?क्यों, तुम खामोश हो
क्या मुझसे कुछ उदास हो
क्या कोई दुख दिया तुम्हें
जो इतने हताश हो।
क्यों तुम चुप हो यूँ
न गर्जते न बरसते हो,
आँधियों सी आहट
भला क्यों दिल में रखते हो ,
जो दिखती नहीं है
गर वो आंधी आ गईं तो
ले जाएगी कहीं तुम्हे
तो हमें कहीं,
रूठना- मनाना बहुत हुआ,
सहने की भी हद हुई,
ये खामोशी अब और ,अच्छी नहीं
अब बता भी दो क्या हुआ ,
क्यों तुम ज़िद पर खड़े,
जाओ अब बहुत हुआ
न रोकेंगे न रुकेंगे।
जब कदर नहीं तो हम हैं क्या
भूल जाना भले,
भूल जाना भले।।??