कारवां-ए-मोहब्बत को दिए अपने एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर की घटना के बारे में बात करते हुए कहा, “एक गाय की मौत को ज़्यादा अहमियत दी जाती है एक इंस्पेक्टर की मौत के बनिस्बत”।
इस बयान को एक खास समुदाय और धर्म के लोगों से जोड़ कर देखा जा रहा है। हालांकि नसीरूद्दीन शाह ने इस वीडियो में किसी भी धर्म को निशाना नहीं बनाया है लेकिन बीजेपी समर्थकों और ट्रोलर्स की ट्विटर पर बाढ़ सी आ गयी है। ठीक वैसे ही जैसे 2014 में आमिर खान द्वारा दिए गए बयान पर लोग उन्हें भारत विरोधी और गद्दार की संज्ञा देने लगे थे। कुछ वैसा ही नसीरुद्दीन शाह के साथ भी हो रहा है।
उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष अमित जानी ने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बयान की आलोचना करते हुए उन्हें पाकिस्तान का हवाई टिकट भेजने का दावा किया है। अमित ने कहा कि नसीरूद्दीन शाह को अगर भारत में डर लगता है तो उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए।
अमित ने कहा कि उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना ने शाह के लिए पाकिस्तान का 14 अगस्त का हवाई टिकट बुक करा दिया है जो उनके घर भेजा जा रहा है। जानी के मुताबिक नसीरूद्दीन शाह को भारत में डर लगता है लेकिन नसीरूद्दीन शाह ने वीडियो में एक बार भी नहीं कहा कि उनको भारत में डर लगता है जबकि उन्होंने यह कहा था कि उनको फिक्र होती है कि अगर कल कोई भीड़ उनके बच्चों को घेर लेती और उनसे उनका मज़हब पूछती है तो वो क्या जवाब देंगे क्योंकि उन्होने अपने बच्चों को कोई मज़हबी तालीम नहीं दी है।
वह एक पिता के तौर पर अपने बच्चोंं की चिन्ता कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि देश में जो माहौल बनाया जा रहा है वो जल्दी सही होता नहीं दिखााई देता। उन्होंने कहा कि जागरूक नागरिक के तौर पर देश का माहौल देखकर गुस्सा आता है जैसा कि अन्य जागरूक नागरिकों को भी आना स्वाभाविक है।
शाह ने नहीं कहा उनको डर लगता है लेकिन फिर भी चलिए मान भी लेते हैं कि उनको भारत में डर लगता है, तब तो तथाकथित देशभक्त जो शाह को गालियां दे रहे हैं और गद्दार कह रहें हैं उन्हें शाह का डर दूर करके शाह को गलत साबित करना चाहिए। बल्कि यह लोग तो उन्हें गालियां देकर और पाकिस्तान का टिकट भेजकर कहीं ना कहीं उन्हें सही साबित करने पर तुले हैं।
अगर किसी को अपने घर में डर लगता है या कहीं कुछ गलत लगता है तो वो अपने घर के लोगों से ही कहेगा ना, या फिर किसी और के घर में जाकर रहने लगेगा।
इस बयान को मीडिया भी तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहा है। मीडिया में उनकी नकरात्मक छवि प्रस्तुत की जा रही है। मीडिया को देश के हालात नहीं दिखते। शाह जी ने बुलंदशहर हिंसा पर भी बोला था तो बहस सिर्फ आधे बयान पर क्यों हो रही है? या यूं कहें कि फर्ज़ी हेडलाइन के साथ आधे बयान को दबाने की कोशिश की जा रही है।
बुलंदशहर हिंसा का मुख्य आरोपी अभी भी फरार है और उसने जिन 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी उनमें से 2 तो बच्चे थे बाकी के आरोपियों को पुलिस ने निर्दोष बता कर छोड़ दिया है।
एक न्यूज़ चैनल यह दिखा रहा कि अगर कोई विदेशी कम्पनी इस बयान को देखती है कि भारत का माहौल खराब है तो वो भारत में निवेश करने से डरेगी। अगर ऐसा है तो संविधान से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को हटा देना चाहिए। अगर निवेश और बाज़ार का इतना डर है तो सरकार से सवाल करना चाहिए कि अभी तक योगेश राज को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया लेकिन मीडिया चाटुकारिता के सिवाय करे तो करे? और ना ही डराने वालों से सवाल किया जाता है। सारा हल्ला शाह के आधे बयान पर मचाया जा रहा है।