ज़ुल्मी शेर की मांद में घुस कर उसे चुनौती देने वाला भी एक शेर ही हो सकता है। शहीद राम चन्द्र छत्रपति भी शेर थे। जब दिल्ली में बैठे पत्रकारों का ज़मीर सिरसा में राम रहीम की गुफाओं में घुसा था, तब राम चन्द्र छत्रपति ने सिरसा में रहकर पहली बार उन दो लड़कियों के खत को अपने अखबार ‘पूरा सच’ में छापा, जिसमें उन लड़कियों ने राम रहीम पर रेप का आरोप लगाया।
उन्हीं की बदौलत राम रहीम को उन दोनों लड़कियों के साथ रेप करने के आरोप में 20 साल की सज़ा हुई थी। साल 2002 में राम रहीम ने उनकी हत्या करवा दी। आज 16 साल बाद गुरुवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने राम रहीम को उनकी हत्या के ज़ुर्म में उम्रकैद की सज़ा सुनाई है।
गौरतलब है कि पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति हत्याकांड मामले में राम रहीम के अलावा चार अन्य दोषियों को भी उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। विशेष जज जगदीप सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए फैसला सुनाते हुए कहा कि उम्रकैद की सज़ा दुष्कर्म मामले में दी गई 20 साल की सज़ा पूरी होने के बाद शुरू होगी। सभी दोषियों पर 50 हज़ार रुपए ज़ुर्माना भी लगाया गया।
जज ने पत्रकारिता की तारीफ की
जज जगदीप सिंह ने तेरह पन्नों का फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्रकारिता एक गंभीर व्यापार है जो सच्चाई को रिपोर्ट करने की इच्छा को सुलगाता है। किसी भी ईमानदार और समर्पित पत्रकार के लिए सच को रिपोर्ट करना बेहद मुश्किल काम है। खासतौर पर किसी रसूखदार व्यक्ति के खिलाफ लिखना और भी मुश्किल हो जाता है जब उसे राजनीतिक संरक्षण हासिल हो।
बहरहाल, इस देश में न्याय खुद सांस नहीं लेता बल्कि राम चन्द्र छत्रपति जैसे पत्रकार अपनी शहादत से न्याय को ऑक्सीजन देते हैं। इन कत्ल किए गए पत्रकारों के कहीं स्मारक नहीं बनेंगे लेकिन आपका जानना और अपनी आने वाली पीढ़ी को बताना ज़रूरी है कि आज अगर न्याय ज़िंदा है तो शहीद राम चन्द्र छत्रपति जैसे पत्रकारों ने इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकाई है।
राम रहीम के पास लाखों लोग थे, सत्ता की ताकत थी। राम चन्द्र छत्रपति के पास सिर्फ कलम थी। अभी वह सत्ता के हथियार बने नहीं हैं जिनमें इतनी धार हो कि कलम की धार से मुकाबला कर सके। एक बात तो तय है कि ना तो कलम मरती है और ना ही राम चन्द्र छत्रपित जैसे पत्रकार कभी मरा करते हैं।
जब-जब किसी सिरसा में कोई ज़ुल्मी शेर अपना आतंक फैलाएगा, तब-तब कोई राम चन्द्र छत्रपति उसकी मांद में घुस कर चुनौती देते हुए उसे हरा देगा।
इस देश का नागरिक होने के नाते मैं राम चन्द्र छत्रपति जी की शहादत को क्रांतिकारी सलाम करता हूं। इस विषय में आपको अनुराग त्रिपाठी की किताब ‘डेरा सच्चा सौदा’ ज़रूर पढ़नी चाहिए। उन्होंने गहन अध्ययन और बहुत मेहनत से यह किताब लिखी है।