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“उद्धव ठाकरे को अयोद्धा में धर्मसभा से क्या सीख मिली?”

uday thackeray

“कुंभकर्ण 6 महीने सोता था और 6 महीने जागता था लेकिन आज के कुंभकर्ण पिछले चार साल से सोये हुए हैं। भगवान राम की बातें करने वालों की सरकार होते हुए भी भगवान को वनवास झेलना पड़ रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर का निर्माण होना चाहिए, चाहे उसके लिए अध्यादेश ही क्यों ना लाना पड़े। ‘पहले मंदिर-फिर सरकार’ की बात सभी को माननी पड़ेगी।”

उद्धव ठाकरे। फोटो सोर्स- Getty

ये बातें शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने भगवान राम की नगरी अयोध्या में कही। अयोध्या ने 1992 के बाद वापस से वो नज़ारा देखा है। अयोध्या भगवा रंग में रंगा नज़र आ रहा था, जहां देखो वहीं जनसैलाब और भगवा झंडे नज़र आ रहे थे।

अयोध्या, फैज़ाबाद के तमाम होटल्स और लॉज महाराष्ट्र से आए लोगों द्वारा बुक किए जा चुके थे। पूरे शहर में कहीं एक कमरा भी खाली नहीं था। होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों ने ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा था। इधर, अयोध्या भगवा रंग के सैलाब में डूबा जा रहा था तो स्थानीय निवासियों के मन में कुछ अनहोनी की शंका भी घर करती जा रही थी। शायद इसलिए उन्होंने अगले कई दिनों के राशन घर में जुटा लिए थे।

शिवसेना और अन्य भगवा संगठनों ने ऐसा माहौल बना दिया था, जिससे लगने लगा था कि कुछ होने वाला है लेकिन शिवसेना का यह रौद्र रूप वाला आंदोलन बिलकुल ठंडा निकला।

उद्धव ठाकरे इतनी मेहनत करने के बाद भी अपनी शानदार उपस्थिति नहीं दर्ज करवा पाए, जिसकी उम्मीद उनके चाहने वालों ने लगा रखी थी। पूरा आंदोलन विश्व हिंदू परिषद और संतों ने ‘हाईजैक’ कर लिया और उद्धव ठाकरे, शिवसेना जाने कहां पीछे छूट गई। शिवसेना की हुंकार देखकर लगता था कि वो अयोध्या में कुछ ठोस काम करने जा रही है लेकिन उसकी यह हुंकार खोखली साबित हुई।

अन्य रैलियों की तरह ही अयोध्या रैली एक आम मजमा होकर रह गई। हज़ारों शिव सैनिक वहां इकट्ठे थे, लाखों हिन्दू वहां उपस्थित थे, भगवा समर्थक सरकार केंद्र और राज्य में थी लेकिन उसके बाद भी यह रैली फुस्स होकर रह गई।

शिव सैनिकों से उम्मीद थी कि वे बिना डरे राम जन्मभूमि पर पहुंचकर मंदिर निर्माण शुरू कर देंगे। ऐसा करने से शिवसेना को फायदा मिलना पक्का था क्योंकि यदि सरकार उन्हें रोकती तो सरकार को हिन्दू वोट का डर सताता और नहीं रोकती तो मंदिर निर्माण में पहला ऐतिहासिक कदम शिवसेना के नाम लिख दिया जाता।

फोटो सोर्स- Getty

इससे साफ पता चलता है कि उद्धव ठाकरे के पास उनकी विरासत ज़रूर है लेकिन देश में धर्म के नाम पर खेल आसान नहीं। अयोध्या में मंदिर निर्माण करके शिवसेना हिंदुओं का दिल जीतने का सोच रही थी। शिवसेना इस मौके को खोने का अफसोस ज़रूर कर रही होगी। अयोध्या में इतनी माकूल परिस्थितियों के बाद भी कुछ ठोस ना कर पाने का मलाल उन्हें हमेशा रहेगा।

भाजपा, जो मन्दिर निर्माण पर ‘बैकफुट’ पर थी, अब वह इस सफल आयोजन का श्रेय खुद ले रही है। उद्धव परिवार सहित अयोध्या जाकर लाखों की भीड़ जुटाकर भी मायूस होंगे।

 

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