जब कलम ओर सुर बिकने लगे तब क्या होगा???
जब कलम ओर सुर बिकने लग जाए तो जिंदादिल कोमो के दिल मुर्दा हो जाते है कॉम के नोजवांनो के जेहन ओर कान अय्याश हो जाते है
वो सब कुछ भूलकर सिर्फ so called शायर ओर so कॉल्ड सिंगर को ही याद रखने लग जाते है ओर उनके पीछे अपना भविष्य खराब कर देते है जबकि उन शायरों ओर उन सिंगरों ने अपना ईमान बेच दिया होता है ।
अपनी कलम को ओर अपनी आवाज को पैसे के लिए किसी भी हद तक गिरा सकते है ।
हम हमारे आसपास देखते है तो हम को कुछ लोग ऐसे मिलजाएँगे जिन को अल्लाह ने सलाहियतों से नवाजा है लेकिन उन्होंने उन सलाहियतों का दुरपयोग किया है अपनी इन सलाहियतों को अय्याशी का सामान बनाया।
अगर इन लोगो से कह दिया जाय की हम भी आपकीं तरह लिखना चाहते है आपकीं तरह शायर बनना चाहते है आपकीं तरह सिंगर बनना चाहते है तो ये आप से अपने ताल्लुकात को तर्क कर लेंगे आपके मेसेज को जवाब तक नही देंगे
ओर हद तो ये हो जाएगी की ये आपके सलाम का जवाब देना भी गवारा नही करेंगें।
क्या इतिहास में ऐसा वक्त नही रहा जब कलम ने क्रांति लादी थी।
जब इस कलम के चलने से ही लोगो के दिलो में जोश पैदा हो जाया करता था।
सिर्फ कलम ही था जिस ने मौलाना अबुल कलाम को आजाद बनाया
सिर्फ कलम ओर आवाज ही थी की नेहरू को इतिहास में जगह मिली।
सिर्फ कलम ही था अल्लामा इक़बाल वक़्त के ओर उर्दु अदब के बड़े शायर बने।
ओर इतिहास ने तो ऐसा दौर भी देखा है की जो कलम नही बिके उन को खतरनाक मोत दी गयी सजाए दी गयी लेकिन फिर भी वो बिके नही ओर आज हालात क्या है ??
लेकिन आज के कलम कार बिक रहे है इसीलिए इस तरह के महान लोग पैदा नही हो रहे है।
अब समय आगया है की हमे खुद्दार ओर न बिकने वाले कलम कार को ढूंढ कर उसको सम्मान दिया जाय
ओर बिकाऊ कलम रखने वालो को गिरेबान पकड़ कर उल्टा लटका दिया जाय इन से सवाल किये जाय
ओर फिर ईश्वर तो इनसे सवाल करेगा ही।
“ओर तुम्हारे रब की पकड़ बहुत सख्त है”( कुरान)