मेरा जन्म महिला के शरीर में होना मेरा गुनाह बन जाएगा और ज़िन्दगी भर का संघर्ष, इसका एहसास मुझे तब हुआ जब मैं बस से यात्रा कर रही थी। जब मैं बस में थी तो एक व्यक्ति मेरे पीछे था और अचानक से उसने मुझे छूना शुरू कर दिया। उस वक़्त मैं एक दम से घबरा गई और जोर से मैंने चिल्लाया। वो चुप हो गया लेकिन यह घटना मुझे आज भी डराकर रखती है। मैं आज भी जब बाहर जाती हूं तो यह घटना मेरे अंदर जीवित रहती है। ‘मेरा देश महान’ कहने वाले लोग आज भी औरतों की स्थिति पर चुप्पी साधे नजर आते हैं। अगर मैं खुद की बात आगे रखूं तो शायद यह अनुभव बहुत लड़कियों के साथ हुआ होगा और यह दु:खद है।
बचपन में भरे बाजार में मैं जब चल रही थी तो किसी ने मेरे बूब्स को टच किया और एक दम से भाग गया। मैं वहीं खड़ी रही। उस दिन से मेरा नजरिया अपने आप के शरीर को लेकर एकदम से बदल गया। मुझे अपने बूब्स को लेकर घिन होने लगी। जब भी मैं बाहर जाती अपने आप को ढक कर जाती। मुझे लगता शायद वो घटना इसलिए हुई क्योंकि मैंने दुपट्टा नहीं लिया था। जैसे-जैसे मैं बड़ी होने लगी तो अपने आस-पास शहर को लेकर डरने लगी। जब भी मैं बाहर जाती तो बहुत असहज महसूस करती। जब कोई रेप की घटना सुनती तो और डर जाती क्योंकि मेरा परिवार मुझपर पाबन्दियां लगाने लग जाता। इस डर को दूर करने के लिए मैंने तय किया कि मुझे डर कितना भी लगे लेकिन मैं बाहर जाना नहीं छोड़ूंगी।
जब भी बाहर जाती हूं तो यह तय करती हूं की अपने फोन की बैटरी को पूरा चार्ज रख सकूं। साथ ही जब ऑटो से अपने घर आती तो जानबूझकर फोन पर बात करती हूं ताकि उस ऑटोवाले को लगे कि मेरे घरवालों से बात हो रही है और वो मुझे कुछ नुकसान न पहुंचा सके। कई बार यात्रा के दौरान मैंने अपने मोबाइल पर पुलिस का नंबर भी तैयार रखा है ताकि किसी भी नुकसान से बच सकूं। रात में अक्सर मैं घबरा जाती थी। मैंने सड़क पर देखा है कि रात में लड़कों को खुली छूट होती है कि वो शराब पिए और लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करें। रात में एहतियात करने के लिए मैंने ऑटो का नंबर नोट करना शुरू किया।
जब मैंने नाइट शिफ्ट में काम करने का सोचा तो मुझे मेरे परिवार ने यही कहा कि जो तुम्हारे साथ होगा उसकी जिम्मेदार तुम होगी। निर्णय के बाद मुझे पता चला कि लड़कियां जो रात में काम करती हैं उसके बारे में लोग क्या सोचते हैं। उन्हें लगता है कि वह चरित्रहीन है और कुछ लड़कों का देखना भर लगता है कि बलात्कार से कम नहीं हुआ। मेरे अनुसार अगर ज्यादा से ज्यादा लड़कियां बाहर जाएंगी तो सुरक्षा को लेकर जो हो-हल्ला है वो खत्म हो जाए।
मैंने अक्सर देखा है लड़कियां सड़क पर नदारद है क्योंंकि समाज को लगता है कि उनका रेप हो जायेगा। लेकिन उन्हें बाहर ना निकालकर भी क्या हम देश की लड़कियों को बचा रहे हैं? आज के दौर में हम मंगल ग्रह पर तो पहुंच गए है पर इस देश की लड़कियां आज भी असुरक्षा के घेरे में हैं। हमे अपनी सुरक्षा का इंतजाम खुद करना पड़ेगा। बाहर ज्यादा से ज्यादा निकलना होगा और साथ में थोड़ा सतर्क होकर। हमे यह समझने होगा कि रेप होने से एक लड़की बेइज्जत नहीं होती। समाज को एक लड़की के योनि में अपनी खुद की इज्ज़त तलाशना बंद करना होगा। एक अच्छे समाज की कल्पना तभी हो सकती है जब हम उस समाज की आधी आबादी को इज्जत व सुरक्षा देना शुरू करें। परिवार को भी अपने घर की लड़की पर विश्वास करना होगा और उस पूरा सहयोग देना होगा।