Site icon Youth Ki Awaaz

क्या प्रेम में मरना इतना आसान होता है?

क्या प्रेम में मरना वाकई इतना आसान होता है?आज बिहार में एक IG की डॉक्टर लड़की ने आत्महत्या कर लिया है बताया जा रहा है उसकी शादी उसके मर्जी के खिलाफ हो रही थी ,इसमें कोई दो राय नही आज भी हमारे समाज मे लगभग 98% शादियाँ लड़की के मर्जी के खिलाफ होती होंगी,हमारा समाज लड़की की मर्जी पूछना कभी जरूरी नही समझता ।अब एक सवाल ये हर कोई उठाता है कि प्रेमी का प्यार माँ बाप के प्यार पर इतना भारी कैसे पड़ जाता है ?जो इंसान इतना सुदबुध खो देता है कि अपनी जान तक लेता है , ये खुद को नुकसान पहुंचाने की बात अपरिपक्व मानसिक स्थिति में ज्यादा होती है जैसे 10वीं 12वीं तक के बच्चे पहले प्यार में भाग जाया करते थे ,अब ये संख्या कम हुई है लेकिन कभी कभी परिपक्व इंसान भी ऐसे कदम उठाने से नही चुकता ,दरसल माँ बाप का प्यार और प्रेमी के प्यार की तुलना करना ही एक बकवास है ,उस क्षण जहां माँ बाप के प्यार में सिर्फ भावनात्मक लगाव होता है वही प्रेमी के प्रेम में भावनात्मक और आकर्षण लगाव दोनों ही हावी होता है और ये कही गुना ज्यादा तीव्र होता है,जिस वक्त हम प्रेमी जोड़े को अलग करने का दबाव बना रहे होते है उस वक़्त उनकी मानसकि स्थिति को वही समझ सकता है जो उससे कभी गुजरा हो ,वो ऐसा समय होता है कि इंसान को लगता है कि अब कुछ नही बचा जिंदगी में ,उस वक़्त को सम्भालना माँ बाप घर वाले के जिम्मे होना चाहिये लेकिन वो ऐसा न करके जोड़ो पे उल्टा दबाव बनाने की कोशिश करता है ,एक साथ ऐसे दबाव को सहने की ताकत हर इंसान में नही होती है जो इससे निकल जाता है वो माँ बाप का अच्छा सन्तान बन जाता है और जो नही निकल पाता वो समाज की नजरों में छि छि का विषय बन जाता है लेकिन आपको ये समझना होगा कि प्रेम को समझना इतना ही आसान होता तो आजतक ये लिखने, पढ़ने,और फिल्मों में दिखाने और शोध का विषय ही नही होता ….

Exit mobile version