मेरी उम्र 22 वर्ष है और मैं उभयलिंगी (पुरुष और स्त्री दोनों के प्रति लैंगिक आकर्षण) हूं। मुझे बायपोलार डिसॉर्डर है जिसे एक मानसिक बीमारी भी कह सकते हैं जिसमें उन्मत्त और अवसादग्रस्तता के एपिसोड होते हैं। मैं अभयस्त तौर पर चिंतित/बैचैन रहने वाली हूं। एक ऐसे विषमलैंगिक पुरुष के लिए भावनाओं से ओत-प्रोत जिसे मैं टिंडर पर मिली थी।
इस लेख के शीर्षक से जैसा कि आप समझ ही गए होंगे, जितना मिलेनियल (ऐसे लोग जो साल 2000 या उसके बाद के सालों में युवा व्यस्क हुए हैं) कोई हो सकता है, मैं उतनी मिलेनियल हूं। यह अजीब है क्योंकि अब भी हाथ से लिखे हुए खत मुझे आसक्त कर देते हैं। मैं अब भी एक ऐसे प्यार के रिश्ते में विश्वास करती हूं जो हमेशा के लिए बांधा जाता है। बच्चों को गोद लेना चाहती हूं और दूर किसी बीच-टाउन के एक फार्म में गाजर उगाना चाहती हूं।
ज़्यादातर टिंडर डेट्स की तरह, मैं ठीक-ठाक सेक्स और थोड़ी कम बातचीत की उम्मीद में थी। वह आधी रात को घर आया और जहां तक मुझे याद है, उसे बुलाने का फैसला एकदम इम्पल्सिव था जिसे उसने भी बेझिझक मान लिया। दरवाज़ा खोलने पर मैंने अपने सामने एक क्यूट दुबले भूरे रंग और छोटे बालों वाले लड़के को पाया और मुझे तभी मालूम था कि सेक्स या तो एकदम हॉट या फिर संकोचशील होने वाला था।
यह लड़का वह क्लीषे है जिसके सपने देखते हुए मैं बड़ी हुई और दो साल पहले अगर हम मिले होते तब मैं इसे पक्का दिल दे बैठती लेकिन वह दो सालों में कुछ घटित हुआ और मेरी मानसिक सेहत ने मुझे कुछ समय से सकारात्मक भावनाओं की अनुभूति करने की अनुमति नहीं दी है।
उससे मिलने के बाद मैं कुछ और लोगों के साथ लैंगिक रिश्ते रख चुकी हूं। इसलिए जब हमारी पहली मुलाकात के बारे में सोचती हूं तब हॉट सेक्स का हॉट विवरण मेरे दिमाग में सबसे पहले नहीं आता। मुझे यह बात याद है कि उसने हमारे सेक्स के बीच ब्रेक में सिगरेट फूंकी थी क्योंकि मैंने उसे बताया था कि निकोटीन की महक से कैसे मेरी कामलिप्सा दमक उठती है।
मुझे याद है मेरे नितंब पर उसके हाथों की छुअन और जब उसने रात मेरे यहां नहीं बिताई तब मुझे कैसा लगा था। मुझे और फक करना था और उसकी बाहों को नरमी से चूमते रहना था। मुझे उसकी त्वचा को अपने करीब रखकर सांस लेनी थी, मुझे मॉर्निंग सेक्स चाहिए था। ऐसा महसूस कर रही थी मैं।
कुछ घिसे-पिटे साधारण मेसेजेज़, मेरी तरफ से गर्म-दिमागी से की हुई ब्लॉकिंग, कुछ मिस्ड कॉल्स, एक मेसेज़ जिसमें ‘लेटर प्रेरणा’ लिखा था और मेरी तरफ से एक क्षमायाचना। उस समय तक जब मैं हाल ही में उससे मिली, शायद पहली दफा मिलने के कुछ दो हफ्तों बाद। जैसे पहले भी हुआ था, वह देर रात मेरे घर आया जो फक करने और दो अजनबियों से बढ़कर कुछ होने का ढोंग करने के लिए बिल्कुल सही समय था।
ज़ाहिर है हमने सेक्स किया और इस बार ब्लाइंड फोल्ड (आँखों पर पट्टी) बांधने का तरीका आजमाया जो उसके वीर्य निकलने के पहले निकल गया। मेरे कम ब्लड प्रेशर के गंभीर मामले, चिंता की वजह से होने वाली पीठ की तकलीफें और उस रात अचानक से पेट खराब होने के बावजूद सेक्स अच्छा था।
उसके पसीने से तर बदन से लिपटे मेरे बदन का एहसास मुझे पसंद था। मुझे उसकी गांजे/वीड से महकी सांसें और किस्स करते वक्त मेरे यह कहने पर, ‘मैंने अभी उल्टी की’ उसका प्यारेपन, दोनों मोहक लगे थे।
