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जिसके सपनो के ताजमहल बनने से पहले टूट गये

जिसके सपनो के ताजमहल बनने से पहले टूट गए ……
संजलि बहन माफ करना ! मेरे पास कहने के लिए यही है बचा है शर्मिंदा हु ऐसे तंत्र को देखकर जहा “बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ ” महिला शशक्तिकरण ,जैसी बाते की जाती हो ,जिस देश में धरती को माँ कहते हो इस जगह आपकी निर्मम दिनदहाड़े जान चली गयी ,तुम तो चली गयी बहन लेकिन ऐसी व्यवस्था में अभी भी जिन्दा हू माफ़ करना!
इस देश में सरकार चाहती क्या है लाशे ? एंटी रोमिओ है आपका अपनी इच्छा से २ लोग न जी पाये और तनाव में आकर खुदखुशी करले ,या रात में आपकी पुलिस अन्कॉउंटर करदे या ये मनचले गुंडे, मासूमो को बहनो की इसी तरह नोच कर खा जाये
हुज़ूर जागिये, अब आइना फोड़ने से कुछ नहीं होगा दाग आपके चहरे पर लगा है
में उस कानून का क्या करू,जो अब जागेगा ,क्या अब बहन संजलि बापस आजायेगी ,वो निर्मम चीखे भूल जाएगी ,क्या परिवार कभी ऐसा भूल पायेगा ” जी करता है भूल चढादु आपके ऐसे कानूनों पर ” जो बाद में जागते है
संजलि बहन आप विदा हो गयी हमसे,आपके सपने बड़े थे , नहीं सोचा था हमने कभी, मोहब्बत की नगरी में भी इस सदी में किसी बहन के सपने ताजमहल बनने से पहले इस घिनोने तरीके से टूट जायेंगे
Dipanshu Purohit

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