#हमलोग तो एक आम छात्र है मैडम जी आपके पैसे के लालच के कारण सैकड़ो निर्दोष छात्रो का भाभिष्य कोर्ट और थानों में उलझ कर रह गया अपने अपने निजी लाभ के कारण हमारे भाभिष्य को एक पल में बर्बाद कर के रख दिया तब जा कर हमने दुखो का पहाड़ जो कोई सुनाने वाला और न कोई देखने वाला था तब हम धरने पे आकर बैठ गए इस ठंढ में ये आश ले कर की अब तो कोई इस #महान_विश्वविदयालय में हमारे दर्द को समझेगा कोई तो मालवीय जी के आदर्शों को अभी तक जिन्दा रखा होगा परन्तु यहाँ तो सब खुद मरे हुए हैं , किसी को यहाँ छात्रो के लिए नही सोचता सब अपने जीवन को स्वार्थ में जी रहे हैं #VC साहब से तो कोई उमीद दिख ही नही रही ??
प्रॉक्टर का आईडिया मलवयी जी के मन में भी आया होगा परन्तु वो जानते थे की एक दिन कोई ऐसे ही प्रॉक्टर आयेगा और विश्वविद्यालय को #बेच खायेगा और उन्हों ने प्रॉक्टर को नही लाया वो विश्वविदयालय को सिर्फ और सिर्फ छात्रो के नाम कर गए उन्हों ने एक बार अपने परीवार के बारे में भी नही सोचा परन्तु यहाँ तो लोग विश्वविद्याल को ही बेच कर अपने परिवार का को सुख देने चाहते हैं कुछ तो सर्म करिये साहब लोग आज #महामना की आत्मा भी रो रही होगी ????
अब तो सर्म करिये आठ दिन से छात्र ठाढ़ में सड़क पे सो रहे हैं कुर्शी को कितना बचाओगी मैडम