हमने पीछे से सेक्स किया और खिड़की के पास गद्दे पर भी सेक्स किया और फिर उसका वीर्यपात हो गया। उसने कहा कि आइसक्रीम खरीदें और मेरे घर के पास डॉकयार्ड पर जाएं? रात के इस समय तक मेरा दिमाग सामाजिक बर्ताव की बाइनरी को भूल जाता है और असहजता से ‘यहां से भग लो, जानेमन, हम सिर्फ अजनबी हैं’ और ‘उफ, ज़रूर!! मैं तुम्हारे साथ बच्चे भी गोद लूंगी, मेरे गाजर की खेती वाले न्यारे के बीच डोलने लगता है।
हालांकि उसके सुझाव पर मैं बिल्कुल भी नहीं डोली। मुझे उसके साथ डॉकयार्ड जाना था। मुझे पता लगाना था कि वह अपनी आइसक्रीम कैसे खाता था। एकदम धीरे या एकदम तेज़। मुझे जानना था कि पहली बार हस्तमैथुन करने पर उसको कैसा लगा था। मुझे समुद्र किनारे बैठ कर उसे दुनिया देखते हुए देखना था।
इस सब के बीच एक बातचीत थी, जहां उसने मुझसे पूछा कि सेक्स के बाद मेरी किस्सेस/चुंबन का क्या मतलब था क्योंकि उसे वह अलग लगती थी। मुझे उसे धीरे से बताना था कि इन किस्सेस का मतलब था कि मेरी चिंता कुछ वक्त के लिए बंद हो गई थी कि मेरी छाती फिर से हलकापन महसूस करना सीख रही थी।
मैं सहानुभूति स्वीकारना सीख रही थी कि मुझे एक ऐसे अजनबी से प्यार करना और पाना था जिससे मैं सिर्फ दूसरी बार मिली थी। मुझे उसे ऐसे चूमना था जैसे वाकई मेरा रोम-रोम उसे चूमना चाहता था। मैं चाहती थी कि वह मेरे होंठों को ऐसे स्वीकारे और मुझे ऐसे छुए जैसे उसका भी रोम-रोम यही चाहता था। मुझे नहीं लगता कि दूसरी बात सच हुई।
काफी महीनों में पहली बार मैं एक दूसरे इंसान के बारे में जिज्ञासु थी। इस जिज्ञासा के ख्याल ने मेरी छाती को हल्का कर दिया। मैं अपने आप को सकारात्मक भावनाओं की अनुभूति करने का एक और मौका देना चाहती थी। इसलिए, हमने उसकी करीब-करीब हिप्स्टर और करीब-करीब मेरी कामुक कल्पनाओं/वेट ड्रीम से बनी पीली वेस्पा पर सैर की।
मैं बीते सालों में ज़्यादा रूमानी रह चुकी हूं। मुझे लगता है उस रात मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा। हम ना डॉक्स तक पहुंच पाए और ना ही आइसक्रीम खरीदने के लिए जा पाए लेकिन हमने रात के 1 बजे चाय पी। मैंने उसकी आँखों को मेरी तरफ देखते हुए पकड़ लिया जब मैं लगभग नज़र फेरे खड़ी थी।
एकदम घिसा-पिटा सीन, है ना? अगर मैं 19 वर्ष की होती तब इस रात के ख्याल से भी कामोन्माद पा लेती लेकिन जब मैं 19 वर्ष की थी, तब ऐसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या के साथ निदान भी नहीं किया गया था, जो आगे चलकर मुझे प्यार में पड़ते समय अपनी खुद की नब्ज़ भी नहीं महसूस करने देती।
मुझे नहीं पता कि उस रात मैंने क्या महसूस किया लेकिन मैंने सैर के बाद उसे फिर घर पर आने के लिए कहा। पहले वह थोड़ा हिचकिचाया लेकिन घर की खिचड़ी के लिए थोड़ी चाहत थी। लिफ्ट में वह मेरे सामने खड़ा हुआ और जब मैंने उसे चूमने की कोशिश की, वह सीसीटीवी ढूंढने लगा।
मैंने उस बारे में सोचा भी नहीं था। मुझे बस उसे अलग-अलग जगहों पर चूमना था क्योंकि मैं जानती थी कि उससे एक और बार मिलने की संभावना कम थी। मेरे दिल को अपनी खुद की क्षमताओं की याद दिलाने के लिए मुझे इसकी ज़रूरत थी। उसने खुद खिचड़ी ली और मैंने मेरे बनाए हुए चिकन को गर्म करने की ज़िद्द की।
