते हैं। अब एक-एक कर सब लड़के बोलने लगे, हमें अमन-चैन पसंद है। हम यहां धंधा करने आते हैं और यहां भी वही होगा तो हम कहां जाऐंगे?
उनमें से अधिकांश लड़के बहुत कम उम्र से अपने वालिद या चाचा के साथ पटना में बाज़ार लगाने आया करते हैं। यहां किराएदार की तरह रहते हुए, बिजनेस करते हुए कई लोगों से बेहद लगाव हो गया है।
इससे पहले कभी पटना शहर से कोई शिकायत नहीं मिली लेकिन इस घटना से वे सदमे में थे और बार-बार कह रहे थे कि हर साल की तरह हंसी खुशी से जाने पर ही वापस आ पाएंगे, इस दहशत में लौटे तो दोबारा आने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे।
पुलिसकर्मियों से बातचीत
ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से बातचीत के दौरान उन्होंने साफ कहा कि आज कल युवा सस्ती हिरोइज़्म के चक्कर में ऐसी घटिया हथकंडा अपनाते हैं। ये लोकल लड़के ही हैं और जब तक इनकी गिरफ्तारी नहीं होती है, तब तक यह कहना मुश्किल है कि ये किसी संगठन के थे या नहीं।
थाना प्रभारी ने कहा कि वीडियो के आधार पर चार युवकों की तलाश चल रही है और घटना की जानकारी के बाद से कश्मीरी व्यापारियों को पुलिस पूर्ण सहयोग कर रही है।
हम वहां से निकलकर पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, जिसके इमरजेंसी वार्ड में एक बेड पर माज़िद पड़ा था। उसके सर पर 8 टांके लगाए गए थे और दर्द से अब भी वह बात करने की हालत में नहीं था।
वहीं पास के बेड पर कल घायलों में से जावेद, रियाज़ और वशिम भी था। इनके ज़ख्म का दर्द से ज़्यादा खौफ चेहरे पर थी और ये कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए। वे सिर्फ एक ही बात कहते रहे कि हमने कुछ नहीं किया है, हमें अमन पसंद है।
इस पूरी घटना को समझने के लिए हम अपने घर से निकल कर घटनास्थल, कोतवाली थाना और अस्पताल तक गए। पटना के विभिन्न इलाकों में लगभग 8 किलोमीटर घूमने के दौरान हमें जो देखने को मिला उससे हमें काफी निराशा मिली।
पटना शहर की तमाम गलियों और सड़कों पर दस, बीस से लेकर पांच सौ तक के झुंड में लोगों का जत्था दिख रहा था। हाथों में तिरंगा लहराते ‘भारत माता की जय’ के साथ पाकिस्तान को गंदी-गंदी गालियां देते हुए कह रहे थे कि उस कोख को उजाड़ेंगे जो आतंकी पैदा करती है।
सबसे हैरानी की बात तो यह थी कि लोग बड़ी संख्या में डीजे बजाकर नाचते नज़र आ रहे थे। वे खुले तौर पर वीडियो बनाते हुए कह रहे थे कि सैनिकों की शहादत का बदला लेंगे।
ट्रैफिक पुलिस और जगह-जगह थानों की गाड़ी मूक दर्शक के तौर पर खड़ी थी और हम यही सोच रहे थे कि देशभक्ति के नाम पर हमारे शहीदों को भी शर्मिंदा किया जा रहा है। राष्ट्रप्रेम के नाम पर यह उनकी गुंडई नहीं तो और क्या है?
यहां देखें उपद्रवियों का वह वीडियो जिसमें वे पटना में कश्मीरियों को धमकाते और पीटते नज़र आ रहे हैं-