24 साल की विनीता दिल्ली विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रैजुएट हैं और उन्हें कविताएं लिखने का बेहद शौक है। विनीता को पता था कि अंकुर से उन्हें शायद ‘आई लव यू टू’ सुनने को कभी नहीं मिलेगा, फिर भी वह उसे दिल से चाहती थी। क्या यह उसकी बेवकूफी थी? उन्होंने लव मैटर्स इंडिया से अपनी कहानी साझा की।
दिल नहीं शरीर आड़े आ गया
मुझे बचपन से ही ‘सेरेब्रल पाल्सी’ नामक बीमारी है जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों में कोई हलचल नहीं होती। मैं उस वक्त 5वीं कक्षा में थी जब मुझे पहली बार प्यार हुआ। मैं अंकुर पर सिर्फ इसलिए नहीं मरती थी कि वह बुहत सुंदर था बल्कि उसका स्वभाव भी मुझे आकर्षित करता था।
वह हर मुश्किल में मेरे साथ खड़ा होता, मेरा ख्याल रखता और ज़रूरी चीज़ों के बारे में भी पूछा करता था। सच कहूं तो उसकी वजह से मैं बहुत खास महसूस करती थी। मेरे लिए यह प्यार का पहला एहसास था। शायद यही वो वजह थी कि मैं हमेशा खुश रहती थी।
भावनाओं को शब्दों में बयां किया
मैं और अंकुर साथ-साथ बड़े हुए थे। पढ़ाई खत्म होने के बाद जब स्कूल छोड़ने का समय आया तब मैंने उसे अपने दिल की बात बताने की हिम्मत जुटाई। अब मैंने अपनी भावनाओं को शब्दों से बयां करने का फैसला किया। एक दोपहर मैंने अंकुर को ईमेल में लिखा कि मैं उसे बहुत प्यार करती हूं और जिस तरह से वह मेरा साथ देता है, मैं उसके लिए उसे कभी नहीं भूल पाऊंगी।
उसे ईमेल लिखते समय मैं सिर से पैर तक कांप रही थी। ईमेल भेजने के बाद भी मैं काफी देर तक घबराई हुई थी। आधे घंटे के अंदर ही अंकुर का जवाब आ गया लेकिन उसके जवाब के इंतज़ार में आधा घंटा काटना भी मेरे लिए बहुत मुश्किल रहा।
मैं उसका जवाब पढ़ने के लिए बहुत उतावली थी। मैं पूरी ईमेल पर एक सरसरी नज़र डालकर यह देखने की कोशिश कर रही थी कि शायद उसने वह तीन शब्द कहे होंगे। मुझे लग रहा था कि वह तीन शब्द मुझे कहीं तो नज़र आ जाए जिन्हें पढ़ने के लिए मैं बेताब थी लेकिन उसने ‘आई लव यू टू’ नहीं लिखा था। फिर भी कुछ ऐसी चीज़ें थीं जिसने मुझे पूरा मेल पढ़ने के लए मजबूर किया।
कुछ नहीं बदला
अंकुर ने बहुत प्यारा संदेश भेजा था। उसके एक-एक शब्द मुझे आज भी याद हैं। उसने लिखा था, वह मेरी भावनाओं की कद्र करता है और मैं उसकी खास दोस्त हूं। उसने वादा किया था कि हम दोनों की दोस्ती में कभी कोई बदलाव नहीं आएगा।
इसके बाद हम स्कूल के पुनर्मिलन समारोह में भी कई बार मिले और उसने अपना वादा निभाया। हम दोनों के बीच कुछ नहीं बदला है और ना ही मेरी ज़िंदगी में। मैं अभी भी सिंगल हूं। मैं जानती हूं कि इस प्यार के बीच मेरी विकलांगता आड़े आ गई। तो क्या मैंने प्यार करके बेवकूफी की?
उस दिन के बाद मैंने अपने आप से कई बार यही सवाल किया लेकिन मुझे लगता है कि मैंने उस दिन अंकुर को ईमेल लिखकर सही काम किया। कम-से-कम मुझे उसके मन की बात तो पता चली। मैंने जो महसूस किया उसे ज़ाहिर कर दिया। मैं जानती हूं ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें अपने दिल की बात बताने का मौका नहीं मिलता है और ऐसे भाग्यशाली लोग भी कम हैं जिनकी दोस्ती आज तक बनी हुई हो।
मैंने भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। मुझे यकीन है कि एक दिन मुझे मेरे सपनों का राज कुमार मिलेगा जो मुझे मेरी विकलांगता से परे जाकर समझेगा और मुझे प्यार और सहयोग देगा।
द्वारा Vinayana K