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क्या आँसू अपराध है?

तुम बच्चों जैसे क्यों रो रहे हो? तुम इतनी सी बात पर क्यों रोने लगती हो?….
और जाने क्या -क्या सवाल और हिदायते आने लगती है किसी को रोते देख। एक आंसू लाखों सवाल। पता नहीं क्यों, कब, कैसे आए। क्या आँसू अपराध है?
जब बच्चे रोते हैं तो उन्हें पुचकारते हम कहते हैं अच्छे बच्चे रोते नहीं। और यहाँ से बच्चे का मकसद ख़ुश रहना बन जाता है। अब बात यह है कि आप इंसान हैं,स्वभाविक है ख़ुशियों के साथ गम भी ज़िन्दगी का हिस्सा बनेंगे। फिर रोने का मन करे तो क्या करें? दिल हल्का करें। बड़े-बुजुर्गों का कहना है रोकर दिल हल्का कर लेना अच्छा है।

याद कीजिये पहले कभी आपने भी बड़े शान से बोला होगा मैं रोता नहीं या रोती नहीं। फिर पीछे कहीं अंदर के एक कोने से आवाज आ रही होती है। अरे! रुक जाओ या न बोलो भले आँखों में आँसू न आये हो लेकिन अंदर से तो मैं रोया या रोयी ही हूँ।

ख़ुश रहना और खुश दिखना एक इंसान की ज़िन्दगी का अहम मकसद होता है। दर्द में होकर भी आंसू छुपाना और रुआँसे मन को मुस्कान की चादर से ढँक देना सामान्य है।

आँसू दुःख का पर्याय है। और अति ख़ुशी भी आंसू बन छलकती है आँखों से। इसी सुख – दुःख के खेल में आंसुओं को कीमती मोती सा बताया गया है। इस सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया में भी भेदभाव जारी है। आँसू को कमजोरी से आँका जाता है। अगर किसी लड़के के आँखों में आंसू आए तो उन्हें यही हिदायत दी जाती है की लड़के रोते नहीं है। बात-बात पर रोना लड़कियों का काम है। अरे जनाब! इंसान हैं लड़के हो या लड़की दर्द सबको होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की आंसू के रूप में निकलने वाला रसायन ल्युसाइन इंकेफालिन एक प्राकृतिक दर्द निवारक का काम करती है।

ख़ुश रहे, खुशियाँ बांटे और जिंदगी को भरपूर जियें। अगर दुःख आये तो खुल कर रोएं।रोना अपराध नहीं है।

हृदय को उभरने दो,
इन मोतियों को बिखरने दो।।
आँसू अपराध नहीं,
इन्हें निकलने दो।।

अराध्या हर्षिता(Bajmc sem 1)

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