हम कमरे में गए और कुछ बातचीत की, जो मैं अब भूल रही हूं। उसने कहा कि खिचड़ी ने उसे फिर से फक करने की ताकत दी थी इसलिए हम फिर लग गए। ज़ाहिर है, सेक्स बढ़िया था। उसने मेरी योनि को मन से चाटा और मुझे उस क्रिया से कामोन्माद भी प्राप्त हुआ जो आखरी बार तब हुआ था जब मैं एक लड़की के साथ रिश्ते में थी। मैं बस उसके गले लगना चाहती थी और अगले कुछ दिन कितने आनंदमयी होने वाले थे, उसके लिए उसका शुक्रिया अदा करना चाहती थी।
खासकर, मेरे मानसिक स्वास्थ्य निदान के बाद मैं भूल चुकी हूं कि मशगूल सड़कों पर अकेले चलते समय दिमाग में एक स्लो सॉंग का अटके रहना कैसा लगता है। जैसा कि टिंडर की बातचीत में अक्सर होता है, हमने उन लोगों की भी चर्चा की जिनके साथ हम सो रहे थे। जहां मैंने उसे मेरी ज़िन्दगी में दो और लोगों की मौजूदगी के बारे में बताया। उसने कहा कि वह किसी और के साथ नहीं सो रहा था। हालांकि कुछ लोग उसके साथ सोने के लिए राज़ी थे। मैं कल्पना करती थी कि वह एक सुन्दर ब्राउन लड़का है जो गोल फ्रेम वाले हिप्स्टर चश्मे पहनता है और म्यूज़िक बनाकर कमाता है, संगीतकार है।
‘तुम औरों के साथ क्यों नहीं सोये हो?’ मैंने कुछ हद तक जिज्ञासा और कुछ हद तक उसको अपनी बाहों में लिपटे रखकर बातचीत जारी रखने की ज़रूरत से पूछा। उसने जवाब दिया, “मैं हाल ही में किसी को पसंद करने लगा हूं लेकिन पता नहीं वह सब कहां जा रहा है।” मुझे याद है कि यह कहते समय वह मुस्कुरा रहा था लेकिन शायद वह वीड, सेक्स और खिचड़ी से हाई था। मैं कन्फ्यूज़्ड थी लेकिन उसने मेरे चेहरे से नज़रे चुराते हुए कहा, “तुम मेरे साथ सो रही हो। मैं तुम्हें पसंद करता हूं।”
जब उसने इस बार रात मेरे घर नहीं गुज़ारी तब मुझे ज़्यादा हॉर्नी नहीं महसूस हुआ। मैं सेक्स के लिए तड़प नहीं रही थी। मुझे मॉर्निंग सेक्स नहीं चाहिए था। असल में मुझे मॉर्निंग सेक्स चाहिए था लेकिन वह उसे ‘गुड नाईट’ चूमने और ‘गुड मॉर्निंग’ गले लगने के एहसास के साथ उलझ गया था। मैं उसे गले लगना और स्पून करना चाहती थी। उससे चिपट कर चम्मच के आकार में एक साथ सोना चाहती थी और रात में उसकी पीठ को चाटना चाहती थी क्योंकि मुझे याद है, कैसे मेरे चाटने से वह चंचल होकर चिढ़ता था।
मुझे एक क्लीशे का एहसास हुआ, एक टूटा हुआ लड़का और उसकी उन्मत्त पिक्सी/परी। मेरे आम नारीवादी जीवन में एक ऐसी रूमानी गड़बड़। इस क्लीशे की निंदा करने की मेरी राजनीति की आदत एक वजह है कि मैं रिश्तों के बारे में आशंकित हूं: ‘एक रिश्ते में ‘देखभालकर्ता’ की भूमिका में होने की वजह से अगर मैं अत्यधिक भावनात्मक श्रम कर देती तो क्या होता?’ पता नहीं, लेकिन इनमें से कोई भी शंका उस बेचैन रात को नहीं उभरी।
मुझे बस उसे कस के पकड़ना था और कभी छोड़ना नहीं था। मैं किसी भी तरह से चाहती थी कि वह वापस आए ताकि मेरी छाती में बसी गांठों को खोलने के लिए चिल्ला सकूं। इस बात को एक हफ्ता बीत चुका है और दिल में पड़ी वह गांठें अब भी ढीली लटक रही हैं। बस उनमें कुछ पहेलियां जुड़ गई हैं।
प्रेरणा द्वारा
अनुवाद: तन्वी मिश्रा
चित्रण देबस्मिता दास