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राजस्थान का रण

आखिरकार त्याग , बलिदान और शौर्य की इस धरा पर एक दूसरे पर व्यंग्य , खींचतान , धर्म ,जाति सभी पर कटाक्ष करते हुए एक बार फिर लोकतंत्र का महापर्व चुनाव आयोग की देखरेख में पूर्णत समाप्त हुआ । 199 सीटो के परिणाम सामने आए । 1 सीट पर बसपा के प्रत्याक्षी के निधन के कारण रामगढ़ जिला अलवर में चुनाव स्तगिथ हुए । inc 100 सीट लायी लेकिन पूर्ण बहुमत में नही आयी। चुनावी समीक्षा करे तो youth एवम शहरी वोटर्स इस महापर्व में भाजपा के साथ ही रहे । ग्रामीण वोटर्स ने कांग्रेस पर भरोसा दिखाया । चुनावी नतीजे देखे तो भाजपा ने जितना काम किया उसे उसका फल मिला । और कांग्रेस की जीत भाजपा की 5 साल की  विफलता ही मूलभूत मुद्दा रही । कांग्रेस अपने किसी मुख्य मुद्दों की वजह से इस चुनाव में जीत दर्ज नही की है बल्कि जनता के हर 5 साल में alrternate सरकार लाने , वसुंधरा से नाराजगी ओर भाजपा के सिर्फ भाषणबाजी की बदौलत जीती है । इस चुनाव में जातिगत , धर्म को लेकर बहुत star प्रचारको ने बयान दिए शायद मुझे लगता है कि मेरे देश की इस पावन धरा के इस महापर्व में धर्म और जाति से उठकर कुछ मुद्दों, जो सभी के लिए हितकर हो , उन पर बात हो तो आज विकाससील से ये देश विकसित हो । अगर चुनाव सिर्फ धर्म को लेकर लड़ते तो टोंक से सचिन पायलट 54000 वोट से नही जीत सकते थे जिस क्षेत्र में सिर्फ 50000 से ऊपर मुस्लिम वोटर्स हो। जैसी कांग्रेस की विचारधारा है वो पहले कभी किसी व्यक्ति विशेष को लेकर election नही लड़ते अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री को लेकर किसका चयन करते है । पूर्वी राजस्थान सचिन जी के साथ होगा तो पश्चिमी और दक्षिणी राजस्थान गहलोत जी के साथ । मोदीजी को भी इन 5 चुनाव से सबक मिलेगा लोकसभा के लिए mission कांग्रेस मुक्त उनका विफल होने तय है । उन्हें किसी और रणनीति और चुनावी मुद्दे ओर जुमलेबाजी को छोड़कर बचे एक साल में रोजगार , सेना और गरीब तबके के लिए के कुछ करके उन्हें ही चुनावी मुद्दे बनाने की जिम्मेदारी होगी नही तो उन्हें भी पूर्ण बहुमत के लिए विफलता ही हाथ लगेगी । ब्यूरोक्रेट्स और उन सभी राजकीय कर्मचारियों को भी धन्यवाद जिन्होंने इस लोकत्रांतिक महापर्व को पूर्व रूप से सफल बनाया ।

 

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