माननीय नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ,
आपके हालिया बयान, जिसमें आपने कहा है, “बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोगों के कारण मध्य प्रदेश के स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है” से हर तरफ हल्ला मचा हुआ है। एक बार फिर से यह बहस छिड़ गयी है कि यूपी-बिहार के लोग दूसरे राज्यों में जाकर वहां के क्षेत्रीय लोगों का हक मार लेते हैं और उनके लिए रोज़गार के मौके कम कर देते हैं।
आए दिन गुजरात एवं महाराष्ट्र के क्षेत्रीय नेता भी इस तरह की बयानबाज़ी करते हैं, जिसके कारण कई बार बिहारियों को अन्य राज्यों में हिंसा का सामना भी करना पड़ा है। इस बयान के बाद कुछ लोग आपको कोस रहे हैं तो कुछ आपके सुर में सुर मिलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में एक बिहारी होने के नाते आपको धन्यवाद कहना चाहूंगा कि इस एक बयान के बाद ना सिर्फ आपने बिहार की शिक्षा एवं रोज़गार समस्या को चिन्हित किया है बल्कि बिहार सरकार के खिलाफ सवालिया निशान भी उठाये हैं।
मैं आपकी इस बात से इत्तेफाक रखता हूं कि आपने ऐसा अपने सेवा क्षेत्र के लोगों को रोज़गार के ज़्यादा अवसर मुहैया कराने के लिए किया। एक मुख्यमंत्री होने के नाते आपकी ज़िम्मेदारी है अपने राज्य के लोगों को ज़्यादा-से-ज़्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराना और वही आप अपने बयान से बतलाना भी चाहते थे।
मगर आपके बयान में मध्य प्रदेश के लोगों के लिए फिक्र के साथ-साथ बिहार एवं यूपी वासियों के लिए अपमान की मानसिकता की भी झलक दिखाई पड़ी। आपने अपने लोगों के हितों का तो सोचा मगर एक मिनट में बिहारियों को गैर साबित कर दिया। आप यह भूल गए मध्य प्रदेश एक राज्य मात्र है जो भारत के अंतर्गत आता है एवं वहां भी भारतीय संविधान के नियम ही लागू होते हैं।
एक भारतीय होने के नाते संविधान आपको यह हक देता है कि पूरे भारत में कहीं भी आप अपने लिए रोज़गार के अवसर तलाश कर सकते हैं, चाहे आप बिहार से हो या किसी अन्य प्रदेश से। पलायन का अपना एक इतिहास रहा है और कोई ऐसा राज्य या देश नहीं है जिसने पलायन का दंश ना झेला हो।
सवाल यह है कि आखिर कब तक हम बिहारी अपने राज्य में रोज़गार सुनिश्चित करने में सरकार की विफलता को बर्दाश्त करेंगे? आखिर कब तक हम बिहारी अपनी सरकार से एकजुट होकर अपने हक के लिए सवाल करने से बचते रहेंगे?
इस तरह की घटना के बाद कई तरह के लेख, फेसबुक पर प्रकाशित होते हैं जिसमें लोग बिहार का इतिहास और यहां से निकले आईएएस अफसरों की संख्या बताने लगते हैं मगर अब वक्त आ गया है कि अपने गौरवशाली अतीत एवं प्रशासनिक अफसरों की संख्या के अलावा हम इस बात को स्वीकारे कि हमारे राज्य की सरकार हमें रोज़गार एवं शिक्षा के पर्याप्त अवसर मुहैया कराने में नाकाम रही है, जिसकी वजह से पलायन की समस्या बिहार में नासूर हो चुकी है। कब तक हम अपने घर परिवार से दूर दूसरे राज्यों में जाकर काम करने को मजबूर रहेंगे?
आपको कोसने की बजाय अब हमें अपनी सरकार से जवाब मांगना होगा क्योंकि आपके जैसे कितने ही राजनेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए ऐसे बयान देते रहेंगे। अगर हम इन मतलबी बयानों पर ध्यान ना देकर अपनी सरकार से हिसाब मांगे तो वह हमारे लिए ज़्यादा हितकारी होगा।
फिर भी अंत में हम बिहारी आपसे इतना चाहते हैं कि अपना वोट बैंक बढ़ाने के चक्कर में इस तरह एक पूरे राज्य का अपमान करना कहीं से भी जायज़ नहीं है। मुमकिन है कि आप बड़े राजनेता हो मगर ऐसे ओछे बयान व्यक्तिगत तौर पर आपके ओहदे को काफी छोटा करता है। कानपुर में पले-बढ़े होने के बावजूद आप अपने राज्य के प्रति द्वेष भाव भले ही रखते हो मगर आपके बयान की वजह से हम बिहारियों में एक बार फिर से अपनी सरकार से सवाल करने की इच्छा पैदा हुई है और इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे।
– एक बिहारी