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शिक्षा से समझौता

भारत जहां प्राचीन काल से ही शिक्षा का बड़ा महत्व है, पुराने समय में गुरु आश्रम में ही शिक्षा प्रदान करते थे और इसका रूप आजकल स्कूल और कॉलेजों ने ले लिया है। भारत में स्कूल और कॉलेज भी दो प्रकार के हैं निजी और सरकारी, प्राइवेट स्कूल में फीस और डोनेशन ज्यादा लगता है इसीलिए जो लोग इतनी फीस और डोनेशन नहीं दे पाते वह अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं, जहां बच्चे कम फीस में ही अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं लेकिन उनके शिक्षकों को अन्य दूसरे काम भी दे दिए जाते हैं! जैसे चुनाव की ड्यूटी और भारत ऐसा देश है जहां 5 साल में लगभग 6 चुनाव होते हैं जैसे विधानसभा, लोकसभा, नगर पालिका, नगर निगम आदि ऐसे ही हर चुनाव की जिम्मेदारी सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ही दे दी जाती है। हाल ही में पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव हुआ था जिसकी जिम्मेदारी गवर्नमेंट स्कूल के ही शिक्षकों को थी और यही समय बच्चों के अर्धवार्षिक परीक्षा का भी था इस चुनाव की ड्यूटी से शिक्षकों को अपनी कक्षाएं बीच में ही छोड़कर जानी पड़ती है जिसका खामियाजा वहां के बच्चों को ही भुगतना पड़ता है उनका कोर्स पूरा नहीं हो पाता या बीच में ही रुक जाता है यह मेरा भारत है जहां शिक्षा को तो महत्व देते हैं लेकिन गवर्नमेंट स्कूल की बच्चों की शिक्षा नजर नहीं आती है। जो गरीब आदमी प्राइवेट स्कूल के अधिक फीस की वजह से उसे गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ा रहा है उसकी ही शिक्षा के साथ समझौता हो रहा है।
आप लोगों ने सुना नहीं होगा गरीब और गरीब होते जा रहा है, अमीर और अमीर होते जा रहा है यह उसका पहला और महत्वपूर्ण उदाहरण है।

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