देश के सबसे लोकप्रिय कहे जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को राजस्थान के कोटा में आकर लोगों की तारीफों के पुल बांधते हुए बताया कि वो कोटा के दुःख-दर्द को समझते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोटा से उनका काफी गहरा नाता है। भ्रष्टाचार पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि हम हर तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं और केवल जनता के लिए काम करते हैं।
देश के नाम मन की बात संबोधित करने वाले नरेंद्र मोदी कोटा में आकर मंच से दूर बैठे एक युवा की मन की बात नहीं जान पाए। यह वो युवा था जो अंदर ही अंदर रोते हुए कह रहा था कि आपने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी। आप ही थे जिन्होंने हर जगह से कहा था कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं और ऐसे लोगों के साथ खड़े हैं जो इस देश को बदलने का माद्दा रखते हैं। मोदी जी, आपने ही तो कहा था, “हम हर उस युवा के साथ हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है या लड़ना चाहता है।”
मोदी जी, आपके इन बहकावे और जुमलों में आकर मैंने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। प्लीज़ आगे और युवाओं की ज़िन्दगी मत बर्बाद कीजिये।
मैं कोटा के 30 साल के उस युवा की बात कर रहा हूं जिसने अपने ही सरकारी विभाग के काले कारनामों का चिट्ठा बनाकर सबूतों के साथ मोदी जी को भेजा था। ऐसा करने के बाद वह काफी खुश था लेकिन उसे क्या पता था कि राजनीति में ऐसे ज़ुमले सिर्फ चुनाव जीतने के लिए बोले जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश के IIT मंडी में कोटा के इस युवा को नवंबर 2016 में काम करने का मौका मिला। सरकारी नौकरी मिलने के बाद उस युवक के घर में सभी काफी खुश हो गए थे लेकिन उन्हें कहां पता था कि एक साल बाद यही खुशी गम में तब्दील हो जाएगी।
सुजीत एक ऐसा शख्स है जो अब से पहले मोदी जी की सारी बातें मानता था। उसे लगता था कि मोदी जी ही देश को बदल सकते हैं। इसी विश्वास के साथ सुजीत ने मार्च 2018 में मोदी जी से मिलने के लिए समय मांगा और बताया कि IIT जैसे संस्थानों में बहुत सारी अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार हैं, आप समय दें ताकि देश के इन उच्चतम संस्थानों में सुधार लाई जा सके।
सुजीत को जब कोई जवाब नहीं मिला तब उन्होंने मई में पीएमओ पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसके बाद सुजीत ने केंद्रीय सतर्कता आयोग, मानव संसाधन मंत्रालय, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई, नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन और मुख्यमंत्री हिमचाल प्रदेश सरकार से लेकर भारत के राष्ट्रपति तक के पास तमाम शिकायतें दर्ज कराई। इसका परिणाम यह हुआ कि जिनके खिलाफ शिकायत थी उनपर कुछ ना होकर सुजीत के खिलाफ ही कार्रवाई हो गई।
आलम यह है कि अब अधिकारियों द्वारा सुजीत को लगातार परेशान किया जा रहा है। इस दौरान जब सुजीत से मेरी बात हुई तब नम आंखों से उन्होंने बताया कि मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई जो सरकारों की बातों में आकर यह कदम उठा लिया। हमारे देश में बदलाव सिर्फ कागज़ों में ही दिखाई पड़ता है। आज मेरे परिवार से लेकर हर कोई मुझपर हंस रहे हैं क्योंकि उन्होंने पहले ही मुझे कहा था कि इन लोगों का तो कुछ होना नहीं है, उल्टा तुझे ही गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। मैंने किसी की बात नहीं मानते हुए संघर्ष जारी रखा था लेकिन अब लगभग उम्मीद टूट ही गई है, क्योंकि दो बार मामला लोकसभा में उठने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
सुजीत बताते हैं, “मैंने कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए अब तक तीन वकील किए थे और सभी ने सिर्फ मुझे झूठा दिलासा ही दिया। मेरे पास पैसा नहीं है कि मैं आगे केस लड़ पाऊंगा। हिमाचल प्रदेश के अखबारों में सुर्खियां बटोरने के बाद भी यह मुद्दा राज्य और केन्द्र सरकार के लिए कोई माईने नहीं रखती है। आज हालत यह है कि मेरी नौकरी जाने वाली है और सुनने वाला कोई नहीं है।”
जिस उम्र में लोगों को नौकरी नहीं मिलती उसी उम्र में सुजीत ने वो कर दिखाया जिसकी परिकल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन देश की निक्कमी सरकार एवं विरोधी दल ने इस युवा की जिंदगी बर्बाद कर दी है। इसमें नुकसान सिर्फ भारत देश का है जो एक वफादार सिपाही खोने जा रहा है। मुझे दुःख है कि मैं ऐसे देश में रहता हूं जहां सत्य की आवाज़ कोई नहीं बुलंद करता है। यहां बस झूठे जुमलों के ज़रिए युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।