भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता। अर्थात, जहां नारी की पूजा की जाती है वहीं देवता का निवास होता है। यह बात आदिकाल से हमारे कानों में घुलती रही है पर 21वीं सदी के अठारह बरस के भारत में इन बातों को धता बताते हुए दरकिनार कर दिया गया है।
हर दिन महिलाओं के साथ मानवता की दीवार को लांघती तस्वीरें हमारे सामने दस्तक दे रही हैं। कहीं नारी को ज़िन्दा जला दिया जा रहा है तो कहीं नारी को निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा है। आंखें बोझल हो जाती हैं, गले रुंधने लगते हैं, मन कुंठित हो जाता है। जब यहां तक खबर आ जाती है कि महिला के जननांगों में छड़ घोप दिया गया है, या मिर्ची पाउडर डाल दी जाती है।
जो वाकई में यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि वह भारत जो अपनी धरातल को मातृभूमि के नाम की माला पहनाता है, वह इन क्रमबद्ध घटनाओं का साक्षी कैसे बन सकता है?
पर यह मूकबधिर समाज, सरकार और प्रशासनिक अमला तमाशा देखता रहता है। जांच के नाम पर थोड़ी बहुत तसल्ली मिल जाती है, जिसका उदाहरण 2012 का निर्भया कांड रहा। बीते बरस की घटना जब आगरा में संजली नाम की छात्रा को ज़िन्दा जला दिया गया, जो महज़ 15 बरस की थी। वहीं बिहार में महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया गया।
साथ ही हम उन कुकर्मों को कैसे भूल सकते हैं, जिसने सरकार पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए। बिहार के मुज़फ्फरपुर की घटना जहां बालिका सुधार गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ मानवता की सारी हदें तोड़ दी गईं। अब ताज़ा मामला देश का दिल यानी दिल्ली के द्वारका से रहा, जहां जांच के दौरान पता चला कि यहां शेल्टर होम में रह रही बच्चियों को सज़ा के नाम पर उनके जननांगों में मिर्ची पाउडर डाल दी जाती थी।
लानत होनी चाहिए ऐसे समाज पर जो हर बरस एक तरफ धार्मिक मान्यताओं के तहत नवरात्रि में कन्याओं की पूजा अर्चना करता है और दूसरी तरफ इन कन्याओं का शोषण करने वाले दैत्य को भी हमारा समाज पालता पोसता है।
डराने वाले हैं एनसीआरबी के आंकड़ें
एनसीआरबी के आंकड़ों के ही मुताबिक वर्ष 2014-2016 में महिलाओं के प्रति अपराध में हत्या के 30450, दहेज के कारण हत्या 7621 और सबसे ज़्यादा रेप के 38947 मामले सामने आए।
यानी महिलाओं को लेकर हमारा भारत कितना संजीदा है हम खुद सोच सकते हैं। इस भारत में प्राकृतिक मासिक चक्र की वजह से महिलाओं का, “जो इस देश की आधी आबादी की अगुआई करती हैं” मंदिर अथवा धार्मिक स्थानों में प्रवेश वर्जित है। जिसका उदाहरण सबरीमाला मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल हैं। अर्थात यहां भी महिलाओं के साथ भेदभाव, अधिकारों का हनन और धार्मिक ठेकेदारों का बनावटी मंत्रोच्चार का जाप मिलता है।
पीरियड्स की वजह से करनी पड़ी आत्महत्या
यहां महज़ पीरियड्स की वजह से महिलाएं आत्महत्या करने को मजबूर हो जाती हैं और तो और पीरियड्स के दौरान महिलाएं खुद को ऐसा महसूस करती हैं जैसे इन्होंने कोई बड़ा पाप कर लिया हो। 2017 में तमिलनाडु से एक ऐसी कांपने वाली घटना सामने आई जिसमें महज़ बारह बरस की छात्रा को आत्महत्या करनी पड़ी क्योंकि पीरियड्स के कारण कपड़े पर दाग लग जाने से शिक्षिका द्वारा उसे ज़लील किया गया था।
इन सभी पटकथा के बीच कोलकाता से एक ऐसी तस्वीर आई जिसने कम से कम महिलाओं को लेकर एक अच्छी चर्चा करने का अवसर प्रदान किया। कोलकाता की एक निजी कंपनी FLY MY BIZ, जो कि एक डिजिटल मीडिया कंपनी है के सीईओ सनयो दत्ता ने साल में महिलाओं को पीरियड्स को लेकर बारह अतिरिक्त छुट्टी देने की घोषणा की।
हालांकि, इससे पहले भी मुंबई की दो बड़ी कंपनी इसकी घोषणा कर चुकी है, किंतु यह खास इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि, इससे अच्छा उपहार उस कंपनी में काम कर रही महिला कर्मचारियों के लिए क्या हो सकता है, जिस घोषणा को उस कंपनी के पुरुष कर्मचारियों ने भी दिल खोलकर स्वागत किया है।
ज्ञात हो कि महिलाओं और डॉक्टरों के अनुसार पीरियड्स के दिनों में महिला काफी असहज दौर से गुज़रती हैं। महिलाओं को पेट, कमर और टखनों के दर्द को सहना पड़ता है। कभी-कभी तो दर्द इतना अधिक हो जाता है कि उन्हें दवा का सेवन करना पड़ता है और संभवतः महिलाओं को इन दिनों में खास ख्याल रखने की ज़रूरत होती है। यह अंधविश्वासी समाज और अपना परिवार ही उन्हें कुकृत्य के चश्मे से ताकता है।
इससे इतर सरकार का कदम काफी सराहनीय रहा, जिसमें पास्को एक्ट के तहत बारह वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार मामले में दोषी को सज़ा-ए-मौत दी जाएगी। तो क्या 2019 में भारत महिलाओं को लेकर वचनबद्ध हो सकता है? क्या यह समाज इन नारीशक्ति को लेकर संकल्प कर पायेगा?