नहीं बनना मुझे किसी कुल की देवी
और ना ही ये अधिकार विशेष ,
मैं तो मांग रही हूं अस्तित्व मेरा
ताकि कह सकूं कि नारी हूं में,
आधी मानवता हूं में,
तुम कहते हो नारी पूजी जाती है जहां
देवता बसते हैं वहां,
अगर ये देवता है तो दानव भी बुरे नहीं,
क्यूं बनूं में देवी ही
है जब चाह मेरी बनना प्रेमिका किसी की
क्यूं रहूं मैं आगे तुम्हारे
है जब चाहती मैं रहना साथ में,
मैं बस मांगती हूं अस्तिव मेरा
और तुम चाहते हो बदलना मुझे ,
अब नहीं बस और नहीं
क्युकी देवी नहीं नारी हूं में।